कोरोना के चलते मखदूमपुर गंगा मेले के आयोजन पर संशय Meerut News
कार्तिक पूर्णिमा पर मखदूमपुर घाट पर लगने वाले गंगा मेले के आयोजन पर भी संशय के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं । एक माह का समय शेष है और तैयारियों को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं है ।
मेरठ, जेएनएन। मखदूमपुर गंगा घाट पर लगने वाले कार्तिक पूर्णिमा गंगा मेले पर भी बादल मंडराते हुए नजर आ रहे है। चूंकि मेले का आयोजन होने में केवल एक माह का समय शेष है और शासन की ओर से मेले को लेकर कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है। जिसे लेकर जिला पंचायत भी असमंजस की स्थिति में है।
वर्ष 2020 में कोविड–19 के चलते कांवड़ यात्रा समेत कई प्रमुख पर्व भेंट चढ़ चुके हैं। अब कार्तिक पूर्णिमा पर मखदूमपुर घाट पर लगने वाले गंगा मेले के आयोजन पर भी संशय के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। एक माह का समय शेष है और तैयारियों को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं है। जनपद मेरठ का एकमात्र ऐतिहासिक गंगा स्नान मेला मखदूमपुर गंगा घाट पर आयोजित होता है। मखदूमपुर गंगा घाट पर जिला पंचायत द्वारा आयोजित होने वाले गंगा स्नान मेले में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। गंगा स्नान के साथ पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए गंगा में दीपदान और पिंडदान करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा का मुख्य स्नान 28 नवंबर को है, लेकिन मेला आयोजित कराने वाली जिला पंचायत ने अभी तक कोई भी टेंडर आदि जारी नहीं किया है।
आजादी से पूर्व का है मेले का इतिहास
वर्ष 1929 में आर्यसमाजी रामजी दास हितैषी ने सर्वप्रथम मखदूमपुर गंगा मेले की शुरूआत की थी। इनके बाद स्वतंत्रता सेनानी रूमाल सिंह इसकी जिम्मेदारी उठायी और उनके बाद से यह मेला जिला पंचायत के तत्वाधान में लगता चला आ रह है। गंगा तट पर लगने वाले मेले में 3 से 4 लाख श्रद्धालुओं की भीड़ उमडती है। इस बार कोरोना संक्रमण के चलते इसके आयोजन पर संशय के बादल मंडराते दिख रहे हैं। कार्तिक पूर्णिमा का एक माह शेष हैं, लेकिन अभी तक कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है।