Move to Jagran APP

हस्तिनापुर में बनेगा देश का पहला डाल्फिन ब्रीडिंग सेंटर

गंगा की लहरों पर डाल्फिन की उछलकूद बढ़ाने के लिए वन विभाग ने बड़ा प्रोज

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Aug 2021 03:45 AM (IST)Updated: Wed, 25 Aug 2021 03:45 AM (IST)
हस्तिनापुर में बनेगा देश का पहला डाल्फिन ब्रीडिंग सेंटर
हस्तिनापुर में बनेगा देश का पहला डाल्फिन ब्रीडिंग सेंटर

संतोष शुक्ल, मेरठ। गंगा की लहरों पर डाल्फिन की उछलकूद बढ़ाने के लिए वन विभाग ने बड़ा प्रोजेक्ट बनाया है। मेरठ में देश का पहला ब्रीडिंग सेंटर बनाने की तैयारी है, जहां पैदा होने वाली डाल्फिनों को गंगा में छोड़ा जाएगा। मानसून के बाद सितंबर-अक्टूबर में नदी में पानी घटने पर सर्वे शुरू होगा। बता दें कि बिहार के भागलपुर में डाल्फिन का रेस्क्यू व संरक्षण केंद्र बना हैं, लेकिन प्रजनन केंद्र नहीं है।

loksabha election banner

केंद्र सरकार ने 2009 में गंगेटिक डाल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया। यह साफ सुथरे पानी में रहने वाला स्तनपायी जीव है। बिजनौर बैराज से हस्तिनापुर और नरौरा बैराज तक गंगेटिक डाल्फिनों की संख्या बेहतर है। वन्य जीव विशेषज्ञों ने इसे दुर्लभ जीव मानते हुए संरक्षण के लिए आगाह किया है। प्रदूषण और शिकार की वजह से बड़ी संख्या में गंगेटिक डाल्फिनों के वजूद पर खतरा है। व‌र्ल्ड वाइल्ड लाइफ फेडरेशन एवं वन विभाग की टीम गंगा नदी में पाई जाने वाली स्तनपायी जीव की गणना करती रहती है। विशेषज्ञों के मुताबिक हस्तिनापुर से नरौरा के बीच गंगेटिक डाल्फिन के संरक्षण की बेहतर गुंजाइश है। देहरादून की टीम करेगी सर्वे

वन विभाग ने मानसून खत्म होने के बाद वाइल्डलाइफ इंस्टीटयूट आफ इंडिया देहरादून से सर्वे कराने की योजना तय की है। टीम नदी के जल की गुणवत्ता, गहराई, तटों का विस्तार एवं अन्य भौगोलिक पहलुओं का अध्ययन करेगी। फिलहाल, गंगेटिक डाल्फिन गंगा के अलावा सिंधु एवं ब्रह्मपुत्र नदी के कुछ हिस्सों में मिलती है। इको टूरिज्म को भी मिलेगा नवजीवन

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हस्तिनापुर में इको टूरिज्म बढ़ाने के लिए डाल्फिन के चित्रों की गैलरी बनाने की योजना थी। लेकिन अब ब्रीडिंग सेंटर बनेगा, जिसके लिए सितंबर-अक्टूबर से कई स्तर पर सर्वे होंगे। फिलहाल, हस्तिनापुर में कछुओं के अंडों को संरक्षित कर निकलने वाले बच्चों को नदी में छोड़ा जा रहा है। क्या है डाल्फिन

डाल्फिन की दुनियाभर में 43 प्रजातियां मिली हैं, जिसमें पांच नदियों में रहती हैं। अन्य खारे पानी में पाई जाती हैं। उम्र करीब 15 साल होती है। यह 20 मिनट तक पानी में रह सकती है, जिसे सांस लेने के लिए बार-बार सतह पर आना पड़ता है।

इन्होंने कहा-

हस्तिनापुर में जैव विविधता बेहतर है। यहां पर गंगेटिक डाल्फिन के ब्रीडिंग सेंटर बनाने की योजना है। मकदूमपुर में डाल्फिन अक्सर देखी जाती है। वाइल्डलाइफ फेडरेशन आफ इंडिया, देहरादून की टीम सितंबर-अक्टूबर में गंगा नदी में डाल्फिन पर सर्वे करेगी।

-राजेश कुमार, डीएफओ, मेरठ


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.