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Coronavirus in Meerut: मरीज के स्टूल से भी फैल सकता है कोरोना, जानें-वायरस के खतरे को

Coronavirus in Meerut एक शोध में पता चला है कि शरीर में सात से 21 दिनों में कोरोना वायरस निकल जाता है जबकि स्टूल में महीनों तक वायरस मिल रहा है। ऐसे में सीवर लाइन से लेकर शौचालय तक से कोरोना संक्रमित होने का खतरा बढ़ा है।

By Prem BhattEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 02:00 PM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 02:00 PM (IST)
Coronavirus in Meerut: मरीज के स्टूल से भी फैल सकता है कोरोना, जानें-वायरस के खतरे को
मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर ने बताया कि वायरस शरीर की एसीई-2 रिसेप्टर से चिपकते हैं।

मेरठ, जेएनएन। Coronavirus in Meerut कोरोना वायरस सिर्फ फेफड़ों पर ही असर नहीं करता, बल्कि यह आंतों में तेजी से संक्रमित होकर स्टूल के जरिए नालों में पहुंचकर माहमारी फैला सकता है। शोध में पता चला है कि शरीर में सात से 21 दिनों में कोरोना वायरस निकल जाता है, जबकि स्टूल में महीनों तक वायरस मिल रहा है। ऐसे में सीवर लाइन से लेकर शौचालय तक से कोरोना संक्रमित होने का खतरा बढ़ा है।

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फेफड़ों से ज्यादा आंतों पर खतरा

मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ टीवीएस आर्य ने बताया कि कोरोना वायरस शरीर की एसीई-2 रिसेप्टर से चिपकते हैं। ये रिसेप्टर फेफड़ों की तुलना में आंतों में सौ गुना सक्रिय होते हैं। आंतों में वायरस के तेजी से फैलने की वजह से उल्टी, मिचली, लूज मोशन और गैस्ट्रो के अन्य लक्षण उभरते हैं। भारत, इटली, चीन और अमेरिका में कोविड मरीजों पर हुए शोध में पता चला है कि मरीज 14 दिन में नेगटिव हो गए, लेकिन उनके स्टूल में लंबे समय तक कोरोना वायरस के आरएनए कण मिलते रहे।

टॉयलेट के फ्लश से भी संक्रमण

चिकित्सा विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि मरीज के टॉयलेट यूज़ करने से लेकर सीवर लाइन से नालों में पहुंचने वाला वायरस भी बीमारी फैला सकता है। 2006 और 2012 में दुनियाभर में फैली सार्स और मर्स बीमारियों में भी सीवर से संक्रमण की बात सामने आई थी। टॉयलेट के फ़्लश से निकलने वाले एरोसोल से भी संक्रमण होता है।

लिवर में इंजरी कर सकता है वायरस

आईआईए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ केके अग्रवाल का कहना है कि 16 से 25 फीसद कोविड मरीजों में डायरिया हो सकता है, जबकि सांस की बीमारी का कोई लक्षण नहीं उभरता। जांच में लिवर के एंजाइम गड़बड़ मिलते हैं। प्रतिरोधक क्षमता की सक्रियता से लिवर इंजरी भी देखी जाती है। सिरोसिस के मरीजों में स्थिति ज्यादा गंभीर हो सकती है। गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट डॉ सत्यार्थ चौधरी का कहना है कि कई दवाएं लिवर पर कड़ा असर दिखाती हैं, इससे भी इंजरी होती है।


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