मेरठ की डिस्क स से क्यूबा और स्वीडन बने वर्ल्ड चैंपियन
दोहा में खेली जा रही वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में बेशक भारत की झोली में कोई पदक नहीं आया
मेरठ,जेएनएन। दोहा में खेली जा रही वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में बेशक भारत की झोली में कोई पदक नहीं आया, लेकिन मेरठ के खेल उत्पादों ने एथलीटों को दो स्वर्ण पदक दिला दिए। पुरुष वर्ग के बाद महिला वर्ग की स्वर्ण पदक विजेता क्यूबा की यामी पेरेज के लिए भी मेरठ का डिस्कस लकी रहा। उन्होंने एटीई कंपनी के डिस्कस से ओलंपिक चैंपियन को शिकस्त दी।
दोहा के खलीफा स्टेडियम में 27 सितंबर से खेली जा रही वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में क्यूबा की यामी ने शनिवार को पांचवें प्रयास में 69.17 मीटर की दूरी नापकर दो बार की ओलंपिक विजेता व क्रोएशियन खिलाड़ी सांद्रा व 2015 की विश्व विजेता क्यूबा की डेनिया कैबलेरो को हरा दिया। एटीई के निदेशक आदर्श आनंद ने बताया कि यामी ने इंदिरा मॉडल का डिस्कस फेंका। ये हैवी रिग वेट का आधुनिक तकनीक से बना डिस्कस है, जो हवा को बेहतर तरीके से चीरते हुए आगे बढ़ता है। 2006 एशियन एवं कॉमनवेल्थ खेलों और 2008 बीजिंग ओलंपिक से एटीई के थ्रोइंग उपकरणों ने तकरीबन सभी बड़ी स्पर्धाओं में धाक जमाई। भारत की स्टार डिस्कस थ्रोअर व ओलंपियन कृष्णा पूनिया, विकास गौड़ा समेत कई बड़े एथलीट एटीई कंपनी की डिस्कस से खेलते रहे हैं। पूर्व अंतरराष्ट्रीय थ्रोअर ओमप्रकाश भी कंपनी में बने शॉटपुट का इस्तेमाल करते रहे हैं।
पुरुष वर्ग में भी चमका मेरठी डिस्कस
स्वीडन के डेनियल स्टैल ने चार अक्टूबर को दोहा में पुरुषों की डिस्कस थ्रो स्पर्धा जीती। डेनियल ने मेरठ के नेल्को कंपनी की डिस्कस से 67.94 मीटर की दूरी नापकर स्वर्ण जीता। 1982 में नई दिल्ली एशियाड और 1992 में बार्सिलोना से ओलंपिक में धाक जमाने वाली नेल्को के डिस्कस का जमैका की फेड्रिक्स डेकर्स, आस्ट्रेलिया की डेली स्टीवेंस, डैरेन सैमुअल्स समेत कई अन्य एथलीट प्रयोग कर चुके हैं। नेल्को के निदेशक अंबर आनंद ने बताया कि उनके थ्रोइंग उपकरणों की दुनियाभर के एथलीटों के बीच डिमांड है।
इनका कहना है:::
- क्यूबा की एथलीट यामी ने इंदिरा मॉडल का डिस्कस फेंका, जिसमें 87 फीसद वजन रिग पर और 13 फीसद बीच में है। मेरठ के थ्रोइंग उपकरण डिस्कस, शॉटपुट एवं हैमर दुनियाभर में मशहूर हैं। कई अंतरराष्ट्रीय थ्रोअर व एकेडमी संपर्क में हैं।
- आदर्श आनंद, निदेशक, एटीई।