कोरोना काल में पाठ्यक्रम तो घटा पर पाठ नहीं
कोविड-19 के कारण हुए लाकडाउन में स्कूल बंद होने से सिलेबस पूरा करना सबसे बड़ी चुनौती बनी है।
मेरठ, जेएनएन। कोविड-19 के कारण हुए लाकडाउन में स्कूल बंद होने से सिलेबस पूरा करना सबसे बड़ी चुनौती बनी है। स्कूल, शिक्षक और छात्रों की असुविधा को ध्यान में रखते हुए सीबीएसई और सीआइएससीई सहित यूपी व अन्य बोर्ड ने 30 फीसद तक सिलेबस कम कर दिया है। आगे और भी सिलेबस कम किया जा सकता है। ऐसे में छात्रों से लेकर अभिभावकों के मन में कम सिलेबस के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं में पीछे रहने की आशंका घर करने लगी है। ऐसे में सीबीएसई ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि बोर्ड परीक्षा से सिलेबस कम जरूर किया गया है लेकिन छात्रों को हर चैप्टर पढ़ाया जाना है। विभिन्न चैप्टर्स के हर टापिक को छात्र पढ़ेंगे। उन टापिक्स में कम महत्वपूर्ण विस्तार को हटाकर कोर कांसेप्ट को ही रखा गया है।
पढ़ना है पूरा, केवल परीक्षा में राहत
मेडिकल व इंजीनियरिग के छात्र स्कूल का सिलेबस पढ़ने के साथ ही कोचिग में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी अलग से करनी पड़ती है। इस कड़ी में उनका स्कूल का सिलेबस भी काफी हद तक कवर हो जाता है। अब इस सत्र में स्कूल बंद होने के बाद आनलाइन चल रही पढ़ाई में समय कम रह गया। इसलिए बोर्ड परीक्षा में कम सिलेबस से प्रश्न लिए जाएंगे। लेकिन स्कूल छात्रों को हर चैप्टर पढ़ाएंगे, जिससे बोर्ड परीक्षा के बाद की जरूरतें भी काफी हद तक पूरी हो सकें। छात्र बिदु को पढ़े रहेंगे तो उन्हें कम समय में रिवीजन में आसानी होगी।
धारणा बनेगी पर नुकसान नहीं होगा
सीबीएसई के एक्स एग्जाम कंट्रोलर डा. पवनेश कुमार के अनुसार सिलेबस कम होने से छात्रों की अधूरी तैयारी को लेकर आम धारणा बन सकती है लेकिन सीबीएसई ने सिलेबस कम करने में इसका ख्याल रखा है। शिक्षकों को अब सिलेबस पूरा कराने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलेगा। ऐसे में छात्रों को सभी चैप्टर के मूल तत्व को पढ़ाते हुए आगे बढ़ेंगे। बोर्ड परीक्षा के पेपर भी उन्हीं मूल तत्वों पर ही आधारित होंगे। सामान्य सत्र में भी स्कूल अक्टूबर-नवंबर तक बोर्ड परीक्षा का सिलेबस पूरा कर प्री-बोर्ड के लिए रिवीजन कराने लगते हैं। इसलिए स्थिति थोड़ी सामान्य हो तो काफी हद तक सिलेबस कवर किया जा सकता है।
टीचिग हुई, पर लर्निंग नहीं
केएल इंटरनेशनल स्कूल के प्रिसिपल सुधांशु शेखर के अनुसार स्कूल बंद रहने के दौरान आनलाइन व्यवस्था में टीचिग तो हुई लेकिन छात्रों की लर्निंग नहीं हो सकी है। इसका असर टेस्ट में भी दिख रहा है। इस महीने यदि स्कूल सुचारू रूप से संचालित हो सकें तो सिलेबस कवर करने की कोशिश रहेगी। सीबीएसई ने कोई भी चैप्टर पूरा नहीं हटाया है। कुछ हिस्से कम किए हैं। इसी तरह प्रैक्टिकल में भी टापिक्स को हटाने की बजाय दूसरे टापिक में जोड़कर प्रैक्टिकल कराने की व्यवस्था की है।