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धमकी भरे पत्र का राजफाश : सुभारती विश्‍वविद्यालय में ठेका लेने को डाला था भूरा के नाम का पत्र Meerut News

सुभारती विवि के ट्रस्टी अतुल कृष्ण भटनागर को मिले धमकी भरे पत्र का पुलिस ने राजफाश कर दिया। मेडिकल और रसोई का ठेका लेने के लिए बिहार और दिल्‍ली के दो युवकों ने यह काम किया था।

By Prem BhattEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 04:53 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 04:53 PM (IST)
धमकी भरे पत्र का राजफाश : सुभारती विश्‍वविद्यालय में ठेका लेने को डाला था भूरा के नाम का पत्र Meerut News
धमकी भरे पत्र का राजफाश : सुभारती विश्‍वविद्यालय में ठेका लेने को डाला था भूरा के नाम का पत्र Meerut News

मेरठ, जेएनएन। सुभारती विवि के ट्रस्टी अतुल कृष्ण भटनागर को मिले धमकी भरे पत्र का पुलिस ने राजफाश कर दिया। मेडिकल और रसोई का ठेका लेने के लिए बिहार के अभय यादव और दिल्ली के साहिल ने अमित भूरा के नाम से पत्र डाला था। दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। ये दोनों जिस कार को विवि में छोड़कर भागे थे, वह ओला किराए पर ली गई थी। आरोपित कार को सोतीगंज में कटवाने के लिए मेरठ आए थे। यहां काम नहीं बना तो दोनों ने पत्र डालने की योजना बना डाली।

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यह है पूरा मामला 

पांच जुलाई को सुभारती विवि के अंदर से एक लावारिस कार मिली थी। इसमें कुख्यात अमित भूरा के नाम से एक पत्र मिला था, जो सुभारती के ट्रस्टी अतुल कृष्ण भटनागर के नाम से संबोधित था। पत्र में मेडिकल और रसोई का ठेका न देने पर अंजाम भुगत लेने की धमकी दी गई थी। करीब एक माह बाद जानी थाना पुलिस ने इसका राजफाश किया। इंस्पेक्टर जानी ने बताया कि बिहार के दरभंगा निवासी अभय यादव ने गुरुग्राम से ओला से एक कार किराए पर ली थी, जिसे दिल्ली के प्रहलाद नगर निवासी साहिल चलता था। लॉकडाउन की वजह से कार का खर्च पूरा नहीं हो रहा था। इसलिए कार मेरठ सोतीगंज में कटवाने की योजना बनाई। दिल्ली के मिस्त्री से कार का जीपीएस हटवाने के बाद दोनों कार लेकर मेरठ पहुंचे। सोतीगंज में जब काम नहीं बना तो दोनों ने सुभारती विवि में ठेका लेने की योजना तैयार की। इसके लिए अमित भूरा के नाम से दो पत्र लिखे। उस दौरान अखबारों में सुभारती ग्रुप के ट्रस्टी अतुल कृष्ण और आनंद अस्पताल के मालिक हरिओम आनंद का विवाद सुर्खियों में था।

सवालों के घेरे में पुलिस की कहानी

ओला कैब की कार को कटवाने के लिए मेरठ पहुंचे दोनों आरोपित अमित भूरा के नाम से पत्र डालने का प्लान कैसे बना सकते हैं? जबकि दोनों आरोपितों ने कभी ठेका भी नहीं लिया, ऐसे में मेडिकल और रसोई का ठेका मिल भी जाता तो क्या वह चला पाते? सवाल यह है कि दिल्ली और बिहार के रहने वाले दोनों आरोपित मानसी आनंद और हरिओम आनंद का नाम पत्र में क्यों लिखते? सुर्खियों में तो और भी केस थे। पुलिस के पर्दाफाश में इन सवालों के जवाब साफ नहीं हैं। एसएसपी का कहना है कि उनके पास आरोपितों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य हैं। 


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