तो अधिग्रहण के नाम पर हुई 160 करोड़ की लूट
जागरण संवाददाता, मेरठ : जिले में इस समय कई बड़ी परियोजनाओं पर काम चल रहा है। जिसमें मुख्य
जागरण संवाददाता, मेरठ : जिले में इस समय कई बड़ी परियोजनाओं पर काम चल रहा है। जिसमें मुख्य रूप से डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर के साथ एनएच 58 और एनएच 235 शामिल हैं। शनिवार को एक अधिवक्ता ने इन परियोजनाओं के लिए हुए भूमि अधिग्रहण में बडे़ स्तर पर हुए खेल की पोल तथ्यों के साथ खोली। उधर, पहले ही भूमि अधिग्रहण में हुए घपले की जांच आयुक्त के आदेश पर शुरू की जा चुकी है।
पिछले दिनों गाजियाबाद जनपद में दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के लिए किए गए भूमि अधिग्रहण में हुए घपले का राजफाश हुआ था। जिसकी जांच रिपोर्ट आयुक्त डा. प्रभात कुमार द्वारा शासन को सौंपी जा चुकी है। अब मेरठ में भी करीब 160 करोड़ का भू अर्जन के नाम पर हुए खेल का आरोप लगाकर अधिवक्ता ने तमाम तथ्य शनिवार को मीडिया के सामने प्रस्तुत किए। अधिवक्ता भागमल सिंह और अब्दुल वहाब ने बताया कि मेरठ क्षेत्र में निर्माणाधीन एनएच 58 (अब मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे) और मेरठ -बुलदंशहर एनएच 235 के लिए हुए भूमि अधिग्रहण में बडे़ स्तर पर गड़बड़ी की गई। अधिकारियों ने अपने परिजनों और भू माफिया से मिलीभगत कर किसानों के हक के 160 करोड़ रुपये हड़प लिए।
ऐसे हुआ खेल
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे
भारत सरकार में पूर्व सचिव रहे अधिकारी ने अपने परिजनों और परिचितों से मिलकर परियोजना में शामिल गांव चंदसारा, सलेमपुर, भूड़भराल, खानपुर, नगलापातू, परतापुर आदि गांवों में पुश्तैनी किसानों से सस्ती दरों पर जमीन खरीद ली गई और किसानों को यहां 1100 से 2800 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से भुगतान किया गया। जबकि खरीदी गई भूमि को बाद में स्थानीय अधिकारियों से मिली भगत कर आबादी में दर्ज कराया गया और मुआवजा 8,000 से लेकर 12,500 तक प्राप्त किया गया।
मेरठ-बुलंदशहर एनएच 235
पूर्व सचिव पर आरोप है मेरठ-बुलंदशहर एनएच 235 की परियोजना पर सहमति बनते ही यहां भी किसानों से भूमि की खरीद शुरू की गई। गांव फफूंडा, कैली, पांची, बिजौली सहित कई गांवों में किसानों से 400 से 600 रुपये वर्ग मीटर के हिसाब से भूमि खरीद ली गई। बाद में इसी कृषि भूमि को आबादी में दर्ज कराकर 5,000 से 5,800 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मुआवजा वसूल किया गया। खरखौदा में भी ऐसे कई मामले प्रारंभिक जांच में सामने आए हैं।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर
रेलवे की बड़ी परियोजना के लिए इस समय जिले में अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी है। लेकिन गांव छज्जूपुर, इदरीशपुर, समयपुर सुरानी, जंगेठी आदि गांवों में भी बड़े स्तर पर भू अर्जन में घपला किया गया। पूर्व में मेरठ में तैनात रहे एडीएम एलए ने अपने साथियों के साथ मिलकर यहां बडे़ स्तर पर घपला किया। जमीन के कई खसरों में फेरबदल कर 1100 से बढ़ाकर मुआवजा 11950 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से लिया गया। जबकि पुश्तैनी किसानों को बढ़ाए गए मुआवजा सूची में शामिल ही नहीं किया गया।
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सीबीआइ कराए प्रकरण की जांच
किसानों और अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत कराए गए तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर आयुक्त ने पिछले दिनों प्रकरण की जांच अपर आयुक्त को सौंपी थी। अपर आयुक्त ने इस संबंध में एडीएम एलए कार्यालय से परियोजनाओं के लिए किए गए अधिग्रहण से संबंधित रिपोर्ट मांगी है। लेकिन अधिवक्ता ने बड़ा घपला होने के कारण मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की है। साथ ही एडीएम एलए कार्यालय से रिपोर्ट मांगने पर भी सवाल उठाए हैं।
सांसद की भूमिका पर भी सवाल
अधिवक्ता द्वारा उपलब्ध कराए गए अधिग्रहण रिकार्ड के अनुसार सांसद राजेंद्र अग्रवाल की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। सांसद द्वारा दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के लिए अधिग्रहीत की जाने वाली कृषि भूमि के विकास कराने के प्रयास का हवाला 21 मार्च 2011 में दर्ज है।
नोटबंदी के दौरान खरीद ली संपत्ति
मीडिया के सामने कागजात प्रस्तुत करते हुए अधिवक्ता ने मेरठ के पूर्व एडीएम एलए पर आरोप लगाया कि मलियाना स्थित एक कांप्लेक्स में अधिकारी ने अपने साथियों के साथ नोटबंदी के दौरान कई दुकानें भी खरीद ली। इन दुकानों में अब एक निजी बेंच का संचालन हो रहा है।
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इन्होंने कहा ..
अधिग्रहण प्रक्रिया में की गई गड़बड़ी की जांच के निर्देश दिए गए हैं। मेरठ क्षेत्र में भी डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर और एक्सप्रेस-वे में में भी घपले की जांच कराई जा रही है।
- डा. प्रभात कुमार, मंडलायुक्त
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किस अधिवक्ता ने क्या आरोप लगाए हैं, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। मेरे पास लोस क्षेत्र से तमाम लोग सड़क आदि के कामों के लिए आते हैं, जिसकी सहमति देकर मैं विभाग के पास भेज देता हूं। सड़क कहां और किस क्षेत्र में बन रही है यह देखना संबंधित विभाग का काम है। इस तरह के आरोपों से मेरा कोई संबंध नहीं है।
- राजेंद्र अग्रवाल, सांसद