Coronavirus: कोरोना को लेकर मेरठ का मामला गंभीर, मौत की दर सबसे ज्यादा और रिकवरी सबसे कम Meerut News
आज की मेरठ की तस्वीर को अगर देखें तो आंकड़ें चिंता देने वाले हैं। मौत की दर में मेरठ न सिर्फ प्रदेश के जिलों बल्कि दिल्ली और मुंबई जैसे संक्रमित शहर से भी काफी ऊपर है।
मेरठ, [रवि प्रकाश तिवारी]। Coronavirus कोरोना के संक्रमण की जद में अब मेरठ का लगभग हर इलाका है। खासकर शहरी। मई का महीना मेरठ पर काफी भारी पड़ा। अप्रैल के तीसरे सप्ताह तक जो स्थिति काबू में चल रही थी, वह मई के पहले सप्ताह में ही हाथ से फिसल गई। आज की मेरठ की तस्वीर को अगर देखें तो आंकड़ें चिंता देने वाले हैं। मौत की दर में मेरठ न सिर्फ प्रदेश के जिलों, बल्कि दिल्ली और मुंबई जैसे संक्रमित शहर से भी काफी ऊपर है। इसी तरह अगर रिकवरी की बात करें तो हमारा प्रदर्शन सबसे फिसड्डी है। राष्ट्रीय औसत से भी पीछे। प्रदेश के दूसरे जिलों की तुलना में मेरठ की स्थिति का एक तुलनात्मक अध्ययन पेश है।
तीन गुना खतरनाक है मेरठ का वायरस
मेरठ के वायरस को लेकर भी कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। अमूमन कोरोना का मरीज 14 दिन में स्वस्थ हो जाता है और फिर उसे 14 दिन का होम क्वारंटाइन किया जाता है। भारत सरकार तो अब इस समय को भी कम कर रही है। ‘बेबी डॉल’ फेम कनिका कपूर का केस तब काफी चर्चा में आया था जब वे पांच बार जांच में पॉजिटिव आयी थीं। हालांकि उन्हें भी 18 दिन में छुट्टी मिल गई थी, लेकिन मेरठ के एक पॉजिटिव केस को रिकवर होने में 42 दिन लग गए यानी इसमें वायरस का असर तीन गुना रहा। अमरावती से आए मरीज से यह व्यक्ति संक्रमित हुआ था और कोरोना पॉजिटिव आने के 42वें दिन स्वस्थ होकर घर लौटा था। मेरठ में मिले वायरस का असर काफी कुछ वुहान व गुजरात के केसों से मेल खा रहा है। हालांकि अभी इस दिशा में माइक्रोबायोलॉजिस्ट अध्ययन में जुटे हुए हैं। इससे पहले स्वाइन फ्लू के मामले में भी मेरठ की स्थिति बेहद बुरी रह चुकी है। 2017 में मेरठ के 22 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 2019-20 में भी आठ लोग मर चुके थे, जो प्रदेश में सबसे ज्यादा था।
पश्चिम के देशों जैसे हालात
मेरठ में मौत की दर का 5.34 पर पहुंचना यहां के लोगों के लिए भी चिंताजनक है। हमारी हालत पश्चिमी देशों और यूरोप के कुछ बड़े शहरों की तरह होती जा रही है। मेरठ की मृत्यु दर से कुछ ही ज्यादर ब्राजील, कैलिफोर्निया लांस एंजिलिस है। बड़े शहरों में शिकागो की मृत्यु दर सबसे अधिक 10.02 है। वैश्विक स्तर पर मृत्यु दर फिलहाल 6.7 फीसद के आसपास तक पहुंच गई है। पहले कोरोना की मृत्यु दर 3 से 4 फीसद के बीच मानी जा रही थी, लेकिन यूरोपीय देशों ने पूरी तस्वीर बदल दी और मृत्यु दर के आंकड़े को दोगुना कर दिया।
भारी पड़ा मई का महीना
30 अप्रैल तक मेरठ में पांच लोगों की ही मौत हुई थी, जबकि अगले 10 दिनों में नौ लोगों ने जान गंवा दी। यानी हर रोज एक संक्रमित ने दम तोड़ा। मई के यही वो 12 दिन हैं, जब मेरठ के खाते में 157 मरीज जुड़े। याद कीजिए, मेरठ का पहला मरीज 27 मार्च को मिला था। 30 अप्रैल तक इनकी संख्या 19 हुई थी। अप्रैल के 30 दिन में 86 मरीज जुड़े और पांच लोगों ने दम तोड़ा, 55 रिकवर भी हुए। यानी अप्रैल तक 34 दिनों में मेरठ में कुल 105 मरीज सामने आए और मौत पांच तक पहुंची।
रिकवरी रेट का गिरना चिंताजनक
मेरठ में मरीजों के स्वस्थ होने का सिलसिला अप्रैल के दूसरे सप्ताह से शुरू हुआ। अप्रैल के तीन सप्ताह में 55 लोग स्वस्थ होकर घर लौटे। यानी रिकवरी की दर 52 फीसद से ज्यादा रही, लेकिन मई में 12 दिनों में केवल 17 लोग छूटे। ऐसे में अब रिकवरी रेट घटकर 27.48 फीसद तक गिर गई। यह प्रदेश, राज्य और राष्ट्रीय औसत से भी कम है। राष्ट्रीय मृत्यु दर 3.15 जबकि रिकवरी रेट 32.88 फीसद है।