Test & Smell Loss in Coronavirus: स्वाद और गंध गायब, मतलब आप खतरे से बाहर, जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ
Coronavirus Symptoms of Test Smell Loss कोरोना संक्रमित मरीजों में कुछ दिनों के लिए महक और स्वाद को महसूस करना गायब हो जाए तो समझिए खतरा टल गया है। वायरस नाक में रह जाता है फेफड़ों में नहीं पहुंचता। निमोनिया का खतरा नहीं घबराकर न कराएं चेस्ट सीटी।
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। Coronavirus Symptoms of Test & Smell Loss कोरोना संक्रमित मरीजों में कुछ दिनों के लिए महक और स्वाद को महसूस करना गायब हो जाए तो समझिए खतरा टल गया है। यह वायरस नाक में प्रवेश कर महक और स्वाद की जानकारी देने वाले सेंसर यानी आलफैक्ट्री रिसेप्टर में रुककर इसे प्रभावित कर देता है, लेकिन इसके बाद यह फेफड़ों में नहीं पहुंच पाता। ऐसा होने पर मरीज निमोनिया से बच जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि स्वाद और महक (गंध) गंवाने वाले मरीजों को भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ी। ऐसे मरीजों को छाती का एक्सरे, चेस्ट सीटी और ब्लड टेस्ट कराने से भी बचना चाहिए।
मेडिकल कालेज के फिजिशियन डा. अरविंद बताते हैं कि 70 से 80 फीसद कोरोना मरीजों में बुखार के साथ ही स्वाद व महक गायब होने के लक्षण आम हैं। कई बार यह महक सप्ताहभर से लेकर तीन माह बाद वापस आती है। वायरस नाक में जरा सा ऊपर पहुंचकर उन न्यूरान को प्रभावित करता है, जो दिमाग में पहुंचकर गंध व स्वाद की अनुभूति कराता है। ये लक्षण शुरुआती दिनों में ही उभर आते हैं। डा. अरविंद के अनुसार कैलीफोॢनया विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट में भी पता चला है कि स्वाद व गंध का जाना अच्छा संकेत है। फिजिशियन डा. तनुराज सिरोही कहते हैं कि 90 फीसद लोगों में स्वाद व गंध की क्षमता जल्द वापस आ जाती है, लेकिन कई बार महीनों लग सकते हैं। घबराना नहीं चाहिए।
डायरिया या उल्टी में भी खतरा नहीं
कोरोना मरीजों में डायरिया, उल्टी व जी मिचलाने जैसे लक्षण भी मिलते हैं। ये लक्षण खतरनाक नहीं हैं क्योंकि ऐसे लक्षण का मतलब वायरस फेफड़ों तक नहीं पहुंचा। दरअसल, वायरस गले में पहुंचकर दो रास्तों से गुजर सकता है। अगर पेट के रास्ते गया तो उल्टी, पेचिश व जीआई सिंड्रोम जैसे लक्षण होंगे लेकिन मरीज की तबीयत गंभीर नहीं होगी। करीब 30 फीसद संक्रमितों में जीआई सिंड्रोम मिलता है। अगर वायरस ने फेफड़े का रास्ता पकड़ा तो तीन दिन में खांसी शुरू हो जाएगी। लक्षणों के आधार पर वायरस को यहीं रोक लेना होगा अन्यथा फेफड़े में सूजन से सांस लेने में दिक्कत बढ़ती है और आक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है।
इनका कहना है...
कोरोना वायरस नाक में स्थित स्वाद व गंध वाले न्यूरान को प्रभावित कर देता है लेकिन तब वो फेफड़ों की तरफ नहीं बढ़ता, यह स्थिति बेहतर है। खतरा सिर्फ फेफड़ों में पहुंचने पर है। यह डायरिया, आंखों में लालिमा, स्किन पर चकत्ते और लिवर व गाल ब्लैडर में सूजन ला सकता है, जो ज्यादातर ठीक हो जाती हैं। कई बार रक्त का थक्का ब्रेन व हार्ट अटैक का कारण बनता है। इसके लिए ब्लड थिनर बेहतर दवा है।
- डा. वीएन त्यागी, सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ
कोरोना वायरस नाक में रुककर स्वाद व गंध की क्षमता को प्रभावित कर देता है लेकिन तब वह निमोनिया का कारण नहीं बनता। ऐसे मरीजों को होम आइसोलेशन में इलाज देकर आराम से ठीक किया जा सकता है। खतरा तब है जब वायरस फेफड़ों में पहुंचकर सूजन बढ़ाए। इससे आक्सीजन की कमी पडऩे व मल्टीआर्गन फेल्योर से मरीज की हालत बिगड़ सकती है।
- डा. अमित अग्रवाल, सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ