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अस्त होते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर मांगी परिवार की मंगल कामना

कोरोना काल में सामूहिक छठ पूजा के आयोजन पर प्रशासन ने रोक लगा दी है लेकिन सूर्योपासना के इस महापर्व पर भक्तों के उत्साह में कोई कमी नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 04:30 AM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 04:30 AM (IST)
अस्त होते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर मांगी परिवार की मंगल कामना
अस्त होते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर मांगी परिवार की मंगल कामना

मेरठ, जेएनएन। कोरोना काल में सामूहिक छठ पूजा के आयोजन पर प्रशासन ने रोक लगा दी है, लेकिन सूर्योपासना के इस महापर्व पर भक्तों के उत्साह में कोई कमी नहीं है। शुक्रवार को शहर में कई जगह अस्थायी रूप से बनाए गए पानी से भरे हौज में खड़े होकर महिलाओं ने डूबते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। जेलचुंगी, शास्त्रीनगर, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर और गांधी आश्रम में छठ पूजा हुई। छठ मइया को प्रसन्न करने के लिए भक्त गुरुवार की रात से अन्न और जल त्याग कर व्रत कर रहे हैं। यह सिलसिला शनिवार सुबह उगते हुए सूरज को अ‌र्घ्य देने तक चलेगा। इसके लिए भक्त रात तीन बजे से ही अ‌र्घ्य देने के स्थल पर जुटने शुरू हो गए।

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गांधी आश्रम में दूर-दूर से लोग पहुंचे। हालांकि पिछले वर्षो की तरह यहां पर कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गई। यहां पर कपड़े धोने की हौज में पानी भर कर अ‌र्घ्य देने की व्यवस्था की गई। हौज के किनारे कतारबद्ध होकर बैठी सजी संवरी महिलाएं समवेत स्वर में भजन गा रही थीं। आस पास नए वस्त्र पहने उछलते कूदते बच्चों का उत्साह अलग ही नजर आ रहा था।

केले के पत्तों और चित्रों से सजाया कुंड

जेल चुंगी के पास प्रभात नगर में एक आवास में गड्ढा खोद कर कुंड बनाया गया है। जेलचुंगी रामलीला कमेटी के वरुण गोयल ने बताया कि हर वर्ष रामलीला मैदान में पूजा होती थी। इस बार अनुमति न मिलने से घर पर ही आयोजन हो रहा है। कुंड को केले के पत्तों और देवी देवताओं के चित्रों से सजाया गया। जीवन मुखिया ने बताया कि आसपास के 15-20 परिवार पूजा कर रहे हैं।

न पुरोहित न मंत्रोच्चार, भजनों से देवी का आह्वान

छठ पूजा पूरी तरह लोक पर्व है। इसकी पूजा में किसी पंडित-पुरोहित की आवश्यकता नहीं होती है। छठ मइया के पूजन के तय विधान हर महिला को ज्ञात होते हैं। उसी के अनुसार वह पूजा करती है। देवी का आह्वान लोकगीतों से होता है।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर एके चौबे ने बताया कि यह सही मायने में प्रकृति पूजा का पर्व है। उनकी पत्नी प्रमिला पिछले 30 सालों से छठ का व्रत कर रही हैं। विवि परिसर स्थित उनके आवास में एक हौज में खड़े होकर महिलाओं ने पूजा की।

भगवान भास्कर से कोरोना के खात्मे की प्रार्थना

पल्लवपुरम फेज-दो की डिवाइडर रोड स्थित पानी की टंकी परिसर में चल रहे छठ महोत्सव के अवसर पर शुक्रवार को व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देकर कोरोना के खात्मे और देश में तरक्की के लिए प्रार्थना की।

पल्लवपुरम की छठ पूजा समिति के अध्यक्ष भोगेंद्र झा ने बताया कि इस बार कोविड-19 के कारण सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया जा रहा। शुक्रवार को पंडित प्रेमचंद झा ने पूजा अर्चना कराने के बाद आरती कराई। स्थानीय पार्षद विक्रांत ढाका, संजय सिंह, रामानंद यादव, कुलदीप यादव, अशोक मिश्रा, पुनीता, सरोज, आरती, कल्पना, हीरा, नूतन आदि उपस्थित थे।

कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए..

आइ-ब्लाक में छठ पूजन के तीसरे दिन श्रद्धालुओं ने अस्त होते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। श्री शिव दुर्गा मंदिर परिसर में कार्यक्रम हुआ। महिलाओं ने 'कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए' जैसे गीत गाकर पूजन किया। आयोजन में डा. राजेश, रविद्र कुमार यादव, परमहंस यादव, समर सिंह, एसके ठाकुर, पंछीलाल यादव आदि रहे। उधर, न्यू मीनाक्षीपुरम सिखैड़ा रोड स्थित कंठी माता प्राचीन मंदिर में भी डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य दिया गया।


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