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बस अड्डे पर कामगारों की मजबूरी का सौदा

घर पहुंचने को बेचैन कामगारों को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। बस अड्डे पर इनकी मजबूरी का सौदा किया जा रहा है। भैंसाली बस अड्डे पर रोडवेज कर्मियों ने साइकिलों को बस पर लादने से मना कर दिया। इसके बाद कामगारों को अपनी साढ़े तीन हजार से छह हजार की साइकिल तीन सौ से एक हजार रुपये में बेचनी पड़ीं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 04:00 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 06:00 AM (IST)
बस अड्डे पर कामगारों की मजबूरी का सौदा
बस अड्डे पर कामगारों की मजबूरी का सौदा

मेरठ, जेएनएन। घर पहुंचने को बेचैन कामगारों को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। बस अड्डे पर इनकी मजबूरी का सौदा किया जा रहा है। भैंसाली बस अड्डे पर रोडवेज कर्मियों ने साइकिलों को बस पर लादने से मना कर दिया। इसके बाद कामगारों को अपनी साढ़े तीन हजार से छह हजार की साइकिल तीन सौ से एक हजार रुपये में बेचनी पड़ीं। सोमवार को बिहार के किशनगंज जा रहे कई कामगारों के यह मामला हुआ। तीन चार दिन पहले ऐसा ही प्रकरण लखीमपुर खीरी के कामगारों के साथ हुआ था। यह हाल तो तब है जब सोहराब गेट बस अड्डे पर आगरा और लखनऊ जाने वाली बसें छतों पर सामान लादने के लिए घंटों खड़ी रहती हैं।

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कंकरखेड़ा में कोल्ड स्टोरेज में काम करने वाले शंकर का कहना है कि उसने और 13 साथियों ने यह सोच कर साइकिल खरीदी थी कि बस नहीं मिलने पर साइकिल से घर चले जाएंगे। बस के लिए उनके पास मैसेज आया था। इसमें कुशीनगर (बिहार सीमा) तक छोड़ने की बात कही गई थी। इस पर वह सभी साइकिल लेकर बस अड्डे पहुंच गए। बस अड्डे पर चालक-परिचालक ने साइकिल बस में ले जाने से मना कर दिया। यही नहीं वह साइकिल खरीदने की बात करने लगे। 50 हजार की साइकिलों के बदले मात्र दस हजार रुपये दिए। खास बात यह है कि कामगारों की मदद करने वाली संस्थाएं और अधिकारी कामगारों को लुटता देखते रहे। चार दिन पूर्व ही हरियाणा के भिवाड़ी में गन्ने की छिलाई करने वाले लखीमपुर निवासियों को पांच से छ हजार की साइकिलें एक एक हजार में बेचनी पड़ीं। कामगारों ने साइकिल बचाने के लिए साइकिल से ही जाने की भी अपील की, लेकिन दोपहिया वाहनों से पुलिस उन्हें नहीं जाने दे रही है। सात सौ रुपये के किराए के बदले उन्हें अपनी पांच तीन से छह हजार रुपये की साइकिल की बलि देनी पड़ रही है।

हरियाणा रोडवेज की बसों में

लाद कर लाए थे साइकिल

बताते चलें कुछ दिन पूर्व ही छत्तीसगढ़ से 14 श्रमिक हरियाण रोडवेज की बसों में साइकिल बस पर लाद कर मेरठ आए थे। यूपी रोडवेज के नियम की आड़ में कामगारों की मजबूरी का फायदा कुछ लोग उठा रहे हैं। सोमवार को पूर्ण लॉकडाउन था। ऐसे में बाहरी व्यक्ति तो बस अड्डे पर आ नहीं सकता, रोडवेज स्टाफ, तहसील कर्मी और पुलिस ही मौजूद रही। कामगारों ने बताया कि रकम देने के बाद लोग तुरंत ही सभी साइकिलें मौके से लेकर चले गए।


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