शिक्षक संकुल से बीएसए तक को दिया टास्क
बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत मिशन प्रेरणा एवं कायाकल्प के निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के लिए महानिदेशक स्कूली शिक्षा ने हर स्तर के लिए अलग टास्क दिया है।
मेरठ, जेएनएन। बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत मिशन प्रेरणा एवं कायाकल्प के निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के लिए महानिदेशक स्कूली शिक्षा ने हर स्तर के लिए अलग टास्क दिया है। इसमें बेसिक शिक्षा अधिकारी से लेकर बीईओ, डीसी, एसआरजी, एआरपी और शिक्षक संकुल तक टास्क निर्धारित कर सौ फीसद कार्य पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है। इसमें हर महीने प्रगति कार्यों की समीक्षा होगी और कार्यों का मूल्यांकन करने के बाद अच्छे कार्य करने वाले अधिकारियों को पुरस्कृत और खराब प्रदर्शन वालों के खिलाफ उचित विभागीय कार्रवाई की जाएगी। बीएसए को मिले टास्क में कायाकल्प, रिव्यू मीटिग, एआरपी का चयन, डीपीओ स्तरीय लोगों का चयन, मानव संपदा, बीपीओ, टीचर ओरिएंटेशन कार्यक्रम आदि के सफल आयोजन की जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह बीईओ, डीसी ट्रेनिग व अन्य ग्रुप के लिए गुणवत्ता व सुपरविजन की जिम्मेदारियां दी गई हैं, जिससे योजनाओं के सफल संचालन होने के साथ गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जा सके।
अपनी रचनाओं से आज भी प्रासंगिक हैं निराला
हिदी कविता के छायावादी युग के प्रमुख स्तंभ महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' विलक्षण प्रतिभा के स्वामी थे। उन्होंने कई कहानियां, उपन्यास, गद्य व निबंध लिखकर साहित्य को अलग ही दिशा दी। परिमल, अनामिका, कुकुरमुत्ता या गीतिका के अलावा न जाने कितनी रचनाओं से आज भी सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' प्रासंगिक हैं। ये बातें 15 अक्तूबर गुरुवार को महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी की पुण्यतिथि पर काव्य सागर साहित्यिक मंच के वरिष्ठ कवि जेपी गुप्ता ने विचार परिचर्चा में की। उन्होंने कहा कि निरालाजी सौर मंडल में सूर्य की तरह थे, जो सदा ही सूर्य की भांति हिदी साहित्य के इतिहास और भविष्य में याद किए जाते रहेंगे। उन्हें निराला की उपाधि मतवाला पत्रिका के संपादन को लेकर मिली। वे स्वामी विवेकानंद व रामकृष्ण परमहंस से अधिक प्रभावित थे। बेटी सरोज की स्मृतियों को उन्होंने सरोज स्मृति नाम की रचना में संजोया है। मंच के महासचिव ने इस दौरान कहा कि महाकवि निराला ने कविता व गीतों के जरिए प्रेम, प्रकृति व सौंदर्य का वर्णन बखूबी किया है। इसकी अभिव्यक्ति के लिए निराला कहीं नारी को संबोधित करते हैं तो कहीं प्रकृति को।