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'हमें बॉर्डर पर भेज दो..पाकिस्तान को उजाड़ देंगे'

आंखों में गम का तूफान, भर्राता गला, कलाइयों में खन-खन करती चूड़ियां और भिंची हुई मुट्ठियां। इस रूप में पाकिस्तान मुर्दाबाद का नारा लगाती बसा टीकरी की महिलाएं साक्षात चंडी दिख रही थीं। अपने लाल की शहादत पर बेशक उन्हें गर्व भी है और नाज भी लेकिन पाक की कायराना हरकत नाकाबिल-ए-बर्दाश्त है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 10:00 AM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 10:00 AM (IST)
'हमें बॉर्डर पर भेज दो..पाकिस्तान को उजाड़ देंगे'
'हमें बॉर्डर पर भेज दो..पाकिस्तान को उजाड़ देंगे'

मेरठ। आंखों में गम का तूफान, भर्राता गला, कलाइयों में खन-खन करती चूड़ियां और भिंची हुई मुट्ठियां। इस रूप में पाकिस्तान मुर्दाबाद का नारा लगाती बसा टीकरी की महिलाएं साक्षात चंडी दिख रही थीं। अपने लाल की शहादत पर बेशक उन्हें गर्व भी है और नाज भी लेकिन पाक की कायराना हरकत नाकाबिल-ए-बर्दाश्त है। चिल्लाते हुए बोलीं, हमें बॉर्डर पर भेज दीजिए। अगर पाकिस्तान को नेस्तानाबूद न कर दें तो जो चाहे सजा सुना देना। गम-ओ-गुस्से की चादर ओढ़े ये महिलाएं मंगलवार को टोलियों में शहीद के घर पहुंचीं तो उनके अंदर का गुबार जुबां पर आ गया। किसी शहीद की अंतिम विदाई में ऐसा नजारा पहली बार दिखा। इनमें 10 साल की बच्चियां भी थीं और 70 साल की अम्माजी भी लेकिन वतन से मोहब्बत में सब एक-दूसरे आगे खड़ी दिखीं।

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पाकिस्तान मुर्दाबाद का एक-एक नारा उनके आक्रोश को बयां करने के लिए काफी था। ढांढस बंधाते-बंधाते कई बार महिलाओं ने पाकिस्तान तेरे टुकड़े होंगे, धारा-370 हटाओ, भारत माता की जय के नारे लगाए।

शहीद की मां कमलेश ने कहा कि हमने अपने बच्चे देश सेवा की खातिर पैदा किए हैं, न कि बे वजह मरने के लिए। मेरा बच्चा धारा-370 के कारण आतंकियों और पत्थरबाजों के बढ़े दुस्साहस से शहीद हुआ है। अगर सामने से वार करते तो 50 पर अकेला भारी पड़ता मेरा अजय। इस दौरान वहां पहुंचीं भाजपा एमएलसी सरोजिनी अग्रवाल ने कमलेश को हिम्मत बंधाई। एमएलसी को देख महिलाओं ने दोबारा पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए। कहा कि अब वक्त आ गया है कि धारा-370 का पूरी तरह खात्मा हो। पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आकाओं को भी घर में घुसकर मारा जाए। युवतियां और किशोरी शहीद के अंत्येष्टि स्थल पर भी पाकिस्तान के विरुद्ध नारेबाजी करती रहीं।

माता-पिता घर पर नहीं देख पाए अजय का चेहरा, पत्नी को ले जाना पड़ा अंत्येष्टि स्थल

जब शहीद अजय का पार्थिव शरीर घर लाया गया तो ज्यादा भीड़भाड़ के कारण माता-पिता, पत्नी और बहन भी उनका चेहरा सही से नहीं देख पाए। इसलिए शहीद की पत्नी के बिछुए और चूड़ी उतारने की रस्म अंत्येष्टि स्थल पर ही पूरी की गई। यहां भी हर कोई उनके अंतिम दर्शन करना चाहता था।

भाजपा मुर्दाबाद के नारे लगाते समर्थकों को जयंत ने रोका

बसा टीकरी गांव में सुबह से ही नेताओं का आना शुरू हो गया था। केंद्रीय मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह सहित कई विधायक पहुंच चुके थे। कुछ देर बाद रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी भी पहुंच गए। भाजपा और रालोद नेता अलग-अलग कुर्सियों पर बैठे थे। ग्रामीणों ने शहीद की पत्नी को सरकारी नौकरी, स्मारक और गांव तक पहुंचने वाली सड़क का नामकरण शहीद के नाम पर करने का ज्ञापन डॉ. सत्यपाल सिंह को दिया। कुछ लोग ज्ञापन में की गई मांगों की घोषणा मौके पर ही कराने के लिए मंत्री के पास जाने लगे लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इससे खफा लोग भाजपा मुर्दाबाद का नारा लगाने लगे तो रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा-चुप हो जाइए, यहां माहौल तो देखिए कैसा है। अंत्येष्टि स्थल पर भी जयंत चौधरी ने नारेबाजी करते कार्यकर्ताओं को रोक दिया।

मेरी बहू पढ़ी-लिखी है, सरकारी नौकरी दो

अजय की मां कमलेश और ग्रामीणों ने कहा कि शहीद की पत्नी प्रियंका ग्रेजुएट है। उसे सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए, ताकि बच्चे को पाल सके। ग्रामीणों ने भी उनकी बात का समर्थन किया।

तीन जिलों के लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचे

अजय काफी व्यवहार कुशल थे। इसी के चलते उन्हें श्रद्धांजलि देने तीन जिलों के गांवों से लोग पहुंचे। बसा टीकरी गांव मेरठ में है जबकि पतला कस्बा गाजियाबाद जिले में। टीकरी से पश्चिम के कई गांव बागपत जिले में पड़ते हैं। इन सभी गांवों के लोग अजय को श्रद्धांजलि देने पहुंचे।


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