स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 : चार हजार अंकों का दावा अगर हुआ फेल तो बिगड़ सकती है स्वच्छता रैंकिंग Meerut News
अस्पतालों स्कूलों प्रमुख बाजार और आरडब्ल्यूए की स्वच्छता रैकिंग को सर्वे कराया जा रहा है। स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 के लिए नगर निगम ने चार हजार अंकों के लिए दावा किया है।
मेरठ, जेएनएन। स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 के लिए नगर निगम ने दो तिमाही में चार हजार अंकों के लिए दावा पेश किया है। जनवरी में इनका परीक्षण होगा। अगर दावे फेल हुए तो स्वच्छता सर्वेक्षण में माइनस मार्किंग रैंकिंग का गणित बिगाड़ देगी। स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 के लिए दो-दो हजार अंकों के लिए तिमाही रिपोर्ट भेजी गई है। अप्रैल से जून और जुलाई से सितंबर की रिपोर्ट स्वच्छता सर्वेक्षण पोर्टल पर अपलोड की गई है। नगर निगम ने दावा किया है कि वह शहर में शत-प्रतिशत डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन कर रहा है। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन में गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग लेने का काम 80 फीसद हो रहा है। वहीं, होम कंपोस्टिंग के तहत शहर के 800 घरों में किचन के कचरे की कंपोस्टिंग का दावा है। स्वच्छता सर्वेक्षण के प्रचार-प्रसार का काम भी शत-प्रतिशत कर लिया है। स्वच्छता अभियानों में दो एनजीओ का सहयोग ले रहे हैं।
कराया जा रहा है सर्वे
शहर से 50 अस्थाई खत्ते खत्म करने का भी दावा है। शहर के अस्पतालों, स्कूलों, प्रमुख बाजार और आरडब्ल्यूए की स्वच्छता रैकिंग को सर्वे कराया जा रहा है। चार हजार अंको के दावे गलत हुए तो इस बार माइनस मार्किंग होगी। 20 फीसद तक अंक काट लिए जाएंगे। हालांकि इससे बचने के लिए गाजियाबाद मे एक दिवसीय प्रशिक्षण भी निगम अधिकारियों को दिया गया है। मालूम हो कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में मेरठ नगर निगम की 286 रैंक देश में थी।
फीडबैक में पिछली बार थे फिसड्डी
नगर निगम मेरठ स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में जनता के फीडबैक लेने में फिसड्डी साबित हुआ था। केवल 1595 लोगों ने ही नगर निगम के पक्ष में फीडबैक दिया था। जबकि शहर की आबादी लगभग 20 लाख है। स्वच्छता की प्रतिस्पर्धा के अग्रणी रहे शहरों ने इस पर सबसे अधिक जोर दिया था। गाजियाबाद में बीते दिनों हुई कार्यशाला में निगम के अधिकारियों को जनसहभागिता बढ़ाने और फीडबैक में बेहतर प्रदर्शन पर जोर देने की सलाह दी गई है। लेकिन अभी तक नगर निगम अधिकारियों की ओर से इस दिशा में कोई काम नहीं किया जा रहा है। यह बात दीगर है कि शहर में निगम ने स्वच्छता के संदेश देते होर्डिग्स जगह-जगह टांग दिए हैं। लेकिन शहर के प्रबुद्धजनों के साथ बैठकें कर स्वच्छता के प्रति माहौल तैयार करने पर निगम का कोई जोर नहीं है। यह निष्क्रियता भी स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 की बेहतर रैंकिंग के लिए बाधा बन सकती है।
इन पर भी करें गौर
- हालांकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है। दिल्ली रोड, गढ़ रोड, मवाना रोड, रुड़की रोड, बिजली बंबा बायपास पर खुली आंखों से किसी भी समय कूड़े के ढेर देखे जा सकते हैं।
- लोहिया नगर में कूड़ा डालने का विरोध हो रहा है। निजी और एमडीए के जमीन पर कूड़ा फेंका जा रहा है। वहीं, लोहे और स्टील के डस्टबिन कबाड़ हो गए हैं। 100 से ज्यादा अस्थाई खत्ते भी मौजूद हैं।
- 90 वाडरे के सभी मोहल्लों में नियमित कूड़ा गाडियां नहीं पहुंच रही हैं। गीला-सूखा कूड़े को अलग-अलग करने की व्यवस्था वाहन के दो डिब्बे तक ही सीमित है। कूड़ा डपिंग ग्राउंड में गीला-सूखा एक हो जाता है।
इनका कहना है
जनवरी में टीम आएगी। इससे पहले 31 दिसंबर तक नगर निगम कूड़ा निस्तारण व्यवस्था को दुरुस्त कर देगा। छोटे-छोटे कंपोस्टिंग व सेग्रीगेशन प्लांट, गांवड़ी में बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट समेत अन्य प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। यह सभी प्रोजेक्ट दिसंबर तक धरातल पर होंगे।
- डा. अरविंद कुमार चौरसिया, नगर आयुक्त।