शहर की सबसे महंगी कॉलोनी की समिति ने एसटीपी लगाने से खड़े किए हाथ, बताई यह मुख्य वजह Meerut News
एमडीए के अनुसार रक्षापुरम एसटीपी से जोड़ने का खर्च एक करोड़ तक बैठ जाएगा। इसकी वजह यह बतायी गई कि एमडीए अपने एसटीपी में किराएदार नहीं हिस्सेदार बनाता है।
मेरठ, जेएनएन। शहर की सबसे महंगी कालोनी जिसका सर्किल रेट 50 हजार के पार है, उसकी समिति ने भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाने से हाथ खड़े कर दिए हैं। इसकी वजह बताई गई है धन की कमी। धन का मतलब करीब 50 लाख रुपये। इतने ही खर्च में यहां पर एसटीपी लग सकता है। जबकि एमडीए के अनुसार रक्षापुरम एसटीपी से जोड़ने का खर्च एक करोड़ तक बैठ जाएगा। इसकी वजह यह बतायी गई कि एमडीए अपने एसटीपी में किराएदार नहीं हिस्सेदार बनाता है। मतलब कुल खर्च को बांटता है। ऐसे में यह घाटे का सौदा साबित होता है।मवाना रोड स्थित डिफेंस कॉलोनी में करीब 450 परिवार रहते हैं यानी करीब 2500 लोग। कॉलोनी वर्ष 1960-65 के बीच स्थापित हुई थी लेकिन अब तक यहां का सीवेज सीधे नाले में बहाया जाता है। एसटीपी न होने से जब बारिश होती है और नाले में पानी ज्यादा होता है तो उससे एसटीपी के पाइप में भी पानी दबाव डालता है और नाले का पानी वापस कॉलोनी में दाखिल हो जाता है। दी सैनिक सहकारी समिति डिफेंस कॉलोनी के अध्यक्ष रि. मेजर महेंद्र सिंह ने बताया कि एसटीपी लगाने की धन की क्षमता समिति के पास नहीं है। एसटीपी लगवा भी लिया जाए तो उसके रखरखाव पर काफी धन खर्च होगा। उससे निकले हुए पानी का क्या करेंगे।
अमृत योजना के अंतर्गत शहर के छूटे हिस्से में सीवर लाइन डालने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। अगले प्रस्ताव में दिल्ली रोड से जुड़े मोहल्लों में सीवर लाइन डाली जानी है। यह बात सही है कि पूर्व में इस दिशा में काम नहीं किया गया। इसकी वजह से अब समस्या विकराल रूप में सामने है। -ब्रजपाल सिंह, सहायक नगर आयुक्त
समिति के पास है तीन करोड़ की एफडी
डिफेंस कालोनी की समिति भले ही फंड न होने की बात कर रही है, लेकिन फिलहाल समिति के पास तीन करोड़ की एफडी है। दो करोड़ की एफडी सहकारी बैंक में और एक करोड़ की सिंडिकेट व आइसीआइसीआइ बैंक में। इसके अलावा वेंडर कलेक्शन, मेंटीनेंस शुल्क आदि से चार लाख प्रतिमाह की आमदनी होती है। एफडी के ब्याज से लगभग डेढ़ लाख मिलता है। हर कंस्ट्रक्सन पर भी एक लाख तक वसूला जाता है। जबकि प्रत्येक महीने का खर्च से छह लाख तक का है। इसमें तीन ट्यूबवेल का बिजली बिल, स्टाफ, गार्ड, सफाईकर्मियों का वेतन आदि शामिल है।
हर साल जाता है 15 लाख गृहकर : समिति
डिफेंस कॉलोनी समिति के अध्यक्ष के अनुसार यहां से हर साल नगर निगम को करीब 15 लाख रुपये गृहकर के रूप में दिया जाता है, लेकिन उसका एक फीसद भी उनकी कॉलोनी पर खर्च नहीं होता। यहां तक कि साफ-सफाई भी खुद करानी पड़ती है। कॉलोनी की स्ट्रीट लाइट भी खुद लगानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि एमडीए ने भी कॉलोनी के मानचित्र के लिए करोड़ों रुपये विकास शुल्क लिया। अब भी जो लोग मानचित्र पास कराते हैं उनसे भी विकास शुल्क लिया जाता है, लेकिन एमडीए ने भी कुछ नहीं किया। इन दोनों के शुल्क में सीवेज शुल्क भी शामिल है।