सिर्फ फौजियों के खातों में करता था सेंधमारी, साइबर सेल ने दबोचा Meerut News
सिर्फ फौजियों के खाते में सेंधमारी करने वाले को साइबर सेल की टीम ने दबोच लिया। उनको विश्वास में लेकर आरोपित क्रेडिट कार्ड की जानकारी ले लेता था।
By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 03:38 PM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 03:38 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। सिर्फ फौजियों के खाते में सेंधमारी करने वाले को साइबर सेल की टीम ने दबोच लिया। उनको विश्वास में लेकर आरोपित क्रेडिट कार्ड की जानकारी ले लेता था। गत जनवरी से अब तक छह फौजियों को शिकार बना चुका है। रविवार शाम टीम ने आरोपित को पकड़कर सदर थाना पुलिस को सौंप दिया।
यह है मामला
सदर बाजार निवासी सुनील कुमार सेना में हैं। फिलहाल उनकी तैनाती कैंट में है। पांच माह पहले उन्होंने एसबीआइ का क्रेडिट कार्ड बनवाया था। दो माह पहले उन्होंने साइबर सेल में शिकायत की कि उनके कार्ड से किसी ने 18 हजार रुपये निकाल लिए हैं। इससे पहले भी कई फौजी साइबर सेल में शिकायत कर चुके थे। टीम ने जांच शुरू की तो एक के बाद एक परत खुलती चली गई। पता चला कि सोतीगंज निवासी राजन फौजियों के खातों में सेंधमारी कर रहा है। जनवरी से अब तक वह छह फौजियों के अकाउंट से लाखों रुपये निकाल चुका है।
क्रेडिट कार्ड बनाने वाली कंपनी में करता था काम
साइबर सेल की जांच में पता चला कि आरोपित राजन पहले क्रेडिट कार्ड बनाने वाली कंपनी में काम करता था। जो लोग कार्ड बनवाते थे उनका पूरा डाटा उसके पास होता था। जब कार्ड डिलीवर होता था तो वह बैंक अधिकारी बनकर फोन करता था। गोपनीय जानकारी शेयर करने पर किसी को उसपर शक भी नहीं होता था। इसके बाद वह उनसे कार्ड नंबर और सीवीवी नंबर ले लेता था। इसके बाद उनके मोबाइल नंबर की जगह अपना नंबर रजिस्टर्ड करा देता था। फिर सारे ओटीपी उसके पास आते थे और वह खाते से रुपये निकाल लेता था। या फिर शॉ¨पग आदि कर लेता था। पीड़ित को काफी दिनों बाद पता चलता था।
पहले भी कुछ से कर चुका फ्राड
जांच के दौरान पता चला कि आरोपित पहले भी कई लोगों के साथ धोखाधड़ी कर चुका है। जांच के दौरान जब पुलिस उस तक पहुंची तो उसने कुछ लोगों के रुपये भी वापस किए थे। इस बार वह चंगुल में फंस गया।
छह लोगों की शिकायत पर साइबर सेल की टीम जांच में जुटी थी, क्रेडिट कार्ड बनाने वाली कंपनी में करता था नौकरी, ग्राहकों का डाटा रखता था साथ
इनको बनाया शिकार
सुनील कुमार, सूबेदार ब्रजेश कुमार, यतीश कुमार, भगवान सिंह, सिदिया और अनिल पाल।
आज यहां...कल कहां, इसलिए बनाता था शिकार
पूछताछ के दौरान आरोपित ने बताया कि फौजी आज यहां हैं। कुछ दिन बाद उनका ट्रांसफर हो जाता है। इसलिए उनको शिकार बनाता था। उनके स्थानांतरण के बाद जांच भी ठंडी पड़ जाती, यही सोचकर उनसे ठगी करता था।
यह है मामला
सदर बाजार निवासी सुनील कुमार सेना में हैं। फिलहाल उनकी तैनाती कैंट में है। पांच माह पहले उन्होंने एसबीआइ का क्रेडिट कार्ड बनवाया था। दो माह पहले उन्होंने साइबर सेल में शिकायत की कि उनके कार्ड से किसी ने 18 हजार रुपये निकाल लिए हैं। इससे पहले भी कई फौजी साइबर सेल में शिकायत कर चुके थे। टीम ने जांच शुरू की तो एक के बाद एक परत खुलती चली गई। पता चला कि सोतीगंज निवासी राजन फौजियों के खातों में सेंधमारी कर रहा है। जनवरी से अब तक वह छह फौजियों के अकाउंट से लाखों रुपये निकाल चुका है।
क्रेडिट कार्ड बनाने वाली कंपनी में करता था काम
साइबर सेल की जांच में पता चला कि आरोपित राजन पहले क्रेडिट कार्ड बनाने वाली कंपनी में काम करता था। जो लोग कार्ड बनवाते थे उनका पूरा डाटा उसके पास होता था। जब कार्ड डिलीवर होता था तो वह बैंक अधिकारी बनकर फोन करता था। गोपनीय जानकारी शेयर करने पर किसी को उसपर शक भी नहीं होता था। इसके बाद वह उनसे कार्ड नंबर और सीवीवी नंबर ले लेता था। इसके बाद उनके मोबाइल नंबर की जगह अपना नंबर रजिस्टर्ड करा देता था। फिर सारे ओटीपी उसके पास आते थे और वह खाते से रुपये निकाल लेता था। या फिर शॉ¨पग आदि कर लेता था। पीड़ित को काफी दिनों बाद पता चलता था।
पहले भी कुछ से कर चुका फ्राड
जांच के दौरान पता चला कि आरोपित पहले भी कई लोगों के साथ धोखाधड़ी कर चुका है। जांच के दौरान जब पुलिस उस तक पहुंची तो उसने कुछ लोगों के रुपये भी वापस किए थे। इस बार वह चंगुल में फंस गया।
छह लोगों की शिकायत पर साइबर सेल की टीम जांच में जुटी थी, क्रेडिट कार्ड बनाने वाली कंपनी में करता था नौकरी, ग्राहकों का डाटा रखता था साथ
इनको बनाया शिकार
सुनील कुमार, सूबेदार ब्रजेश कुमार, यतीश कुमार, भगवान सिंह, सिदिया और अनिल पाल।
आज यहां...कल कहां, इसलिए बनाता था शिकार
पूछताछ के दौरान आरोपित ने बताया कि फौजी आज यहां हैं। कुछ दिन बाद उनका ट्रांसफर हो जाता है। इसलिए उनको शिकार बनाता था। उनके स्थानांतरण के बाद जांच भी ठंडी पड़ जाती, यही सोचकर उनसे ठगी करता था।
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