परिस्थितियों से घबराई नहीं, पहले बहू...अब बेटा बनी डा. अनुभा
डिप्टी जेलर स्व. अनिल त्यागी की पत्नी ने पेश की नारी सशक्तिकरण की मिसाल। बेटा बनकर पूरे परिवाा को संभाल रही हैं।
By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 03:36 PM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 03:42 PM (IST)
मेरठ (राजेंद्र शर्मा)। जीवन में आने वाली विषम परिस्थितियों व चुनौतियों से घबराकर पीछे हटने के बजाय उनका धैर्य पूर्वक सामना करना चाहिए। यह बात डा. अनुभा त्यागी ने साबित कर नारी सशक्तिकरण की अनूठी मिसाल पेश की है। उन्होंने पति की मुत्यु के उपरांत न केवल स्वयं को संभाला, बल्कि वह बेटे की तरह पिछले करीब साढ़े चार साल से पूरे परिवार को संभाल रही हैं। नेहरूनगर निवासी पूर्व डिप्टी जेलर स्व. अनिल त्यागी का परिवार भी करीब पांच साल पहले हंसी खुशी से रह रहा था। अनिल की तैनाती उस समय डिप्टी जेलर के रूप में वाराणसी जेल में थी। वह अपनी पत्नी डा. अनुभा त्यागी व दो छोटे बच्चों के साथ वाराणसी में ही रह रहे थे।
परिवार पर टूटा गमों का पहाड़
23 नवंबर-2013 को डा. अनुभा व उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा। जब जिला कारागार वाराणसी में तैनाती के दौरान उनके पति व डिप्टी जेलर अनिल त्यागी की बदमाशों ने ड्यूटी के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी। अनिल अपने परिवार के अकेले बेटे थे। उस समय अनुभा को भी एक बार लगा जैसे उनका सब कुछ खत्म हो गया है। कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए लेकिन परिवार में वृद्ध ससुर राजेंद्र सिंह त्यागी व सास संतोष एवं दो मासूम बेटों अनंत देव व रुद्रांश की जिम्मेदारी स्वयं ही उठाने का दृढ़ संकल्प लिया। बड़ा बेटा उस समय कक्षा पांच व छोटा एलकेजी में पढ़ रहा था। विषम परिस्थितियों में स्वयं को मजबूत बनाने की सीख डा. अनुभा को अपनी पीएचडी की गाइड डा. मालती शर्मा से मिली।
स्वयं को संभालने के साथ पूरे परिवार को संभाला
वृद्ध ससुर व सास से मिले सहयोग के चलते डा. अनुभा ने पूरे परिवार को चलाने के लिए विभाग में नौकरी करने का निर्णय लिया। उन्होंने गत 18 जून 14 को डीआइजी जेल कार्यालय में ओएसडी (विशेष कार्याधिकारी) के पद पर कार्यभार ग्रहण किया। साथ ही वाराणसी में पढ़ रहे दोनों बेटों का यहां सेंट मेरीज एकेडमी मेरठ में प्रवेश कराया। इस समय बड़ा बेटा दसवीं व छोटा कक्षा छह में पढ़ रहा है। यहां कारागार विभाग में अधिकारी के पद की जिम्मेदारियों के साथ ही डा. अनुभा पूरे परिवार को बखूबी संभाल रही हैं। उनका कहना है कि परिवार के साथ उन्हें विभाग के अधिकारियों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है।
अनिल को मिला राष्ट्रपति पदक
जेल में अपनी बेहतरीन कार्यशैली के चलते पूर्व डिप्टी जेलर स्व. अनिल त्यागी को मरणोपरांत पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 15 अगस्त-14 को उनकी सेवाओं के दौरान प्रदर्शित शौर्य के उपलक्ष्य में राष्ट्रपति का सुधारात्मक सेवा शौर्य पदक प्रदान किया था।
बहू नहीं बेटे की तरह परिवार को संभाल रहीं
डा. अनुभा के ससुर राजेंद्र सिंह त्यागी व सास संतोष त्यागी का कहना है कि उनकी बहू, बेटे के जाने के बाद अब बेटा बनकर ही पूरे परिवार को संभाल रही है।
परिवार पर टूटा गमों का पहाड़
23 नवंबर-2013 को डा. अनुभा व उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा। जब जिला कारागार वाराणसी में तैनाती के दौरान उनके पति व डिप्टी जेलर अनिल त्यागी की बदमाशों ने ड्यूटी के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी। अनिल अपने परिवार के अकेले बेटे थे। उस समय अनुभा को भी एक बार लगा जैसे उनका सब कुछ खत्म हो गया है। कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए लेकिन परिवार में वृद्ध ससुर राजेंद्र सिंह त्यागी व सास संतोष एवं दो मासूम बेटों अनंत देव व रुद्रांश की जिम्मेदारी स्वयं ही उठाने का दृढ़ संकल्प लिया। बड़ा बेटा उस समय कक्षा पांच व छोटा एलकेजी में पढ़ रहा था। विषम परिस्थितियों में स्वयं को मजबूत बनाने की सीख डा. अनुभा को अपनी पीएचडी की गाइड डा. मालती शर्मा से मिली।
स्वयं को संभालने के साथ पूरे परिवार को संभाला
वृद्ध ससुर व सास से मिले सहयोग के चलते डा. अनुभा ने पूरे परिवार को चलाने के लिए विभाग में नौकरी करने का निर्णय लिया। उन्होंने गत 18 जून 14 को डीआइजी जेल कार्यालय में ओएसडी (विशेष कार्याधिकारी) के पद पर कार्यभार ग्रहण किया। साथ ही वाराणसी में पढ़ रहे दोनों बेटों का यहां सेंट मेरीज एकेडमी मेरठ में प्रवेश कराया। इस समय बड़ा बेटा दसवीं व छोटा कक्षा छह में पढ़ रहा है। यहां कारागार विभाग में अधिकारी के पद की जिम्मेदारियों के साथ ही डा. अनुभा पूरे परिवार को बखूबी संभाल रही हैं। उनका कहना है कि परिवार के साथ उन्हें विभाग के अधिकारियों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है।
अनिल को मिला राष्ट्रपति पदक
जेल में अपनी बेहतरीन कार्यशैली के चलते पूर्व डिप्टी जेलर स्व. अनिल त्यागी को मरणोपरांत पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 15 अगस्त-14 को उनकी सेवाओं के दौरान प्रदर्शित शौर्य के उपलक्ष्य में राष्ट्रपति का सुधारात्मक सेवा शौर्य पदक प्रदान किया था।
बहू नहीं बेटे की तरह परिवार को संभाल रहीं
डा. अनुभा के ससुर राजेंद्र सिंह त्यागी व सास संतोष त्यागी का कहना है कि उनकी बहू, बेटे के जाने के बाद अब बेटा बनकर ही पूरे परिवार को संभाल रही है।
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