बस चाहिए लगन और मेहनत, मिल्खा और मैरी कॉम तो हमारे स्टेडियम से भी निकलेंगे
खेलकूद के प्रति बच्चों में रूचि दिख रही है। खेल विभाग के अंतर्गत कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम में इस सत्र में छोटे बच्चों का नामांकन अधिक संख्या में देखने को मिल रहा है।
मेरठ,जेएनएन। भविष्य में खेल प्रतियोगिताओं में मेरठ की धाक जमाने के लिए छोटे बच्चों को अधिक से अधिक संख्या में खेल से जोड़ने की कवायद की जा रही है। खेल विभाग के अंतर्गत कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम में इस सत्र में छोटे बच्चों का नामांकन अधिक संख्या में देखने को मिल रहा है। विशेष तौर पर एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, जिमनास्टिक, बैडमिंटन खेलों में छोटे बच्चों को अधिक प्राथमिकता दी जा रही है। इन्हीं बच्चों में से भविष्य के मिल्खा सिंह और मैरी कॉम निकल सकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए छोटे बच्चों को ट्रेनिंग में प्राथमिकता दी जा रही है।
खेलों के प्रति बढ़ा रुझान
सभी शिक्षा बोर्ड की ओर से स्कूलों में खेल एवं शारीरिक शिक्षा को अनिवार्य किए जाने से बच्चों के साथ ही परिजनों में भी खेलों के प्रति रुझान बढ़ा है। इससे बच्चों के नामांकन में बढ़ी संख्या को देखते हुए कोचों ने भी उन्हें प्रोत्साहित करना शुरू किया। एथलेटिक्स और बॉक्सिंग काफी संख्या में छह से 12 साल तक के आयु वर्ग के बच्चे हैं। यह बच्चे सुबह और शाम दोनों समय स्टेडियम में ट्रेनिंग के लिए पहुंच रहे हैं। वहीं जिमनास्टिक में तीन-चार साल की आयु वर्ग के बच्चे भी परिजनों के साथ ट्रेनिंग के लिए रेगुलर पहुंच रहे हैं।
खेल आयोजनों का पड़ रहा असर
जिला एथलेटिक संघ की ओर से छोटे बच्चों के लिए आयोजित प्रतियोगिता में बच्चों का प्रदर्शन परिजनों को भी खेल के प्रति आकर्षित कर रहा है। पिछले साल स्कूल एथलेटिक्स और पिछले सप्ताह किड्स एथलेटिक प्रतियोगिता में नन्हें खिलाड़ियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था। संघ सचिव अनु कुमार के अनुसार बच्चों को खेल से जोड़ने के लिए खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन बेहद जरूरी है। तभी वह आकर्षित होंगे। एक बार जुड़ गए तो वह स्वयं जुड़े रहेंगे, हमें तो सिर्फ उनका मार्गदर्शन करना होता है।
हुनर को पहचानने का बेहतर अवसर
स्टेडियम में एथलेटिक कोच गौरव त्यागी के अनुसार छोटी उम्र में बच्चों को ट्रेनिंग कराने से उनके भीतर छिपी प्रतिभा कम उम्र में ही दिखने लगती है। उसी के अनुरूप उन्हें ट्रेनिंग में ढालने से वह बेहतर खिलाड़ी बनकर उभरते हैं। छोटे बच्चों को उसी क्रम में तीन से चार साल की ट्रेनिंग मिलने से वह राष्ट्रीय स्तर पर दमदार प्रदर्शन करते हुए पदक जीतते हैं। बॉक्सिंग कोच व उपक्रीड़ा अधिकारी भूपेंद्र सिंह के अनुसार छोटे बच्चों में सीखने की ललक अधिक होती है। यही ललक उन्हें ट्रेनिंग में बेहतरीन अनुशासित खिलाड़ी बनाने में मदद करती है। स्कूल स्तर पर ही अच्छी ट्रेनिंग मिलने से यही खिलाड़ी सीनियर वर्ग में बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
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