दिल्ली की पीर हरेगी पराली, प्रदूषण से मिलेगी निजात
दिल्ली -एनसीआर में वायु प्रदूषण का सबब बनी पराली का सदुपयोग हो जाए तो दोहरा फायदा हो सकता है।
प्रदीप द्विवेदी, मेरठ। दिल्ली -एनसीआर में वायु प्रदूषण का सबब बनी पराली का सदुपयोग हो जाए तो दोहरा फायदा हो सकता है। पराली व अन्य फसल अवशेषों से प्लाई-बोर्ड की तरह एग्रो-बोर्ड बनाया जा सकता है। इससे समस्या भी हल होगी और किसान भी कम लागत में इसका व्यवसाय कर सकते हैं। दिल्ली आइआइटी से पढ़े इंजीनियरो के प्रतिनिधिमंडल ने पराली से एग्रो-बोर्ड बनाने के फॉर्मूले का ड्राफ्ट मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सौंपा है।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल पांडव नगर निवासी डा. उपदेश वर्मा, राजन वाष्र्णेय, अतुल बल, डा. गीताजलि, सचिन मंगला, पुनीत ने केजरीवाल को मशविरा दिया कि सरकारों को एक मशीनरी बैंक बनानी चाहिए। ये मशीनें पराली से बोर्ड बनाने के लिए किसानों को उपलब्ध कराई जाएं। इसे क्लस्टर का भी रूप दे सकते हैं। यह भी कहा कि वह मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में इन सुझावो को रख सकते हैं।
ऐसे बनाए जाएंगे एग्रो-बोर्ड
इसके लिए पराली को छोटे-छोटे कणों में बाटकर उसमें बाइंडर मिलाया जाता है। फिर कंप्रेस करके शीट की तरह पैनल बना दिया जाता है। मनचाहा रंग भी दे सकते हैं। बोर्ड की मजबूती के लिए स्टील फ्रेम का भी प्रयोग कर सकते हैं।
नहीं लगेगी दीमक, नमी से बचाएगा
पराली से बने बोर्ड में दीमक नहीं लगती। नमी का स्तर 10 फीसद से कम हो जाता है, इसलिए 70 साल तक भी कोई जैव अवक्रमण (बायोडिग्रेडेशन) नहीं होता। भवनों में प्लाई-बोर्ड की तरह एग्रो-बोर्ड का प्रयोग किया जा सकता है। दरवाजे व खिड़कियों के अलावा फर्श व छत पर सुंदरीकरण के प्रयोग में भी ला सकते हैं। यह बोर्ड भवन को गर्म होने से भी बचाएगा। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होने के चलते कई यूरोपीय देश एग्री बोर्ड का प्रयोग कर रहे हैं।
इन फसल अवशेषो का होगा प्रयोग
-पराली
-धान की भूसी
-गेहूं का भूसा
-गन्ना आदि की पत्तियां प्लाई बोर्ड के मुकाबले कम लागत
स्टील फ्रेम में बनने वाले पराली बोर्ड के पैनल की कुल निर्माण लागत लगभग 1000 रुपये प्रति वर्ग फीट आती है, जबकि प्लाई बोर्ड पैनल में 1500 रुपये प्रति वर्ग फीट लागत आती है।
संयंत्र लगाने से किसानों को होगा फायदा
तीन हजार बोर्ड बनाने में 8-10 मजदूरों और मशीनों के साथ 80 लाख रुपये लागत आएगी। इसमें करीब 500 टन धान का भूसा और माल भंडारण आदि को पांच एकड़ जगह की जरूरत पड़ेगी।