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इसरो के मिशन हिंदी में पढ़ रहे बाल वैज्ञानिक, अपने प्रोजेक्‍ट में भी कर रहे इस्‍तेमाल Meerut News

मंगलयान और चंद्रयान की खगोलीय यात्रा ने देशभर में भारत की विज्ञान क्षमता में विश्वास बढ़ा दिया है। ये दोनों घटनाक्रम स्कूलों में पढ़ रही नई पीढ़ी के सामने घटित हुए।

By Prem BhattEdited By: Published: Fri, 10 Apr 2020 04:00 PM (IST)Updated: Fri, 10 Apr 2020 04:00 PM (IST)
इसरो के मिशन हिंदी में पढ़ रहे बाल वैज्ञानिक, अपने प्रोजेक्‍ट में भी कर रहे इस्‍तेमाल Meerut News
इसरो के मिशन हिंदी में पढ़ रहे बाल वैज्ञानिक, अपने प्रोजेक्‍ट में भी कर रहे इस्‍तेमाल Meerut News

मेरठ, जेएनएन। मंगलयान और चंद्रयान की खगोलीय यात्रा ने देशभर में भारत की विज्ञान क्षमता में विश्वास बढ़ा दिया है। ये दोनों घटनाक्रम स्कूलों में पढ़ रही नई पीढ़ी के सामने घटित हुए, इसलिए स्कूली बच्चों में भी विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने की ललक अधिक दिख रही है। बच्चों ने विज्ञान और इसरो की गतिविधियों से जुड़े सवाल पूछना शुरू किया तो इसरो की वेबसाइट खंगालने का सिलसिला भी बढ़ा। इसरो की वेबसाइट पर सभी अभियानों की विस्तृत जानकारी अंग्रेजी के साथ ही हिंदी में भी दी गई है। जिला विज्ञान क्लब से जुड़े बाल वैज्ञानिक हिंदी में मिशन को पढ़ने के साथ ही अपने प्रोजेक्ट में इस्तेमाल भी कर रहे हैं।

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वर्ष 1962 में शुरू हुआ सफर

1962 में जब भारत सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (इन्कोस्पार) का गठन किया तब भारत ने अंतरिक्ष में जाने का निर्णय लिया। दूरदृष्टा डा.विक्रम साराभाई के साथ इन्कोस्पार ने ऊपरी वायुमंडलीय अनुसंधान के लिए तिरुअनंतपुरम में थुंबा भूमध्यरेखीय राकेट प्रमोचन केंद्र (टल्र्स) की स्थापना की। 1969 में गठित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने तत्कालीन इन्कोस्पार का अधिक्रमण किया। डॉ. विक्रम साराभाई ने राष्ट्र के विकास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की भूमिका तथा महत्व को पहचाना और उनके ही मार्गदर्शन में इसरो ने राष्ट्र को अंतरिक्ष आधारित सेवाएं प्रदान करने के लिए मिशनों पर कार्य शुरू किया।

विश्व की छठी सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी

आम जनता और राष्ट्र के लिए काम करते हुए इसरो ने अंतरिक्ष विज्ञान में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इस प्रक्रिया में आज इसरो विश्व की छठी सबसे विशाल अंतरिक्ष एजेंसी बन गया है। इसरो के पास संचार उपग्रह (इंसेट) व सुदूर संवेदन (आइआरएस) उपग्रहों का वृहतम समूह है, जो द्रुत व विश्वसनीय संचार एवं भू-प्रेक्षण की बढ़ती मांग को पूरा करता है। इसरो द्वारा विकसित उपग्रहों में प्रसारण, संचार, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन उपकरण, भौगोलिक सूचना प्रणाली, मानचित्र कला, नौवहन, दूर-चिकित्सा, समर्पित दूरस्थ शिक्षा संबंधी उपग्रह हैं।

इनका कहना है

इसरो 101 अंतरिक्ष मिशन, स्क्रैमजेट-टीडी एवं आरएलवी-टीडी सहित 72 लांच मिशन, नौ विद्यार्थी उपग्रह, दो पुन:प्रवेश मिशन और 32 देशों के 269 उपग्रह लांच कर चुका है। इसीलिए मैं हमेशा बाल वैज्ञानिकों को इसरो की वेबसाइट से अपडेट लेते रहने के लिए प्रेरित करता हूं। यहां से पढ़ने के बाद बच्चों की समझ बढ़ी है और वे सवाल भी अधिक पूछने लगे हैं।

- दीपक शर्मा, जिला समन्वयक, जिला विज्ञान क्लब


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