डा. ज्वलंत शास्त्री ने कहा, मानव निर्माण और सामाजिक व्यवहार की कला सिखाते हैं वेद
आर्य समाज दयानंद सदर पथ के स्थापना दिवस पर मेरठ में चार दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ। साकेत में प्रधान चंद्रकांत के निवास पर आयोजित हुआ कार्यक्रम भजन व प्रवचन हुए। वेद ही हमारे मानव निर्माण और सामाजिक व्यवहार की कला सिखाता है।
मेरठ, जागरण संवाददाता। आर्य समाज दयानंद पथ सदर के स्थापना के 128 वर्ष पूर्व होने के उपलक्ष्य में गुरुवार को चार दिवसीय वेद प्रचार कार्यक्रम और स्थापना दिवस का शुभारंभ हुआ। इस विशेष अवसर पर गुरुवार प्रात: साकेत में यज्ञ, भजन व प्रवचन हुए। अमेठी से पधारे आर्य विद्वान डा. ज्वलंत शास्त्री ने अपने संबोधन में कहा कि वेद हमें व्यक्तिगत कर्तव्यों से लेकर सुंदर गृहस्थ निर्माण, पारिवारिक जीवन के संचालन में सभी विषयों का ज्ञान प्रदान करता है। वेद ही हमारे मानव निर्माण और सामाजिक व्यवहार की कला सिखाता है। इसलिए महर्ष दयानंद सरस्वती ने वेद का पढ़ना-पढ़ाना, सुनना-सुनाना परमधर्म बताया है।
आर्य समाज दयानंद पथ सदर के स्थापना दिवस पर पहले दिन आर्य समाज के प्रधान चंद्रकांत जी के साकेत स्थित निवास पर सत्संग हुआ। आचार्य देवशर्मा के ब्रहमत्व में देवयज्ञ के यजमान ज्ञान प्रभा, अजय कुमार, ऋतु-चंद्रकांत, तरु श्रेय स्पर्श रहे। बिजनौर से पधारे आर्य भजनोपदेशक पंडित योगेश दत्त ने ईशभक्ति के सुंदर भजन से सभी को सराबोर किया। आर्य विदुषी आचार्या प्रियंवदा वेदभारती ने अपने संबोधन में परिवारों में यज्ञीय भावना और परस्पर संगतिकरण की महत्ता पर चर्चा की। रात्रि में आर्य समाज मंदिर थापरनगर में भजन व प्रवचन होंगे।
आर्य समाज के प्रधान चंद्रकांत ने कहा कि आर्य समाज की स्थापना ही मानव कल्याण के उद्देश्य से की गई है। सत्य ज्ञान का प्रचार-प्रसार करना ही इस समाज का उद्देश्य है। राजेश सेठी ने कहा कि आर्य समाज कोई अलग मत, संप्रदाय नहीं है। सनातन वैदिक धर्म को पुर्नस्थापित कर मानव कल्याण ही इसका लक्ष्य है। मांगेराम, कमलाकांत, अनुराग अग्रवाल, धर्मेंद्र मित्तल, आशुतोष, अरविंद कुमार, अशोक सुधाकर, सुशील बंसल व प्रीति सेठी अन्य मौजूद रहे।