दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे : छह माह में दूर हो जाएगी जाम की दुश्वारियां
मेरठ से दिल्ली जाने के लिए अभी लोगों के पसीने छूट जाते हैं। जगह जगह जाम ने दुश्वारियां बढ़ा रखी हैं लेकिन छह माह में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के निर्माण के बाद राहत मिलेगी।
मेरठ, [रवि प्रकाश तिवारी]। मेरठ से दिल्ली की दूरी सुगम हो,समय कम लगे,जाम से निजात मिले,इन तमाम परेशानियों से मुक्ति दिलाने की खातिर दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे की योजना बनी थी। मनमोहन सरकार में सुगबुगाहट शुरू तो हुई,लेकिन मोदी सरकार में यह धरातल पर उतरा। फिलहाल चार हिस्सों में बंटे इस एक्सप्रेस-वे के एक हिस्से पर तो सफर शुरू हो चुका है, लेकिन मेरठ तक यह अब भी नहीं पहुंचा है।
छह माह का इंतजार
इंजीनियर बताते हैं,अब भी कम से कम छह माह इंतजार कीजिए यानी दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का काम अभी आधा बाकी है। यह बात सच है कि पिछले महीने ही मेरठ में सड़क व परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मेरठ दिल्ली एक्सप्रेस-वे पर वाहन दौड़ाने की तिथि भी घोषित कर दी थी..25 अप्रैल, 2029। लेकिन, इस दावे में दम नहीं है। नितिन गडकरी का बयान जमीन पर ‘आधी हकीकत, आधा फंसाना’है। पैकेज दो-तीन और चार पर काम चल रहा है। उम्मीद है पैकेज तीन यानी डासना से हापुड के बीच का मार्ग सबसे पहले पूरा हो जाए, लेकिन पैकेज दो और चार के लिए इंतजार लंबा है। काम आधा-अधूरा है।
जानिए ग्रीनफील्ड को
अगर हम दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे की बात करें तो मेरठ के लिहाज से इस प्रोजेक्ट का पैकेज-4 हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है। डासना से मेरठ के बीच 32 किमी दूरी के छह मीटर ऊंचे एक्सप्रेस-वे का निर्माण हो रहा है।इसे ग्रीनफील्ड भी कहते हैं। परतापुर तिराहा से मेरठ के लोग इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे से मिनटों में डासना तक पहुंच जाएंगे और मौजूदा एनएच-24 की शाखाएं बढ़ाकर ही दिल्ली तक का सफर घंटेभर से कम समय में पूरा कर लेंगे। तो आइए सबसे पहले बात करते हैं सबसे अहम प्रोजेक्ट पर।
जून तक बन जाएगा इंटरचेंज व आरओबी
मेरठ के परतापुर-एनएच-58 पर इंटरचेंज का निर्माण कार्य इन दिनों तेजी से चल रहा है। इसके अलावा पास में ही रेलवे ओवरब्रिज यानी आरओबी पर भी काम शुरू हो गया है। इन कामों को पूरा करने में जुटे कामगार-अधिकारियों का कहना है कि जून तक इंटरचेंज और रेल ओवरब्रिज तैयार हो जाएगा। डासना के पास का आरओबी भी तब तक बन जाएगा। इसके अलावा डासना के निकट ही मेजर ब्रिज का काम मई के अंतिम सप्ताह तक पूरा होगा। ये सभी इस प्रोजेक्ट के बड़े काम हैं।डासना से हापुड़ के बीच का काम भी चल रहा है। यहां एलिवेटेड सड़क बननी है। मौजूदा सड़क को चौड़ा किया जाना है। माना जा रहा है कि जून-जुलाई तक डासना से हापुड़ के बीच का काम पूरा हो जाएगा।
प्रोजेक्ट की सबसे बड़ी चुनौती यूपी गेट से डासना
एक्सप्रेस-वे के इस चरण का काम सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। मौजूदा सड़क का जो विस्तार करना है, उस पर काफी ट्रैफिक होता है। ऐसे में यहां काम को अपेक्षित गति नहीं मिल पा रही है। 14 लेन का लक्ष्य पीछे छूटता दिख रहा है। माना जा रहा है कि अगर काम में तेजी लायी जाए तो सितंबर-अक्टूबर तक इसे पूरा किया जा सकता है।
पहला चरण निजामुद्दीन से यूपी गेट
कुल दूरी : 8.7 किमी
कुल लागत : 841.5 करोड़
काम शुरू कब से : 29 नवंबर, 2016
पहले चरण का उद्घाटन : मई, 2018
पहले की स्थिति : आठ लेन का एनएच था।
एक्सप्रेस-वे के बाद की स्थिति : अब आठ लेन के एनएच के साथ छह लेन का एक्सप्रेस-वे यानि 14 लेन की सड़क हो गई है।
दूसरा चरण
यूपी गेट से डासना
कुल दूरी : 19.2 किमी
कुल लागत : 1989 करोड़ रुपये
काम शुरू कब से : छह नवंबर, 2017
पूरा करने का आवंटित समय : 30 महीना
काम पूरा करने का दावा : सितंबर, 2019
पहले की स्थिति : आठ लेन का एनएच था।
एक्सप्रेस-वे के बाद की स्थिति : अब आठ लेन के एनएच के साथ छह लेन का एक्सप्रेस-वे भी होगा। यानी 14 लेन चौड़ी सड़क हो जाएगी।
तीसरा चरण
डासना से हापुड़
कुल दूरी : 22 किमी
कुल लागत : 1057 करोड़ रुपये
काम शुरू कब से : दिसंबर, 2016
पूरा करने का आवंटित समय : 30 महीना
काम पूरा करने का दावा : जून, 2019
पहले की स्थिति : चार लेन का एनएच था।
एक्सप्रेस-वे के बाद की स्थिति : अब चार लेन के एनएच के साथ छह लेन का एक्सप्रेस-वे होगा। दोनों ओर दो-दो सर्विस लेन भी होगी। यानी यहां भी 14 लेन चौड़ी सड़क हो जाएगी।
चौथा चरण
डासना से मेरठ-मोहिउद्दीनपुर
कुल दूरी : 32 किमी
कुल लागत : 1130 करोड़ रुपये
काम शुरू कब से : अप्रैल, 2018 से
पूरा करने का आवंटित समय : शुरू करने के बाद 18 महीना
काम पूरा करने का दावा : अगस्त, 2019
पहले की स्थिति : यहां कुछ भी नहीं था
एक्सप्रेस-वे के बाद की स्थिति : नए सिरे से छह लेन का ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे बनेगा।
असमय की बारिश व धूल के गुबार से थोड़ी देर हुई
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे में ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट के परियोजना निदेशक किशोर कान्याल का कहना है कि मानसून के बाद भी कई बार बारिश होने की वजह से लगभग महीनेभर का काम प्रभावित हुआ। इसके अलावा नवंबर के महीने में दिल्ली-एनसीआर में धूल का गुबार बढ़ने की वजह से लगभग एक पखवाड़े तक काम ठप रहा। इस तरह के व्यवधानों से मोमेंटम टूटता है, जिसकी वजह से हमने समय का जो आंकलन कर रखा था, वह अब आगे खिसक गया। इस प्रोजेक्ट में मेरा कार्यकाल पूरा हो गया है, लेकिन उम्मीद है कि आवंटित समय में काम पूरा हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट में पहली बार एक्सप्रेस-वे को प्री-कास्ट वॉल से घेरा जा रहा है। 250 फलदार पौधों को ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। एक्सप्रेस-वे के बीच 80 हजार पौधे लगाए जाएंगे।