बजट 2021 से उम्मीदें : मेरठ की मांग, कर प्रणाली में बदलाव कर एफएमसीजी सेक्टर को मजबूत बनाए सरकार
बजट 2021 से उम्मीदें व्यापारियों का कहना है कि वह ई-कामर्स कंपनियों और मेगा स्टोरों से मुकाबला करने को तैयार हैं पर सरकार को सर्वाधिक रोजगार देने वाले इस सेक्टर के लिए नीतियों और कर प्रणाली में बदलाव करना चाहिए।
मेरठ, जेएनएन। रोजगार की दृष्टि से देखा जाए तो फास्ट मूङ्क्षवग कंज्यूमर गुड्स से जुड़े व्यापार से बहुत बड़े तबके की रोजी-रोटी चलती है। इससे जुड़े व्यापारियों का मानना है कि कोरोना काल में इस सेक्टर की विनिर्माण कंपनियों का रुख बहुत सकारात्मक नहीं रहा है। इस व्यापार से जुड़े कर्मचारियों की नौकरी से भी छुट्टी हुई है या उनकी आय में कटौती की गई है। एफएमसीजी में बिस्कुट, तेल, साबुन, टूथपेस्ट, नूडल्स जैसी वस्तुओं की व्यापक रेंज है। व्यापारियों का कहना है कि वह ई-कामर्स कंपनियों और मेगा स्टोरों से मुकाबला करने को तैयार हैं, पर सरकार को सर्वाधिक रोजगार देने वाले इस सेक्टर के लिए नीतियों और कर प्रणाली में बदलाव करना चाहिए।
इनका कहना है
हमारे सेक्टर में शून्य से लेकर 18 प्रतिशत जीएसटी तक का आयटम होता है। उत्पादों की संख्या भी सबसे ज्यादा होती है। रिटर्न दाखिल करना टेढ़ी खीर होता है। जीएसटी के नए प्रावधानों में पांच करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले व्यापारियों को आइटीसी का लाभ 99 प्रतिशत मिलेगा। एक प्रतिशत टैक्स उन्हें जमा करना होगा। इससे व्यापारियों को नुकसान होगा।
- विनेश जैन, फेडरेशन आफ आल इंडिया व्यापार मंडल
सरकार मनरेगा के तहत रोजगार देती है। एफएमसीजी सेक्टर से ढुलाई करने वाले मजदूर से लेकर एकाउंट का काम करने वाले लोग जुड़े हैं। कोरोना में व्यापारियों को इनके वेतन का इंतजाम करना मुश्किल हो गया। इस सेक्टर से जुड़े कर्मचारियों को भी सरकार को मेडिक्लेम और फंड आदि की सुविधा प्रदान करनी चाहिए।
- मनुल अग्रवाल, महामंत्री, मेरठ डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन
सरकार को कर ढांचा ऐसा बनाना चाहिए कि ई-कामर्स कंपनियों और बड़े आउटलेट के साथ छोटे व्यापारी का काम भी चलता रहे। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को ऐसे मामलों में कार्रवाई करनी चाहिए, जब कोई कंपनी लागत से भी कम दामों में व्यापार करे।
- विपिन कंसल, पूर्व अध्यक्ष, मेरठ डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन
जब से जीएसटी लागू हुआ है, इसके नियमों तेजी से बदलाव हुए हैं। ऐसे में अगर रिटर्न भरने में कोई त्रुटि हुई हो तो उसे माफ करना चाहिए। चूंकि कई प्रावधानों के बारे में अधिकारियों को ही जानकारी नहीं होती है।
- सचिन जैन, व्यापारी
ये हैं प्रमुख मांगें
- ई-कामर्स कंपनियों से मुकाबले को खुदरा व्यापारी और वितरकों को टैक्स में रियायत दी जानी चाहिए। मैन्युफैक्चङ्क्षरग कपंनियों से यह सुनिश्चित कराया जाए कि जिस रेट पर ई-कामर्स कंपनियों को सामान बेचे उसी दाम में डिस्ट्रीब्यूटरों को दें। इससे सरकार को भी जीएसटी अधिक मिलेगा।
- व्यापारियों के साथ बढ़ रही आपराधिक गतिविधियों की रोकथाम के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाए।
- पार्टनरशिप फर्मों पर कारपोरेट कंपनियों की भांति 30 प्रतिशत के स्थान पर 22 प्रतिशत की दर से ही आयकर का प्रावधान हो।
- जीएसटी रिटर्न भरने में जिन व्यापारियों से गलती हुई है उन्हें बिना जुर्माने के एक मौका दिया जाना चाहिए।
- कोरोना के कारण कुछ कारोबारियों ने कर्मचारियों की छंटनी की जगह उनके वेतन में कटौती की है इसलिए कम से कम दो साल के लिए न्यूनतम वेतन
अधिनियम को स्थगित किया जाए।
- अप्रैल से पांच करोड़ टर्नओवर से ऊपर के व्यापारियों के बीटूबी के लिए ई-इनवाइस की बाध्यता लागू की गई है। इसमें कई मुश्किलें आएंगी। इसे व्यवहार संगत बनाना चाहिए।