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बच्चों ने बेकार पड़े झालर से बना दिया बल्ब

लॉकडाउन में घर बैठे बच्चे मोबाइल और टीवी के स्क्रीन से हटकर भी बहुत से काम कर सकते हैं और कुछ बच्चे कर भी रहे हैं। दीपावली में झालर का प्रयोग करने के बाद इधर-उधर फेंक दिया जाता है। जिला विज्ञान क्लब से जुड़े बच्चों ने इस बेकार पड़ी हुई चीज को लेकर घर में जलाने वाला बल्ब तैयार कर दिया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Apr 2020 04:00 AM (IST)Updated: Mon, 13 Apr 2020 06:07 AM (IST)
बच्चों ने बेकार पड़े झालर से बना दिया बल्ब
बच्चों ने बेकार पड़े झालर से बना दिया बल्ब

मेरठ, जेएनएन। लॉकडाउन में घर बैठे बच्चे मोबाइल और टीवी के स्क्रीन से हटकर भी बहुत से काम कर सकते हैं और कुछ बच्चे कर भी रहे हैं। दीपावली में झालर का प्रयोग करने के बाद इधर-उधर फेंक दिया जाता है। जिला विज्ञान क्लब से जुड़े बच्चों ने इस बेकार पड़ी हुई चीज को लेकर घर में जलाने वाला बल्ब तैयार कर दिया।

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घर में बैठे-बैठे एकाएक इन बच्चों के मन में यह आइडिया आया है। फिर बिजली बचाने के मकसद से बच्चों ने बेकार झालर को लेकर एक उपयोगी चीज में बदल दिया। इसे बनाने के लिए उन्होंने बहुत अधिक तकनीक का भी इस्तेमाल नहीं किया। बेकार पड़े झालर को लेकर उन्होंने उसके कुछ बल्ब निकाल लिए। फिर उसे सेल के साथ टेप की मदद से चिपका दिया। एक तार को पॉजिटिव पर और दूसरे सिरे को निगेटिव प्वाइंट से जोड़ दिया। सेल की सहायता से उन्होंने इस तरह से एक घरेलू बल्ब तैयार कर लिया। शास्त्रीनगर सेक्टर-दो के रहने वाले काíतकेय और तान्या भाई बहन हैं। उन्होंने प्रयोग के जरिए बिजली की बचत करने की एक कोशिश भी की है। कमरे में कम रोशनी के लिए इन बल्बों का इस्तेमाल किया जा सकता है। जिला विज्ञान क्लब के समन्वयक दीपक शर्मा का कहना है कि बहुत से बच्चे विज्ञान के छोटे-छोटे प्रयोग अपने घर में कर रहे हैं, जिससे उनके भीतर छिपी हुई वैज्ञानिक प्रतिभा भी सामने आ रही है। ऐसे बच्चों को फोन पर आवश्यक जानकारी भी दी जा रही है। जूम एप से पढ़ाई की नहीं है रिकाíडंग

मेरठ : चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय में सेमेस्टर की पढ़ाई पर लॉकडाउन का असर पड़ रहा है। कोर्स पूरा न होने से परीक्षा में भी देरी हो सकती है। इसे देखते हुए कुछ विभागों की ओर से ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की गई है। अर्थशास्त्र विभाग ने रविवार को एक सप्ताह का शेड्यूल बनाकर वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। इसमें छात्रों की पढ़ाई जूम एप से शुरू की गई है। हालांकि, जूम एप में रिकार्डिग की सुविधा न होने की वजह से छात्रों को असुविधा हो रही है। इसे देखते हुए कुछ छात्र दूसरे मोबाइल से लेक्चर की रिकाíडंग भी करने लगे हैं।

विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग में बीए ऑनर्स की कक्षा में 40 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। एमए दूसरे सेमेस्टर में 10 और एमए चौथे सेमेस्टर में 12 छात्र-छात्राएं हैं। एमफिल में 11 छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं। विवि के अन्य विभागों में भी छात्रों की संख्या लगभग इतनी है। कम छात्र होने की वजह से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर छात्रों को जोड़ना विश्वविद्यालय के लिए अपेक्षाकृत कॉलेजों से आसान है। अर्थशास्त्र विभाग ने 12 अप्रैल से 19 अप्रैल तक का शेड्यूल बनाकर विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। इसमें बीए आनर्स, एमए सेकेंड सेमेस्टर, फोर्थ सेमेस्टर, एमफिल का क्लासरूम की तरह से शेड्यूल बनाया गया है। सुबह 11.30 बजे से दो बजे तक रोज शिक्षक और शिक्षिकाएं जूम एप के माध्यम से छात्रों को ऑनलाइन लेक्चर दे रहे हैं। शाम को विभागाध्यक्ष प्रो. दिनेश कुमार चारों ग्रुप के छात्रों से फीडबैक भी लेते हैं। प्रो. दिनेश ने बताया कि जूम एप पर छात्र कम डेटा खर्च कर क्लास तो ले रहे हैं, लेकिन इसमें 40 मिनट के बाद ग्रुप डिस्कनेक्ट हो जाता है, जिसे दोबारा जोड़ना पड़ता है। छात्र लेक्चर को रिकार्ड नहीं कर पाते हैं। इसे देखते हुए कुछ विकल्प भी सोचा जा रहा है। यू-ट्यूब पर बड़े वीडियो अपलोड करने में समय लगता है। इसमें तकनीकी मदद ली जा रही है।


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