Unlock-1: बाजार खोलने की मिल गई अनुमति तो इबादतगाहों को खोलने की अनुमति क्यों नहीं : दारूल उलूम
दारूल उलूम ने कहा कि अगर लॉकडाउन में बाजारों को खोलने की अनुमति मिल सकती है तो फिर इबादतगाहों को खोलने की अनुमति क्यों नहीं दी जा सकती है।शुकद्रव आश्रम ने सरकार का फैसला माना है।
सहारनपुर, जेएनएन। लॉक डाउन-5 के लिए सरकार ने गाइड लाइन जारी कर दी है। इसी बीच दारुल उलूम देवबंद ने शासन-प्रशासन से इबादतगाह खोलने की अनुमति देने की मांग की है। दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि जब बाजार खोलने और विवाह समारोह की इजाजत दी जा सकती है तो फिर इबादतगाहें क्यों नहीं? लिहाजा शारीरिक दूरी के नियम के साथ इबादतगाह खोली जानी चाहिए।
नोमानी ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि दो माह से भी अधिक समय से सर्व धर्म के लोग धार्मिकस्थलों में इबादत करने से वंचित हैं। मुस्लिम समाज ने भी शब-ए-बराअत, माह-ए-रमजान और ईद की नमाज घरों में अदा की। अब सभी मजहब के लोगों को इबादतगाहों में जाने की अनुमति भी दी जाए। मस्जिद में नमाज अदा करने में चंद मिनट ही लगते हैं, इसलिए शारीरिक दूरी के साथ मस्जिदों और दूसरी इबादतगाहों को भी अब खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए।
बोले संत, सरकार का फैसला मान्य
मुजफ्फरनगर: महाभारतकालीन शुकदेव आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद महाराज ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए कोरोना की चेन को तोड़ा जा सकता है। धार्मिक स्थल खोलने या न खोलने का सरकार का फैसला मान्य होगा।
हनुमत धाम के महामंडलेश्वर स्वामी केशवानंद महाराज का कहना है कि सभी देशवासियों को मिलकर कोरोना से जंग जीतनी है। ऐसे में धार्मिक स्थल खोलना या न खोलना सरकार पर निर्भर करता है। सभी को शासन-प्रशासन के प्रयास में सहयोग करना चाहिए। सरकार जो भी फैसला लेगी, वह संत और समाज को मान्य होगा।