World Disability Day: दिव्यांगों को होगी सुखद अनुभूति, मिलेगा विशेष पार्क का तोहफा Meerut News
जल्द ही मेरठ मंडल के शहरों में ऐसे विशेष पार्क होंगे जहां जाकर दिव्यांग बच्चे और बड़े अपनी समस्या भूलकर जमकर मस्ती कर सकेंगे। सभी प्राधिकरणों ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं।
मेरठ, [अनुज शर्मा]। World Disability Day 2019 बेंगलुरु, नागपुर और चेन्नई के साथ जल्द ही मेरठ मंडल के शहरों में भी ऐसे विशेष पार्क होंगे, जहां जाकर दिव्यांग बच्चे और बड़े अपनी समस्या भूलकर जमकर मस्ती कर सकेंगे। खूब खेलेंगे, घूमेंगे और विज्ञान समेत विभिन्न क्षेत्रों की बारीकियां जानेंगे। उज्जैन की तर्ज पर पार्क तैयार करने का आदेश कमिश्नर अनीता सी मेश्राम ने सभी विकास प्राधिकरणों को दिया है। सभी प्राधिकरणों ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। कहीं जमीन चिन्हित कर ली गई है तो कहीं पहले से विकसित पार्क में ही दिव्यांगों के लिए विशेष जोन बनाने की तैयारी है।
मंडलायुक्त ने दिए आदेश
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में 2.68 करोड़ दिव्यांग हैं। यह संख्या देश की कुल जनसंख्या की 2.21 फीसद है। कमिश्नर अनीता सी मेश्राम उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित किए गए दिव्यांगों के विशेष पार्क दिव्यांग अनुभूति पार्क से प्रभावित हैं। लिहाजा उन्होंने मेरठ मंडल के सभी पांच विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्षों को उज्जैन मॉडल पर ही दिव्यांग अनुभूति पार्क विकसित करने का आदेश दिया है।
प्राधिकरणों ने शुरू किया काम
कमिश्नर ने बताया कि मेरठ, गाजियाबाद, बागपत, बुलंदशहर और हापुड़ प्राधिकरणों द्वारा इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है। उन्होंने जमीनें चिन्हित कर ली हैं। कई जनपदों में पूर्व विकसित पार्को में विशेष दिव्यांग जोन बनाने की तैयारी है।
- दिव्यांग अनुभूति पार्क उज्जैन में यह है खास
- 2.5 हेक्टेयर में बना है’ नेत्रहीन दिव्यांगों के लिए विशेष टाइल्स वाला परिक्रमा पथ।
- व्हील चेयर पर चलने वालों के लिए अलग परिक्रमा पथ।
- सेंसरी पिट में विभिन्न चीजों को छूकर अनुभव करने की सुविधा।
- ओपन जिम’ विशेष एक्युप्रेशर परिक्रमा पथ।
- पार्क के पौधों को छूकर पहचानने तथा जानकारी वाले बोर्ड ब्रेल लिपि में।
- स्पेशल साउंड सिस्टम से पशु-पक्षियों और विभिन्न म्यूजिक सिस्टम की आवाज की पहचान।
- शाम को स्पेशल लाइट इफेक्ट।
- चिट-चिट हॉल में विभिन्न इनडोर खेल की व्यवस्था।
- पार्क में औषधीय पौधे।
- एडवेंचर के लिए मंकी किंग जोन।
- किड्स जोन में विशेष झूले।
- साइंस जोन में विज्ञान के चमत्कारों की जानकारी।
- डीएनए स्ट्रक्चर समझाने के लिए विशेष जोन।
एक सप्ताह के भीतर उज्जैन जाएगी टीम
एमडीए उपाध्यक्ष राजेश पांडेय ने बताया कि कमिश्नर के आदेश पर काफी काम कर लिया गया है। शहर में दिव्यांगों का पार्क बनाने के लिए सबसे अच्छी लोकेशन का चयन किया जाएगा। इसमें नया पार्क अथवा पुराना विकसित पार्क भी लिया जा सकता है। हम खुद निरीक्षण कर रहे हैं। उज्जैन मॉडल का अध्ययन करने के लिए टाउन प्लानर और इंजीनियर की टीम को एक सप्ताह के भीतर उज्जैन भेजा जाएगा। आगामी बोर्ड बैठक में इसका प्रस्ताव रखने की भी तैयारी कर ली है। पार्क की प्लानिंग के लिए एक्सपर्ट और केंद्र के संबंधित मंत्रालय से भी संपर्क किया जा रहा है।
इनका कहना है
उज्जैन का दिव्यांग अनुभूति पार्क अपने आप में निराला है। हमने इसी मॉडल पर मंडल के सभी शहरों में दिव्यांग पार्क विकसित करने का आदेश विकास प्राधिकरणों को दिया है। इस दिशा में काम भी शुरू हो गया है। जल्द दिव्यांगों के लिए अपना पार्क होगा।
- अनीता सी. मेश्राम, कमिश्नर।
जज्बे ने भेदा आसमान
तन की हार का असर मन पर पड़ने से पहले ही मन को जीत के लिए मनाकर विवेक चिकारा एक पांव पर उठ खड़े हुए। मन को शांत कर लंबी सांस ली और कमान पर तीर चढ़ाकर छोड़ा तो एकलव्य की तरह निशाना भी सटीक जा लगा। यहां से नया रास्ता मिला, जीवन को नया लक्ष्य मिला और मन में उस लक्ष्य को पाने की हूक उठी। तकदीर ने एक पांव छीना तो धैर्य और एकाग्रता प्रदान की। उसी की बदौलत मेरठ के विवेक चिकारा पैरा तीरंदाजी में एशिया की नंबर वन रैंकिंग हासिल करने के साथ ही पैरालिंपिक 2020 टोक्यो का कोटा भी हासिल करने में कामयाब हो चुके हैं।
एक्सीडेंट के बाद शुरू की तीरंदाजी
विवेक की स्कूली शिक्षा मिलेनियम पब्लिक स्कूल से हुई। साल 2015 में उन्होंने पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई पूरी की और उसी साल महिंद्रा कंपनी में कार्य करने लगे। एक जनवरी 2017 को रोहटा रोड पर हुई सड़क दुर्घटना में विवेक का दाहिना पैर बुरी तरह जख्मी हो गया, जिससे पैर काटने की नौबत आई। इसके बाद अपने पैर पर खड़े हुए और तीरंदाजी शुरू की। उनके पिता देवेंद्र सिंह किसान हैं और माता रंजना देवी गृहिणी हैं।
गुरुकुल से शुरू हुई यात्रा
सिवालखास में महपा गांव के रहने वाले विवेक चिकारा ने साल 2017 के अंत में तीरंदाजी की शुरुआत गुरुकुल प्रभात आश्रम से की। यहां कुछ समय ट्रेनिंग के बाद वह सत्यकाम इंटरनेशनल एकेडमी में पहुंचे। यहां से दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में कोच सत्यदेव प्रसाद और उद्धम सिंह के मार्गदर्शन में तीरंदाजी की ट्रेनिंग ली। इसके बाद नेशनल चैंपियन बने और वल्र्ड रैंकिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर देश का नाम रोशन किया। नीदरलैंड में हुई वल्र्ड चैंपियनशिप में विवेक की नौवीं रैंक थी।
नेशनल रिकॉर्ड संग बने चैंपियन
विवेक मार्च 2019 में हुई पैरा तीरंदाजी की नेशनल प्रतियोगिता में नए रिकॉर्ड के साथ नेशनल चैंपियन बने। नेशनल चैंपियन बनने के बाद दुबई में आयोजित फाजा कप में क्वालीफिकेशन राउंड में हिस्सा लिया और 720 में 644 प्वाइंट अर्जित कर टॉप पर रहे। यहां उन्हें सातवीं रैंक मिली थी। नीदरलैंड में इसी साल तीन से 16 जून तक हुई पैरा वल्र्ड चैंपियनशिप में विवेक ने स्वर्ण पदक जीतकर ओलंपिक कोटा हासिल किया था। बैंकॉक में 19 से 26 अक्टूबर तक हुइ एशियन तीरंदाजी में स्वर्ण पदक जीतकर एशिया में नंबर वन रैंकिंग हासिल की।
चेन्नई में भी संवेदी पार्क
1,529 वर्गमीटर के क्षेत्र में बनाया गया यह पार्क संथोम इलाके में चैथे ट्रस्ट लिंक रोड पर स्थित है। पार्क में अंतरिक्ष, उसके रंगों का स्पर्श करके अनुभव करने के लिए दो दीवारें हैं। दिव्यांग बच्चे झूलों का भी आनंद लेते हैं। पार्क के निर्माण और डिजाइनिंग में महत्वपूर्ण योगदान कविता कृष्णमूर्ति के एनजीओ का है। ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन ने इस परियोजना के लिए विशेष रूप से 1.5 करोड़ रुपये दिए। बच्चों की संवेदी धारणा को बढ़ाने के लिए, दीवारों को टायर, चूड़ियों और अन्य सामग्रियों की सहायता से डिजाइन किया है। साथ ही रेत, कंकड़, लकड़ी, फाइबर और कंक्रीट का उपयोग करके बच्चों के चलने के लिए स्टेपिंग स्टोन्स और इनफिनिटी वॉकवेज़ का निर्माण किया गया है। व्हीलचेयर पर बैठने को मजबूर बच्चों के लिए सैंडबैंक और स्विंग जैसी सवारी और सुविधाएं हैं। यहां एक ऐसा गाने वाला पत्थर है जो पानी से अपने हाथ गीले करके रगड़ने पर खुद ही वाइब्रेट करने लगेगा। बेंगलुरु में ऐसे तीन, जबकि नागपुर में एक पार्क है।