गजानन की भक्ति में डूबा शहर..10 दिन तक लगाएंगे डुबकी
गणपति बप्पा मोरया.। भक्ति के इन्हीं बोलों के साथ गुरुवार से पूरा शहर अगले दस दिन तक गजानन के रंग में रंगना शुरू हो गया। पिछले कई साल से महाराष्ट्र के गणपति उत्सव की परंपरा उत्तर भारत में भी तेजी से शुरू हुई है। मेरठ में भी गणेश उत्सव मनाने की परंपरा हर साल बढ़ रही है। आइये, हम भी इस गणेश उत्सव में विघ्नहर्ता का स्मरण करते हुए शहर के मंदिरों और गणेश पूजन की परंपरा निभाते आ रहे लोगों पर एक नजर घुमाते हैं-
मेरठ। गणपति बप्पा मोरया.। भक्ति के इन्हीं बोलों के साथ गुरुवार से पूरा शहर अगले दस दिन तक गजानन के रंग में रंगना शुरू हो गया। पिछले कई साल से महाराष्ट्र के गणपति उत्सव की परंपरा उत्तर भारत में भी तेजी से शुरू हुई है। मेरठ में भी गणेश उत्सव मनाने की परंपरा हर साल बढ़ रही है। आइये, हम भी इस गणेश उत्सव में विघ्नहर्ता का स्मरण करते हुए शहर के मंदिरों और गणेश पूजन की परंपरा निभाते आ रहे लोगों पर एक नजर घुमाते हैं-
यूं तो मेरठ में भगवान गणेश की स्तुति-वंदना का क्रम सालों पुराना है, लेकिन गणेश चतुर्थी और विसर्जन के जरिए अध्यात्म का संचार यहां महाराष्ट्र के लोगों ने ही किया। करीब चालीस साल से मेरठ के सर्राफा बाजार में सोना-चांदी गलाने का काम कर रहे इन कारीगरों ने गणेश स्तुति के रंग को गाढ़ा किया। 1990 में इसने भव्य रूप ले लिया।श्री गणेश महाराष्ट्र मित्र मंडल का गठन कर झंडा चौक पर बाजार में स्टेज बनाकर गणेश भगवान को स्थापित किया जाता है। मंडल के अध्यक्ष महेंद्र पाटिल, महामंत्री राजू हसबे के अलावा मनोज खदारे, विनोद पंवार, प्रतीक पंवार, महादेव चव्हाण, अंकुश भगत, उत्तम पाटिल, तुकाराम पन्हाले आदि इसे विस्तार दे रहे हैं। इस बार भी आठ फीट के गणेश भगवान की प्रतिमा स्थापित की गई है।
सिद्धिविनायक के साथ दस स्वरूपों के दर्शन
वैसे तो सिद्धिविनायक के दर्शन के लिए आपको मुंबई जाना पड़ेगा लेकिन चाहें तो मेरठ में भी इनके दर्शन कर सकते हैं, वह भी गणेश जी के दस स्वरूपों के साथ। आदर्श नगर स्थित श्री सिद्धि विनायक मंदिर में दस स्वरूपों के साक्षात दर्शन होते हैं। यहां गणेश जयंती पर सुबह से शाम तक भंडारा चलता रहा। मुख्य पुजारी पंडित गणेश ठाकुर ने बताया कि बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।
इन स्वरूपों के दर्शन
मंदिर में मयूरेश्वर , विघ्नेश्वर, ब्रल्लालेश्वर, गिरिजात्मज, महागणपति, चिंतामणि, सिद्धगणेश, मोदविनायक, वरद विनायक, मिद विनायक रूपों में गणेश जी विराजमान हैं।
1979 में गणपति विराजे
गांधी आश्रम से नौचंदी मैदान की तरफ चलेंगे तो शुरुआत में ही श्री गणेश मंदिर के दर्शन होंगे। यह मंदिर भी सालों पुराना है। यहां गणेश उत्सव में उपासना होती है और मेला लगता है। पंडित श्री निवास शर्मा का दावा है यह जिले का सबसे पहला गणेश मंदिर है। गुरुवार को यहा भी भक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं। शाम तक भंडारा चला। दस दिन तक घर-घर में विराजेंगे
गुरुवार को पूरा शहर भगवान गणेश के रंग में रंगा नजर आया। अनेक स्थानों पर गणेश उत्सव की धूम रही। सुबह से ही भक्तों ने अबीर-गुलाल उड़ाकर गणेश भगवान की मूर्ति स्थापना की और भजनों पर नृत्य किया।
शास्त्रीनगर की वसुंधरा कॉलोनी में छह फीट ऊंची गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई है। कॉलोनी के लोग तीसरी बार गणेश उत्सव मना रहे हैं। सुबह नए के-ब्लॉक में मूर्ति को परिक्रमा कराई गई। इस मौके पर कैलाश जोशी, वासु वाजपेयी, हर्ष वाजपेयी, बिजेंद्र शर्मा, आदेश शर्मा, कुलदीप सक्सेना, आशीष गौड़, देवेश शर्मा आदि मौजूद रहे।
देवलोक कालोनी में शिव पार्वती मंदिर से गणपति की भव्य शोभा यात्रा का आयोजन श्री गणेश मित्र मंडल ने किया। श्री गणपति की आठ फीट चार इंच ऊंची ईको फ्रेंडली प्रतिमा की पूजा पं. अरविंद पाठक ने की। मुख्य यजमान रामौतार रस्तोगी रहे। शोभायात्रा देवलोक कालोनी से शुरू होकर स्पोर्ट्स काप्लेक्स, विश्व एनक्लेव, मान सरोवर से होते हुए सी ब्लॉक में संपन्न हुई। भक्तों ने गुलाल से होली खेली। नारियल, फूल, केले, लड्डू आदि चढ़ाकर भगवान को मनाया। शिवम रस्तोगी, सतीश गुप्ता, शिवानी रस्तोगी, वेदप्रकाश, आदि रहे।
शास्त्रीनगर स्थित एल ब्लॉक तिकोना पार्क में भी भव्य शोभायात्रा निकालकर गणेश महोत्सव का शुभारंभ हुआ। गणेश प्रतिमा की स्थापना की गई। इस मौके पर मंदिर समिति के अध्यक्ष मनोज गर्ग, सुभाष चंद गोयल, राकेश कुमार गर्ग आदि मौजूद रहे।
कंकरखेड़ा स्थित पैंठ बाजार में 10वें गणपति महोत्सव की शुरुआत धूमधाम से हुई। आनंद परिवार द्वारा गोविंदपुरी में शुरू हुए गणपति महोत्सव में दस दिन तक सुबह और शाम आरती की जाएगी। 16 सितंबर को विसर्जन होगा। एल आनंद, मनमोहन आनंद, संजय आनंद, अनमोल आनंद, प्रभु दयाल आदि मौजूद रहे।
बागपत गेट स्थित प्राचीन भोले शंकर महादेव मंदिर में मंत्रोच्चारण के साथ गणेश प्रतिमा स्थापित की गई। विशाल प्रतिमा और ढ़ोल, बैंड-बाजों के साथ यात्रा निकाली गई, जो थापर नगर, दिल्ली रोड, जली कोठी, मेहताब सिनेमा, केसरगंज मंडी, रेलवे रोड चौराहा होते हुए मंदिर पर पहुंचकर समाप्त हुई। राजपाल लोधी, अभिषेक अग्रवाल, सतीश राजपूत, दीपक, पंडित रोशन आदि मौजूद रहे। यह भी जानें
मेरठ में होने लगा लाखों का व्यापार
गुरुवार को थापरनगर स्थित मूर्तियों की दुकानों पर भीड़ उमड़ी रही। लोग ईको-फ्रेंडली ओर चाक मिट्टी से बने गजानन स्थापित कर रहे हैं। थापरनगर स्थित अजंता मूर्ति कला केंद्र संचालक प्रमोद प्रजापति ने बताया कि मूर्ति निर्माण में हमारी तीसरी पीढ़ी है। गणेश उत्सव का क्रेज हर साल बढ़ रहा है। ईको फ्रेंडली गजानन और ऋद्धि-सिद्धि प्रतिमा 250 से एक हजार रुपये तक की हैं। चाक मिट्टी की प्रतिमा की कीमत 50 रुपये से 20 हजार रुपये तक है।