कहां गुड़ और हरा चारा, ठिठुर रहा गोवंश बेचारा
गोपाष्टमी पर शासन के निर्देश थे कि गोवंशों को हरा चारा और गुड़ दिया जाए लेकिन पशु ठंड से ठिठुरते मिले।
मेरठ, जेएनएन। दो दिन से सर्द हवा चल रही है। यह ठंड कान्हा उपवन के गोवंशों के लिए कहीं खतरा न बन जाए। दरअसल, कान्हा उपवन में गोवंशों को ठंड से बचाने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। बड़ी संख्या में गोवंश खुले टिनशेड के नीचे ठिठुर रहे हैं। गोपाष्टमी पर गोवंश को हरा चारा और गुड़ खिलाने के आदेश थे, लेकिन यहां गोवंश ठिठुरते हुए मिले।
बराल परतापुर में नगर निगम के स्वामित्व वाले कान्हा उपवन को बसे दो साल हो गए हैं। यहां पर 500 गोवंश रखने की क्षमता है। नगर निगम अधिकारियों के दावे के मुताबिक यहां पर 450 से अधिक गोवंश मौजूद हैं। इन गोवंशों के लिए तीन पशुबाड़े बने हैं। बड़े पशुबाड़े को तो चारों तरफ से तिरपाल से ढक दिया गया है। इससे गोवंश ठंड में काफी हद तक सुरक्षित हैं, लेकिन छोटे पशुबाड़ों में तिरपाल का इंतजाम नहीं हो पाया है। इससे लगभग 200 गोवंश सीधे तौर पर सर्द हवा की चपेट में हैं। यही नहीं, अभी तक टिनशेड के नीचे वातावरण को गर्म रखने के लिए सोडियम लाइट जलाने का प्रबंध भी नहीं किया गया है।
गोपाष्टमी पर भी नहीं मिला हरा चारा
रविवार को गोपाष्टमी थी। शासन से निर्देश थे कि गोवंशों को हरा चारा दिया जाएगा। उनको गुड़ खिलाया जाएगा। पर अफसोस की बात है कि इस दिन भी कान्हा उपवन के गोवंशों को हरा चारा नसीब नहीं हुआ। गोवंशों के आगे सूखा भूसा डाल दिया गया। यह स्थिति पिछले आठ दिन से बनी हुई है। गोवंशों का पेट सूखे भूसे से भरा जा रहा है।
टूट रहे गेट, उखड़ गई ईटें
दो साल पहले कान्हा उपवन बसाया गया था। करीब दो करोड़ रुपये निर्माण कार्य पर खर्च हुए थे। लेकिन यह निर्माण दो साल भी नहीं ठीक हो सका। कान्हा उपवन के पशुबाड़ों की चरही, गेट और दीवारों की ईटें उखड़ गई हैं। चार माह पहले भूसा कक्ष का निर्माण शुरू हुआ था जिसकी नींव भी अभी तक पूरी नहीं हो सकी।
देखभाल में लगे कर्मचारियों को नहीं मिला वेतन
कान्हा उपवन में गोवंशों की देखभाल में 18 आउटसोर्सिग कर्मचारी लगे हैं। इनको दो माह से वेतन नहीं मिला है। इससे कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।
इन्होंने कहा-
ठंड से बचाव के इंतजाम किए जा रहे हैं। तिरपाल आ गए हैं। दो दिन में सभी पशुबाड़ों को कवर कर दिया जाएगा। निर्माण कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं। हरा चारा इस समय उपलब्ध नहीं है। गन्ने की पत्ती मंगवाई जा रही है।
ब्रजपाल सिंह, सहायक नगर आयुक्त
मवाना में गोवंश को ठंड से बचाने के बंदोबस्त नहीं
मवाना स्थित पिजरापोल गोशाला में सफाई व्यवस्था बदहाल है। गोबर नहीं हटने के कारण परिसर में गंदगी पसरी है। रविवार को गोपाष्टमी पर भवन के आगे तो सफाई करा दी गई, लेकिन अंदर गंदगी ही पसरी रही। कड़ाके की सर्दी शुरू होने के बावजूद बचाव के नाम पर टिनशेड पर पालीथिन शीट डाली गई है। इस गोशाला में 176 गोवंश हैं। इनमें 78 मवाना ब्लाक के तथा 49 नगर पालिका द्वारा लाए गए बेसहारा गोवंश हैं। गत वर्ष जाड़े में यहां दो गोवंशों की मौत हो गई थी। गोशाला के उपसभापति मुकेश गुप्ता ने बताया कि गोशाला के पास 52 बीघा जमीन है, जिसमें 32 बीघा कृषि फार्म है। इसमें पशुओं के लिये हरा चारा बोया जाता है। 30 रुपये प्रति पशु संबंधित विभाग द्वारा चारा मुहैया कराया जाता है। भूसे के भंडारण के लिये दो गोदाम हैं। अभी शासन स्तर से गोशाला को कोई सहायता नहीं मिली है। अंदर परिसर में नियमित सफाई कराई जाती है। सर्दी से बचाव के लिये नगर पालिका व ब्लाक स्तर से पालीथिन की शीट डलवाई गई हैं।
सरधना में भी गोवंशों का बुरा हाल
सरधना नगर पालिका के तहत आने वाली गोशाला में गोवंश को ठंड से बचाने के लिए कोई पुख्ता बंदोबस्त नहीं किए गए हैं। नवीन मंडी गोआश्रय स्थल में लगभग 105 गोवंश हैं। विकास खंड द्वारा इनकी देखरेख के लिए लाखों खर्च किया जाता है। इन गोशालाओं में पराली के भंडार तो पर्याप्त मात्रा में हैं लेकिन गोवंश को हरा चारा खिलाने की कोई व्यवस्था नहीं है। उधर, गोवंश को ठंड से बचाने के लिए टेंट के पर्दो का इस्तेमाल किया गया है। प्लास्टिक शीट डालकर खानापूरी की गई है। गोशाला के मुख्य गेट पर बछड़ों को ठंड से बचाने के कोई व्यवस्था नहीं है। खुले में बंधे बछड़ों को ठंड लगने की पूरी आशंका है। विकास खंड अधिकारी सुनित कुमार भाटी ने दावा किया कि गोवंश को ठंड से बचाने के लिए विशेष बंदोबस्त किए गए हैं। इनकी देखरेख के लिए हर समय गोसेवक मौजूद होते हैं। पशु चिकित्सकों की टीम नियमित जांच करती है। वहीं, एसडीएम व कार्यवाहक ईओ अमित कुमार भारतीय ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। अगर अव्यवस्था है तो उसे सुधारा जाएगा। लापरवाही मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।