Move to Jagran APP

Corona Effect: पांच-छह साल के होकर ही स्कूल पहुंचेंगे नौनिहाल, घर पर ही कराते रहें बच्चों को रीडिंग, राइटिंग का अभ्‍यास

तीन साल से ही जिन बच्चों को स्कूल भेजने की प्रक्रिया शुरू हो जाती रही है वह बच्चे कोविड काल में पांच साल से अधिक उम्र के हो गए हैं लेकिन स्कूल नहीं पहुंचे। पहली बार होगा जब बच्चे बिना स्कूल गए कक्षा एक से पढ़ाई शुरू करेंगे।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 11:50 PM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 11:50 PM (IST)
Corona Effect: पांच-छह साल के होकर ही स्कूल पहुंचेंगे नौनिहाल, घर पर ही कराते रहें बच्चों को रीडिंग, राइटिंग का अभ्‍यास
कक्षा एक में भी पहुंचे बच्चों के लिए नया स्कूल अभी दूर है।

मेरठ, जेएनएन। इस बार यह विडंबना ही है कि तीन साल से ही जिन बच्चों को स्कूल भेजने की प्रक्रिया शुरू हो जाती रही है वह बच्चे कोविड काल में पांच साल से अधिक उम्र के हो गए हैं लेकिन स्कूल नहीं पहुंचे। पिछले कई सालों में ऐसा पहली बार होगा जब बच्चे बिना स्कूल गए पांच से छह साल की उम्र में कक्षा एक से पढ़ाई शुरू करेंगे। प्री-प्राइमरी की पूरी शिक्षा पारिवारिक पाठशाला में ही पूरी हो रही है। माता-पिता बच्चों को पढ़ाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन बच्चों की प्रगति से बहुत कम लोग ही संतुष्ट हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि बच्चे स्कूल पहुंचने पर अन्य बच्चों के साथ सामाजिक तौर पर भी जुड़ते हैं। उनकी सीख केवल किताबी नहीं बल्कि सामाजिक भी होती है जो घर में नहीं हो पा रही है।

loksabha election banner

शिक्षकों से भी नहीं हुई बातचीत

पिछले साल जो बच्चे नर्सरी से एलकेजी में पहुंचे वह स्कूल नहीं गए। एलकेजी और यूकेजी के बच्चे भी स्कूल नहीं देख सके। प्री-प्राइमरी पार कर कक्षा एक में भी पहुंचे बच्चों के लिए नया स्कूल अभी दूर ही है। ऐसे में कक्षा एक या उससे ऊपर के बच्चे तो आनलाइन लाइव क्लास में शिक्षकों संग बातचीत कर सके लेकिन प्री-प्राइमरी के बच्चों की पूरी पढ़ाई माता-पिता ने ही करवाई। स्कूलों से केवल पाठ्य सामग्री ही मिले। कक्षा एक में यह बच्चे किसी बड़े व नए स्कूल में पहुंचेंगे जहां शिक्षकों को ऐसे बच्चों पर अतिरिक्त मेहनत करनी होगी। पहली चुनौती सभी बच्चों को सामाजिक ताने-बाने में बुनने का होगा जिसमें उन्हें दो साल पहले ही बंधना चाहिए था। दूसरी चुनौती घर में रहकर चिड़चिड़े व लड़ाकू प्रवृत्ति के हो चुके अधिकतर बच्चों को एक साथ बिठाकर पढ़ना भी सिखाना होगा।

बदलनी होगी पेडगोजी

दीवान पब्लिक स्कूल के निदेशक एचएम राउत के अनुसार स्कूल में बच्चों का आपस में जुड़ाव सामाजिक सीख के लिए बहुत जरूरी होता है। शुरुआती स्कूली जीवन में बच्चे इससे वंचित रह जा रहे हैं। इस ठीक करने के लिए शिक्षकों को पेडगोजी यानी शिक्षण के तौर-तरीकों को बदलने की जरूरत है। जो स्कूल छोटे बच्चों के आनलाइन क्लास चला रहे हैं उन्हें भी विषय आधारित पढ़ाई कम और एक मित्र की तरह बच्चों को स्टोरी टेलिंग, उनके मन की बात जानना आदि कोस्कालास्टिक गतिविधियों को अधिक कराना होगा। स्कूल खुलने पर इन बच्चों संग अधिक मेहनत करनी होगी।

खुद से करने को करें प्रेरित

केंद्रीय विद्यालय पंजाब लाइंस की प्राचार्य लक्ष्मी सिंह के अनुसार केवी संगठन के स्कूलों में पांच साल के बच्चों से ही पढ़ाई शुरू कराई जाती है। करीब 10 साल की आयु तक बच्चे रीडिंग, राइटिंग और सामान्य गणित भी ठीक से पढ़ लें तो आगे पढ़ाई में पकड़ ठीक से बनाने में सक्षम होते हैं। घर पर पढ़ा रहे अभिभावक बच्चों के इन्हीं पहलुओं पर ध्यान दें। इसके अलावा विभिन्न गतिविधियों में शामिल बच्चों को स्वयं कर के सीखनें दें। गलत करते-करते ही अच्छा करेंगे और पूरा सीखेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.