Coronavirus Vaccination in Meerut: वैक्सीन की दस फीसद खुराक बर्बाद होने से प्रशासन चिंतित, बचाव के लिए अब ये करेंगे
यह वाकई ताज्जुब की बात है कि मेरठ में कोरोना टीकाकरण के पहले चरण में कोरोना वैक्सीन की करीब दस फीसद बर्बाद हो गई। इसके लिए अब स्थानीय प्रशासन मंथन करने में जुट गया है। ताकि भविष्य में इस प्रकार के नुकसान से बचा जा सका।
मेरठ, जेएनएन। Coronavirus Vaccination in Meerut कोरोना वैक्सीन की एक-एक खुराक महत्वपूर्ण है, लेकिन तमाम वजहों से दस फीसद खुराक बर्बाद होने से प्रशासन अलर्ट हो गया है। प्रशासन की तैयारियों के मुताबिक कोई नई वायल तभी खोली जाएगी, जब टीका लेने के लिए दस लोग उपलब्ध होंगे। एक वायल में दस डोज होती है। चिकित्सकों की रिपोर्ट बताती है कि शीशी खुलने के बाद डोज खराब हो जाती है। ऐसे में 22, 28 और 29 जनवरी को होने वाले टीकाकरण में डोज की बर्बादी रोकने के भरपूर प्रयास होंगे।
बची डोज का किया नष्ट
सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने बताया कि भरपूर सतर्कता के बावजूद आठ से दस फीसद डोज खराब हो सकती है। 16 जनवरी को पहले चरण में कई बूथों पर नई वायल तो खुल गई, लेकिन लगवाने वालों की संख्या पांच तक नहीं पहुंची। बची डोज को नष्ट करना पड़ा। मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डा. अशोक तालियान ने बताया कि रखरखाव में तापमान में बदलाव से वैक्सीन खराब होती है। लेकिन यहां पर कोल्ड चेन पूरी सतर्कता से मेंटेन की जा रही है। आइस पैक में 2-8 डिग्री के बीच का तापमान मेंटेन किया जा रहा है, जबकि इंसुलेटेड कंटेनर से वैक्सीन नई दिल्ली से मंगाई गई।
यह भी जान लीजिए
ऐसे में रखरखाव में वैक्सीन खराब होने की गुंजाइश बेहद कम है। मेडिकल कोज में टीकाकरण के दौरान कई डोज खराब हो गई। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने यहां तक बताया कि वैक्सीन लगाने के लिए प्रयोग की जा रही सिरिंज एक बार में .5 मिलीलीटर दवा निकालती है, लेकिन आटोमेटिक सिरिंज कई बार .2 या .3 मिली निकालकार ही लाक हो जाती है। इस डोज को भी प्रयोग न कर नष्ट कर दिया जाता है। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. प्रवीण गौतम ने बताया कि .5 मिली की पहली डोज लेने के बाद 28वें दिन दोबारा इतनी ही मात्रा में वैक्सीन दी जाएगी। इसके दस दिन यानी पहले टीके के 42 दिन बाद पर्याप्त एंटीबाडी टाइटर बनेंगे। ये एंटीबाडी छह माह तक मजबूत रहेगी, और धीरे-धीरे कम होने के बावजूद सालभर तक संक्रमण से बचाव में सक्षम होगी।