Muzaffarnagar food scam: तहसीलदार सदर बहाल, एडीएम प्रशासन छुट्टी से लौटे, उठ रहे सवाल?
एक साथ दोनों अधिकारियों पर कार्रवाई की गई थी। अब प्रशासन ने आरोप को झूठा कहते हुए क्लीनचिट दे दी है। इससे जिले में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सही थे तो क्यों हुई थी कार्रवाई।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। क्वारंटाइन केंद्रों पर खाद्यान्न घोटाला प्रकरण में फजीहत झेल रहे अफसरों को प्रशासन ने क्लीनचिट दे दी है। जांच रिपोर्ट के आधार पर सस्पेंड किए गए तहसीलदार सदर पुष्करनाथ चौधरी को बहाल कर दिया गया है, जबकि एडीएम प्रशासन अमित सिंह छुट्टी से लौट आए हैं। गौरतलब यह है कि दोनों अधिकारियों पर 15 दिन पूर्व एक साथ कार्रवाई हुई थी। अब दोनों को क्लीनचिट दी गई है। इसे लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
यह था मामला और इनपर हुई थी कार्रवाई
15 दिन पूर्व क्वारंटाइन केंद्रों पर खाद्यान्न घोटाले का मामला सामने आया था। नोडल अधिकारी आरएन यादव ने चरथावल के क्वारंटाइन केंद्रों पर मामला पकड़ा था। क्वारंटाइन किए गए लोगों ने घटिया गुणवत्ता का भोजन देने के आरोप लगाए थे। अफसरों ने खाद्यान्न आपूर्ति का टेंडर ऐसी फर्म को छोड़ दिया था, जिसके लाइसेंस की अवधि समाप्त हो चुकी थी। इस मामले में डीएम सेल्वा कुमारी जे ने तहसीलदार सदर पुष्करनाथ चौधरी को सस्पेंड कर दिया था। साथ ही एडीएम प्रशासन अमित सिंह उसी दिन अचानक स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए छुट्टी पर चले गए थे। डीएम ने एडीएम प्रशासन और एसडीएम सदर अशोक कुमार को इस मामले में तलब करते हुए स्पष्टीकरण मांगा था। मामले की जांच एडीएम वित्त एवं राजस्व आलोक कुमार को दी गई थी। एडीएम की ओर से दोनों को जवाब तलबी के लिए नोटिस जारी किए गए थे। इस मामले में केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान, राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल और राज्यमंत्री विजय कश्यप ने प्रशासन ने खाद्यान्न किट का हिसाब किताब मांगा था।
केंद्रीय राज्यमंत्री डा. बालियान ने 2.92 लाख रुपये में गबन की आशंका जताई थी। प्रशासन ने मंत्रियों को लंबी चौड़ी सूची दी थी। इस प्रकरण में अब नया मोड़ आ गया है। प्रशासन ने एडीएम प्रशासन, एसडीएम सदर और तहसीलदार सदर को क्लीनचिट दी है। तहसीलदार को बहाल कर दिया गया है, जबकि एडीएम अमित सिंह छुट्टी से वापस आ गए हैं। रविवार को उन्होंने दि एसडी पब्लिक स्कूल में बने उत्तराखंड की बसों के लिए केंद्र का निरीक्षण किया।
कईं सवालों के जवाब अधूरे
- यदि तहसीलदार सदर सही थे तो उन्हें तत्काल प्रभाव से सस्पेंड क्यों किया गया?
- उसी दिन एडीएम प्रशासन अमित सिंह स्वास्थ्य कारणों के चलते छुट्टी पर क्यों गए, जबकि अस्पताल में कोई जांच नहीं कराई?
- यदि प्रशासनिक लापरवाही और वित्तीय अनियमितता नहीं हुई तो अफसर जवाबदेही से क्यों बचते रहे?
- सब कुछ सही है तो अन्नपूर्णा फर्म को ब्लैकलिस्ट क्यों किया गया?
- एक ही दिन दोनों अफसर पर कार्रवाई और अब क्लीनचिट क्या महज एक संयोग है?
इनका कहना है...
खाद्यान्न प्रकरण की जांच में वित्तीय अनियमितता नहीं मिली है। उस दौरान कुछ तथ्य स्पष्ट नहीं हो पाए थे। अब जांच रिपोर्ट के आधार पर तहसीलदार सदर को बहाल कर दिया है। एडीएम प्रशासन भी छुट्टी से लौट आए हैं। उन्होंने बीते दिनों अपना स्पष्टीकरण दिया था। - सेल्वा कुमारी जे, जिलाधिकारी।