405 करोड़ जारी हो चुके, अब भी अधूरा है शहरी गरीबों का घर का सपना
शहरी गरीबों का आशियाने का सपना पूरा करने के लिए सरकार ने 405 करोड़ रुपये जारी किए थे। अभी तक आवास का निर्माण अधूरा पड़ा है।
मेरठ, जेएनएन। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी सोमवार को निर्माण निगम कार्यालय पहुंचे। उन्होंने शहरी गरीबों के अधूरे पड़े आवासों पर प्रोजेक्ट मैनेजर से जवाब-तलब किया।
दायमपुर में हैं ये मकान
डा. बाजपेयी ने बताया कि दायमपुर में शहरी गरीबों के लिए मकान, 12 सामुदायिक केंद्र व पांच बरातघर बनाने के लिए 2009 में 340 करोड़ का प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ था। 2014 में 52 करोड़ रुपये लागत राशि बढ़ गई तो कुल 405 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए। लेकिन योजना अब भी अधूरी है, जबकि धनराशि खर्च हो चुकी है। सड़क, सीवर आदि कार्य भी अधूरे पड़े हैं। उन्होंने जांच के लिए दिल्ली से आए जनरल मैनेजर से भी बात की। लखनऊ मुख्यालय से भी फोन से बात की। उन्होंने कहा कि अधूरे कार्य को पूरा करके जल्द गरीबों को मकान आवंटित किए जाएं।
जांच के लिए पहुंचे जीएम निर्माण निगम
शहरी गरीबों के लिए बनाए गए मकानों की जांच करने का आदेश कुछ समय पहले आया था। इसके तहत निर्माण निगम के जीएम बालेंद्र मंगलवार को पहुंचे और संबंधित दस्तावेज खंगाले।
कताई मिल में गरीबों के लिए अब नहीं बनेगा आशियाना
कताई मिल में गरीबों के लिए पांच हजार फ्लैट्स बनाने को झटका लगा है। यहां पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत फ्लैट्स बनाने की अनुमति एमडीए ने मांगी थी। यहां भी वह आशियाने से वंचित रह गए। एमडीए को वित्तीय वर्ष 2017-18 से लेकर 2020-21 तक 10 हजार फ्लैट्स बनाने का लक्ष्य मिला है। एमडीए ढाई हजार फ्लैट्स बनाने का ही इंतजाम कर पाया है। उधर, एमडीए को प्राधिकरण क्षेत्र में निश्शुल्क जमीन मिल नहीं पा रही है, इसलिए कताई मिल की जमीन का विकल्प चुना गया था। मिल में अधिक जमीन होने के चलते एमडीए ने यहां पांच हजार फ्लैट बनाने के लिए 14 हेक्टेयर जमीन मांगी थी। शासन को कई महीने पहले पत्र भेजा था, जिसका जवाब अब मिला है।
ये है फ्लैट्स व जमीन की स्थिति
- निर्माणाधीन फ्लैट्स : 1088
- टेंडर प्रक्रिया में फ्लैट्स : 1432
- सरायकाजी व शोभापुर में भी जमीन मिली है, जिसमें करीब दो-ढाई हजार फ्लैट्स बन जाएंगे, लेकिन यह जमीन अभी एमडीए को हैंडओवर नहीं हुई है।