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मिट्टी के बर्तनों में स्वाद का तड़का, जीवनशैली में शामिल हुई मिट्टी की थाली और टी-सेट

मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाना और खाना हमारी पुरानी परंपरा रही हैं। कुछ समय पहले तक मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करने में लोगों को झिझक महसूस होती थी।

By Prem BhattEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2020 11:31 PM (IST)Updated: Sat, 19 Sep 2020 11:31 PM (IST)
मिट्टी के बर्तनों में स्वाद का तड़का, जीवनशैली में शामिल हुई मिट्टी की थाली और टी-सेट
मिट्टी के बर्तनों में स्वाद का तड़का, जीवनशैली में शामिल हुई मिट्टी की थाली और टी-सेट

मेरठ, जेएनएन। मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाना और खाना हमारी पुरानी परंपरा रही हैं। कुछ समय पहले तक मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग करने में लोगों को झिझक महसूस होती थी। अब घर और होटल में मिट्टी के बर्तनों में भोजन करना और पकाना दोनों ही स्टेटस सिंबल बन गया है। इस समय बाजार में मिट्टी के आकर्षक और डिजाइनर बर्तनों की डिमांड काफी बढ़ गई है। इनमें मिट्टी के कुकर से लेकर दाल हांडी, टी-टी-सेट, रोटी बॉक्स, फ्राईपेन, सूप बाउल, कढाई, गिलास और थाली शामिल है। इन्हें अन्य बर्तनों की तरह ही प्रयोग किया जा सकता है। सफाई भी आसानी से हो जाती है। चिकित्सक भी मिट्टी के बर्तन में पकने वाले भोजन को पौष्टिक बताते हैं।

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कुकर को पसंद कर रहे हैं लोग

इस समय मिट्टी की हांडी के साथ ही तीन और पांच लीटर के कुकर की भी काफी मांग है। इसकी कीमत सात से आठ सौ रुपये तक है। इस कुकर की खासियत है कि इसमें खाना पकने में समय जरूर लगता है लेकिन खाना स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक होता है।

थाली और टी-सेट की बढ़ रही है डिमांड

खाना पकाने से खाना परोसने तक के बर्तन मिट्टी के हों तो रसोई के लिए इससे अलग क्या हो सकता है। मिट्टी की थाली, गिलास, चम्म और तीन कटोरी सभी कुछ मिट्टी की है। टी-सेट, दही हांडी, दाल हांडी, कटोरी, चम्मच कढाई और डिजाइनर छोटी बड़ी हांडी की काफी डिमांड है। लोग मिट्टी के चूल्हे की मांग भी करने लगे हैं, ताकि उन्हें स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन मिल सकें।

स्टील के बर्तनों पर वायरस चार से पांच दिन रहता

एल्यूमीनियम पर तीन से चार दिन और मिट्टी के बर्तनों पर कोरोना वायरस मात्र चार से पांच घंटे ही टिक पाता है। इसलिए कोरोना महामारी से बचने के लिए मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाना और खाना दोनों ही स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। इन बर्तनों में खाना देर तक पकता है, जो सेहत के लिए लाभदायी है। -डा. वीरोत्तम तोमर, वरिष्ठ छाती रोग विशेषज्ञ

यह सभी बर्तन गुजरात से मंगवाए जा रहे हैं। इस साल इनकी मांग बढ़ी है। इस समय खाना पकाने के लिए कुकर और कढाई की सबसे ज्यादा मंाग है। -विजेंद्र कुमार प्रजापति, गणपति मूर्ति कला केंद्र थापर नगर

यह बर्तन देखने में जितने आकर्षक है, इसका प्रयोग उतना ही सरल है। इन्हें भी अन्य बर्तनों की तरह साफ किया जा सकता है। इसलिए इन दिनों इनकी मांग काफी बढ़ गई है। -सोनू कुमार, बर्तन विक्रेता गढ रोड  


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