पश्चिम उप्र की नस-नस में घुल रही है डायबिटीज
अस्पतालों में पहुंचने वाले 25-30 फीसद मरीजों में शुगर, प्रदेश में सर्वाधिक। 60 फीसद मरीजों पर हृदय रोग का खतरा, किडनी फेल तो हड्डियां भी कमजोर।
मेरठ। आराम-तलब जिंदगी शुगर के चंगुल में फंस रही है। पश्चिम उप्र शुगर के ढेर पर बैठा है। ओपीडी में पहुंचने वाले 30 फीसद मरीजों में यह बीमारी मिली है, जबकि बड़ी संख्या में लोग प्री-डायबिटिक जोन पर खड़े हैं। डाक्टरों की मानें तो पश्चिम उप्र में यह बीमारी प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से ज्यादा है। पुरुषों से ज्यादा महिलाएं चपेट में आ रही हैं। उधर, शुगर के मरीजों में साइलेंट हार्ट अटैक होता है, जिसमें मरीज को दर्द नहीं होता, लेकिन जान चली जाती है। दिल पर आफत
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल से अब तक काउंसिलिंग के लिए पहुंचे मरीजों में सर्वाधिक में शुगर मिला। दस फीसद से ज्यादा मरीजों में हृदय की बीमारी थी। शुगर के मरीजों का खून गाढ़ा होने से नसें सिकुड़ने लगती हैं। नसों में ब्लाकेज से हार्ट अटैक का खतरा कई गुना हो जाता है। अगर कोलेस्ट्राल का स्तर ठीक है तो भी उनमें हार्ट अटैक का रिस्क ज्यादा होता है। स्वास्थ्य विभाग की काउंसिलिंग में कई मरीजों में स्ट्रोक की हिस्ट्री मिली। लंबे समय तक शुगर रहने से गुर्दे फेल हो जाते हैं। फ्रैक्चर का खतरा तीन गुना
डेक्सा स्कैन के जरिए 600 मरीजों की हड्डियों की ताकत जांची गई, जिसमें 70 फीसद मरीजों में फ्रैक्चर का रिस्क तीन गुना मिला। रक्त में शुगर बढ़ने से हड्डियों के ऊतक टूटते हैं। रक्त संचार मंद पड़ने से हड्डी निर्माण की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। कैल्शियम का अवशोषण नहीं हो पाता है। टाइप-दो शुगर के मरीजों में आस्टियोपुरोसिस-(हड्डी टूटने का खतरा) 60 फीसद ज्यादा है। चोट के बाद हड्डियां जल्दी जुड़ नहीं पाती हैं। यह बीमारी बोनमेरो की कोशिकाओं को प्रभावित करती है। कई मरीजों में विकलांगता भी देखी गई है। शुगर नियंत्रित करने की दवाएं भी हड्डियों को नुकसान पहुंचाती हैं। ये है एनसीडी सेल का आंकड़ा
नान कम्युनिकेबल डिसीज यानी एनसीडी सेल ने स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट भेजी है। अप्रैल से अब तक की तस्वीर बताती है कि शहरी महिलाएं शुगर की गिरफ्त में हैं। अब तक काउंसिलिंग में पहुंचे मरीज-24 हजार
कुल शुगर के मरीज-3794
महिला मरीज-2218
पुरुष मरीज-1576 वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. संजीव सक्सेना का कहना है कि शुगर के 60 फीसद मरीजों पर हृदय रोग का खतरा है। इसमें कोलेस्ट्रोल दुरुस्त मिलने के बाद भी हृदय की बीमारी मिली। नसें सिकुड़ने से दिल तक खून पहुंचने में रुकावट आती है, जो हार्ट अटैक का कारण है। नियमित व्यायाम करें। पैथलॉजिस्ट डा. श्वेता गर्ग का कहना है कि अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले 25 से 30 फीसद मरीजों में शुगर मिल रही है। कई मरीजों को पहली बार इसकी जानकारी मिली, जब वह गुर्दा, आंख या हार्ट की बीमारी के इलाज के लिए पहुंचे थे। 40 वर्ष के बाद शुगर की जांच नियमित कराएं।