देव दीपावली आज, काíतक पूíणमा स्नान कल
भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागने के बाद रविवार को देव दीपावली मनाई जाएगी।
मेरठ, जेएनएन। भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागने के बाद रविवार को देव दीपावली मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागने की खुशी में देवता दीप जलाते हैं। ज्योतिष विद भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि दीपावली पर महालक्ष्मी का पूजन होता है। दीपावली के ठीक 15 वें दिन कार्तिक पूíणमा होती है। दीपावली की तरह देव दीपावली पर भगवान विष्णु की आराधना होती है। भगवान विष्णु का वास क्षीर सागर में है, इसलिए पृथ्वी के सभी जलाशयों, नदियों में दीप जलाने की परंपरा है। 29 नवंबर को देव दीपावली है। इस दिन लोग मंदिर, पीपल के पास भी दीप जलाते हैं। दीपदान से देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। आसुरी शक्तियों से रक्षा के लिए भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। रविवार को पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5.08 बजे से रात्रि 7.45 बजे तक है।
ज्योतिष विद अनुराधा गोयल ने बताया कि गंगा स्नान पर्व 30 नवंबर को है। इस दिन उपछाया चंद्रग्रहण है पर इसमें सूतक का प्रभाव नहीं रहेगा। मंदिरों के कपाट भी बंद नहीं होंगे। हवन पूजन के साथ इस दिन दान का भी बड़ा महत्व है।
भारत ज्ञान भूषण ने बताया कि 30 नवंबर को तीन-तीन शुभ योग हैं। भक्तों को शिव योग, कुमार योग, सर्वार्थ सिद्धि योग में स्नान करने अवसर प्राप्त होगा। स्नान से पूर्व जल दाएं हाथ से बाएं हाथ में और बाएं हाथ से दाएं हाथ में लेना चाहिए। चरण रखते समय गंगा मइया से क्षमा मांगनी चाहिए। गंगा जल में प्रवेश के पूर्व अंजुरी में जल लेकर माथे पर लगाएं। तीन डुबकी पहले अपने लिए लगानी चाहिए। इसके बाद स्वजनों के लिए नाम लेते हुए उनके निमित्त डुबकी लगाएं। स्नान के समय ईष्ट देव का ध्यान करना चाहिए। स्नान दान का मुहूर्त सुबह छह बजे से सुबह 7.30 बजे और सुबह नौ बजे से 10.30 बजे शुभ योग है।
नहीं लगेगा मेला, घर में ही कर लें स्नान-दीपदान
गंगा नदी के विभिन्न तटों पर लगने वाले कार्तिक पूर्णिमा के मेले और स्नान पर कोरोना संक्रमण के फैलाव की आशंका के चलते रोक लगाई गई है। शनिवार को जिलाधिकारी के बालाजी ने बताया कि गंगा स्नान और मेले का आयोजन इस बार नहीं होगा। जिलाधिकारी ने बताया कि मेरठ में कोरोना संक्रमण की गति काफी ज्यादा है। जिस पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश सरकार भी गंभीर है। ऐसे में लोगों का दीपदान करने नदी के तट पर जाना भी खतरे से खाली नहीं है। लोगों से अपील है कि स्नान और दीपदान भी अपने घर पर ही कर लें तो ज्यादा अच्छा रहेगा।