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संभाल कर रखिए अपने बच्चे के दिल की धड़कनें, जानलेवा हो सकता है ‘शॉर्ट सर्किट’

आज के माहाैल में बच्चों के दिल की धड़कन 80 से बढ़कर 200 प्रति मिनट तक पहुंच जाए तो समझिए दिल में करंट ओवरफ्लो होने से ‘शॉर्ट सर्किट’ हो रहा है।

By Ashu SinghEdited By: Published: Mon, 20 May 2019 10:02 AM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 12:06 PM (IST)
संभाल कर रखिए अपने बच्चे के दिल की धड़कनें, जानलेवा हो सकता है ‘शॉर्ट सर्किट’
संभाल कर रखिए अपने बच्चे के दिल की धड़कनें, जानलेवा हो सकता है ‘शॉर्ट सर्किट’
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। बच्चों के दिल की धड़कन 80 से बढ़कर 200 प्रति मिनट तक पहुंच जाए तो समझिए दिल में करंट ओवरफ्लो होने से ‘शॉर्ट सर्किट’ हो रहा है। बच्चे की जान तक जा सकती है। पश्चिमी उप्र में यह बीमारी प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले ज्यादा है। दिल की दीवारों में पैदाइशी गड़बड़ी मिल रही है। उधर,मेडिकल के पीडियाटिक आइसीयू में जल्द ही रेडियोफ्रीक्वेंसी तकनीक से अनियमित धड़कन का इलाज शुरू होगा।
धड़कन तीन गुना तेज
मेडिकल कालेज में पीडियाटिक आइसीयू में बच्चों के दिल का इलाज शुरू किया गया है। पीडियाटिक कार्डियोलोजिस्ट डा. मुनेश तोमर ने बताया कि दिल के चार चेंबर में से कहीं से भी करंट बन सकता है। चेंबर के नीचे के हिस्सों से उठने वाले करंट बेहद खतरनाक होते हैं। बच्चों के दिल की धड़कन 80 से 120 प्रति मिनट तक होती है,जो शॉर्ट सर्किट होने से 300 प्रति मिनट तक पहुंच जाती है। शरीर पीला पड़ने,ठंडा पड़ने,सांस तेज व एवं बेहोश होने के लक्षण उभरते हैं। हार्ट फेल होने से मौत भी हो जाती है।
दो दिन में इलाज मिले तो सही
अनियमित धड़कन वाले मरीजों को दो दिन में इलाज मिलना जरूरी है। हालांकि धड़कन के कई मरीज सेकंड भर में भी दम तोड़ देते हैं। कई दवाएं कारगर हैं, जिसके जरिए दिल के करंट को रोका जाता है। बड़े बच्चों में रेडियोफ्रीक्वेंसी एबिलेशन तकनीक से दिल में करंट की लीकेज रोक देते हैं।

हार्ट की बनावट में भी कमी
हार्ट की बनावट में जन्मजात गड़बड़ी से करंट दूसरे रास्तों से लीक होने लगता है। कई बच्चों की हार्ट की मसल कमजोर मिली,जिससे करंट नए रास्तों के जरिए फ्लो होकर धड़कन तेज कर देता है। इलेक्ट्रोलाइट फैक्टर-पोटेशियम, कैल्शियम व सोडियम का संतुलन बिगड़ने से भी दिल में शॉर्ट सर्किट होता है। थायरायड में असंतुलन एवं अनुवांशिक कारणों ने भी बच्चों के दिल की गति बिगाड़ा है।
जंक फूड भी दिल का दुश्मन
जंक फूड के सेवन से धड़कन बढ़ती है। खांसी, जुकाम समेत तमाम रोगों की दवाएं धड़कन खराब करती हैं। हीमोग्लोबिन कम होने पर हार्ट पर लोड बढ़ता है। मसल्स फैलने से हार्ट के चार में से किसी भी चेंबर से करंट बनने का रिस्क होता है। उधर, धड़कन कम होने से पेसमेकर लगाना पड़ता है। टायफायड से भी धड़कन घटती है।
इनका कहना है
पश्चिम में अनियमित धड़कन के मरीज ज्यादा हैं। बच्चों के हार्ट के तार में एक्स्ट्रा पाथ वे-रास्ता बनने से धड़कन 250 से 300 प्रति मिनट तक पहुंचती है। इसे दिल की शॉर्ट सर्किट कहते हैं। बेहोशी व हाथ पांव ठंडा होने से मौत हो सकती है। मेडिकल में करीब दस बच्चों का इलाज हुआ है। बच्चों की थायरायड व इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस दुरुस्त रखें।
- डा.मुनेश तोमर,पीडियाटिक कार्डियोलोजिस्ट,मेडिकल कॉलेज 

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