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अखिलेश यादव यूं ही जयंत को राज्यसभा नहीं भेज रहे, जाटों में भाजपा की पकड़ को कमजोर करने की रणनीति

चौधरी जयंत सिंह को राज्यसभा सदस्य का टिकट मिलने से उच्च सदन के जरिए खत्म होगा रालोद का सूखा। साथ ही जाटों में भाजपा को कमजोर करना चाहती है समाजवादी पार्टी। पश्चिम यूपी में रालोद का कद और ऊंचा करने की है कवायद।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Fri, 27 May 2022 08:48 AM (IST)Updated: Fri, 27 May 2022 11:46 AM (IST)
अखिलेश यादव यूं ही जयंत को राज्यसभा नहीं भेज रहे, जाटों में भाजपा की पकड़ को कमजोर करने की रणनीति
सपा रणनीति के तहत की चौधरी जयंत सिंह को राज्‍यसभा भेजना चाहती है।

जहीर हसन, बागपत। चौधरी जयंत सिंह रालोद व सपा से राज्यसभा सदस्य के प्रत्याशी होंगे। रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह में समर्थकों में जश्न है, क्योंकि उच्च सदन के जरिए रालोद का आठ साल पुराना सियासी सूखा खत्म होने का भरोसा जगा है। वहीं अखिलेश यादव यूं ही जयंत को राज्यसभा नहीं भेज रहे, बल्कि इसके पीछे रालोद के सहारे पश्चिम यूपी में भाजपा को जाटों में कमजोर करने की रणनीति है।

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जयंत की जीत पक्‍की होने का दावा

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चौधरी जयंत सिंह को रालोद-सपा के संयुक्त उम्मीदवार घोषित किए। रालोद के नेता जिला पंचायत सदस्य सुभाष गुर्जर और पूर्व जिलाध्यक्ष जगपाल सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए दावा किया कि जयंत चौधरी की जीत पक्की होगी। वहीं चौधरी जयंत सिंह के उम्मीदवार घोषित होने से रालोदियों में खुशी का ठिकाना नहीं है, क्योंकि एक के बाद एक लग रहे झटकों के बीच जयंत का राज्यसभा जाना बड़ी राहत की बात है। दरअसल वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पश्चिम यूपी में चौधरी परिवार एवं रालोद की सियासी जमीन सिमटती गई।

विस चुनाव में नहीं दिखा कोई करिश्‍मा

भाजपा की सियासी आंधी के आगे वर्ष 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में स्व. अजित सिंह बागपत व मुजफ्फरनगर तथा जयंत चौधरी मथुरा व बागपत से हार गए थे। वहीं रालोद वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में भी छपरौली सीट तक सिमटने और बाद में इस इकलौता विधायक सहेंद्र सिंह के भाजपा का दामन थामने से रालोद को करारा झटका था। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में रालोद करिश्मा नहीं कर पाई है। बेशक पश्चिम यूपी में आठ विधायक जीते, लेकिन लोकसभा तथा राज्यसभा में रालोद का कोई प्रतिनिधि नहीं है।

रालोदियों का बढ़ेगा मनोबल

अब रालोद सुप्रीमो चौधरी जयंत सिंह के राज्यसभा में जाने पर न केवल पार्टी का सियासी सूखा खत्म होगा, बल्कि नेताओं तथा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा। जयंत के पीछे अखिलेश की रणनीति वहीं चौधरी जयंत सिंह को राज्यसभा में भेजने के पीछे अखिलेश यादव की पश्चिम यूपी में जाटों में भाजपा की पकड़ को कमजोर करने रणनीति है। सियासी जानकारों का मनाना है कि अखिलेश यादव जानते है कि यदि रालोद को सियासी सहारा नहीं दिया, तो पश्चिम यूपी में सपा वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को आसानी से टक्कर नहीं दे पाएगी। इसलिए अखिलेश यादव ने जयंत सिंह को राज्यसभा भेजने का मन बनाया, ताकि पश्चिम यूपी में रालोद भाजपा के लिए सिरदर्द बनी रहे।

चौधरी जयंत सिंह के प्रत्याशी घोषित होने से खुशी की लहर

बड़ौत : चौधरी जयंत सिंह रालोद व सपा से राज्यसभा सदस्य के प्रत्याशी घोषित होने की खबर से क्षेत्र में खुशी की लहर है। पूर्व विधायक और वरिष्ठ रालोद नेता प्रो. महक सिंह ने बताया कि जयंत सिंह के उच्च सदन में निर्वाचित होने से पार्टी को मजबूती मिलेगी। छपरौली से रालोद विधायक डा. अजय कुमार ने कहा कि जयंत चौधरी के राज्यसभा में जाना बड़ी उपलब्धि है। इसको लेकर क्षेत्र की जनता काफी खुश है। 

यह भी पढ़ें : चौधरी अजित सिंह ने भी राज्यसभा से की थी राजनीतिक कैरियर की शुरुआत.... और अब जयंत सिंह


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