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मेरठ में कोरोना का कहर : पिता के कंधे पर निकली पुत्र की अर्थी, तो किसी का परिवार ही हो गया तबाह, देख कांप गई जिंदगी

बुधवार को दारुण दृश्य तब दिखा जब ब्रह्मपुरी निवासी बिरजू प्रसाद अपने जवान विवाहित बेटे की अर्थी लेकर श्मशानघाट पहुंचे। जिस पुत्र को न मालूम कितने प्यार-दुलार से पाला था उसी को थरथराते बदन से मुखाग्नि देते बिरजू प्रसाद को देख मानों जिंदगी भी भयभीत होकर रो पड़ी।

By Himanshu DwivediEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 09:39 AM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 09:39 AM (IST)
मेरठ में कोरोना का कहर : पिता के कंधे पर निकली पुत्र की अर्थी, तो किसी का परिवार ही हो गया तबाह, देख कांप गई जिंदगी
पिता के कंधों पर निकली बेटे की अ‍र्थी।

मेरठ, जेएनएन। जो आया है वो जाएगा, यह विधि का विधान है लेकिन सत्य यह भी है कि ऊपरवाले की इस फानी दुनिया में जिंदगी और मौत के बीच कभी-कभी कुछ घटनाएं ऐसी हो जाती हैं कि बस रो पड़ने को दिल करता है। कोरोना के इस संक्रमण काल ने आदमी की विवशता को खोलकर सामने रख दिया है। हंसते खेलते कई परिवार बर्बाद हो गए हैं। परिस्थितियां कुछ ऐसी कठिन बन गई हैं कि मृतकों का अंतिम संस्कार करने वाले स्वजन के लिए अब खुद को बचाए रखना भी बड़ी चुनौती बन चुकी है। श्मशान घाट पर दोपहर के समय सूरज की तपिश और चिताओं की गर्मी के बीच पीपीई किट पहनकर अंतिम संस्कार करना बड़ी चुनौती साबित हो रही है। स्थिति इतनी विकराल है कि अपनों के खोने का लोग ठीक से मातम भी नहीं मना पा रहे हैं। नम आंखों से अंतिम दाग देकर ही रस्मों को निभाने की मजबूरी ने अंतिम संस्कार के मायनों को ही बदल दिया है।

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पिता ने जवान बेटे को दी मुखाग्नि

पिता के कंधे पर पुत्र की अर्थी को संसार का सबसे बड़ा बोझ माना जाता है। बुधवार को ऐसा ही दारुण दृश्य तब दिखा जब ब्रrापुरी निवासी बिरजू प्रसाद अपने जवान विवाहित बेटे की अर्थी लेकर श्मशानघाट पहुंचे। जिस पुत्र को न मालूम कितने प्यार-दुलार से पाला था, उसी को थरथराते बदन से मुखाग्नि देते बिरजू प्रसाद को देख मानों जिंदगी भी भयभीत होकर रो पड़ी। बिरजू प्रसाद जार-जार रो रहे थे। कलपते हुए उनके मुख से निकल रहा था कि हे राम, यह कैसा विकराल समय आ गया। जिस जवान बेटे के कंधों पर मुङो श्मशान आना था, आज वही बेटा मेरे कंधों पर श्मशान पहुंचा है। कैसे कटेगी बहू और छोटे बच्चों की जिंदगी। बिरजू प्रसाद ने जब आसमान की ओर हाथ उठाकर पूछा कि आखिर ऐसा अनर्थ तूने क्यों किया, ऐसी विकराल सजा मेरे परिवार को तूने क्यों दी, ..आसपास खड़े पुरोहितों की भी आंखें नम हो गईं। लोगों के पास शब्द ही नहीं थे इस बुजुर्ग पिता को समझाने के लिए। श्मशान के उस कोने में विधि के विधान के आगे आदमी बेबस था, जिंदगी भी बेबस थी।

पापा की गुड़िया को कौन देगा प्यार

दिल्ली रोड स्थित एक कालोनी के निवासी ब्रrा सिंह के दो पुत्र हैं अमित और रवि। कुछ दिनों पहले अमित को बुखार हुआ और जांच में रिपोर्ट पाजिटिव आ गई। परिवार के सदस्यों ने चिकित्सक से परामर्श के बाद अमित को होम आइसोलेशन में कर दिया। रिकवरी होनी भी शुरु हो गई लेकिन दो दिन पहले अचानक अमित का आक्सीजन स्तर तेजी से कम होने लगा। यह देखकर परिवार के लोगों के होश उड़ गए। उन्होंने किसी तरह अमित को सुभारती हास्पिटल में भर्ती कराया लेकिन चिकित्सक तमाम प्रयासों के बावजूद भी अमित को बचा नहीं सके। अमित की तीन साल की बेटी है। परिवार के लोग बस यही कहते रहे कि पापा की गुड़िया को पिता का प्यार अब कौन देगा।

परिवार को ही तबाह कर दिया

गढ़ रोड स्थित एक कालोनी निवासी इंद्रजीत ने सुबकते हुए बताया कि कोरोना महामारी ने उनके परिवार को ही तबाह कर दिया। पूरा परिवार संक्रमित हो चुका है। परिवार के दो सदस्यों की पहले ही मौत हो चुकी है। तीसरे का अंतिम संस्कार करने श्मशान आए हैं, दो और लोग जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। अपने छोटे भाई प्रियांश की धधकती चिता के सामने खड़े इंद्रजीत बस यही बोल पा रहे थे, ..कोरोना, तेरा सत्यानाश हो। तूने मेरा परिवार तबाह कर दिया। 


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