भारत से युद्ध की स्थिति में नहीं है चीन
लद्दाख में चीन और भारतीय सेना के बीच पनपे ताजा घटनाक्रम को कई पहलुओं से जोड़कर देखा जा रहा है।
मेरठ,जेएनएन। लद्दाख में चीन और भारतीय सेना के बीच पनपे ताजा घटनाक्रम को कई पहलुओं से जोड़कर देखा जा रहा है। इनमें कोरोना वायरस के कारण बढ़ते दबाव, चीन के पीछे पड़े अमेरिकी राष्ट्रपति, ऑस्ट्रेलिया और ईस्ट या साउथ चीन की स्थिति, पार्टी में चीन के राष्ट्रपति की स्थिति खराब होना और सरहद पर बढ़ते भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर बताया गया है। लद्दाख के पेंगोंग व सलवान क्षेत्र में 2015 से 2017 तक कमान अधिकारी के तौर पर कार्यरत रहे कर्नल डिनी शशिधरन के अनुसार भारत के साथ चीन युद्ध की स्थिति में नहीं है। सरहद पर वर्तमान हालात सेना की सामान्य पेट्रोलिग के दौरान हुई झड़प हो सकती है। इससे दोनों सेनाएं अड़ गई हैं। ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है और स्थानीय स्तर पर ही समाधान भी किया जा चुका है।
ऊपर से नीचे नहीं पहुंचा है तनाव
मेरठ छावनी में राजपूत रेजिमेंट के साथ तैनात रहे रि. कर्नल शशिधरन ने लद्दाख के उन क्षेत्रों को करीब से देखा है। उनके अनुसार पेंगोंग और उसके उत्तर में स्थित गलवान में तनाव बना हुआ है। उस क्षेत्र में पहाड़ी के नीचे माहौल शांत ही है। वहां अधिक हलचल नहीं देखने को मिली है। पांच मई को हुई घटना के बाद 27 मई तक भी माहौल बरकरार रहना ही बताता है कि वहां दोनों सेनाओं में युद्ध की स्थिति नहीं है। इससे पहले निचले क्षेत्र में कई बार झड़प हो चुकी है। इसे भी स्थानीय स्तर पर दोनों सेनाओं ने ही निपटा लिया था।
80 टेंट में एक बटालियन भी नहीं आती
कर्नल डिनी शशिधरन का कहना है कि दोनों ओर से कोई आधिकारिक बयान न होने से स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही है। अब तक की रिपोर्ट में वहां चीनी सेना के करीब 80 टेंट लगने की बात सामने आई है, आम बात है। सेना के लिहाज से 80 टेंट में एक बटालियन भी नहीं बैठ पाती है। यह युद्ध की तैयारी का संकेत नहीं है। दोनों सेनाएं अगर अपने-अपने क्षेत्र में आमने-सामने हैं तो भी कोई टकराव की स्थिति नहीं कहा जा सकता है। वहां के लिए यह सामान्य है।
चीन की बड़ी चिंता ताइवान को लेकर
कर्नल डिनी के अनुसार चीन को भारत की ओर से कोई खतरा नहीं है। उनकी बड़ी चिता ताइवान को लेकर है इस पर अमेरिका की भी नजर है। इसके अलावा चीन हांगकांग, ऑस्ट्रेलिया, साउथ चीन सागर आदि मोर्चो के साथ ही भारत से युद्ध करने की स्थिति में नहीं है। भारत में भी वर्तमान स्थिति और परिस्थिति को देखते हुए अधिकतर लोग युद्ध के पक्ष में नहीं है। यह मामला भी डोकलाम की तरह कुछ दिनों में शांत होने की उम्मीद है।