गड़बड़झाला : पुलिस की विवेचना में भ्रष्टाचार पर ‘चार्जशीट’ Meerut News
पुलिस महानिरीक्षक प्रवीण कुमार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए पूरी प्लानिंग की है। रेंज के पांच जनपदों में फरवरी से सर्किल वार विवेचनाओं की समीक्षा की जाएगी।
मेरठ, जेएनएन। शासन की मंसा के बाद भी विवेचनाओं में भ्रष्टाचार का खेल रूक नहीं रहा है। मुकदमों से नाम निकालने और बढ़ाने के नाम पर वसूली हो रही है। प्रत्येक दिन आइजी के समक्ष रेंज से ऐसे दस केस आ रहे हैं, जिनमें विवेचक पर वसूली के आरोप लगाए जा रहे हैं। इसी को आधार बनाकर आइजी ने भ्रष्टाचार पर चाबुक चलाने का निर्णय लिया है। रेंज के सभी जनपदों की सर्किल वार समीक्षा की जाएगी।
पुलिस महानिरीक्षक प्रवीण कुमार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए पूरी प्लानिंग की है। रेंज के पांच जनपदों मेरठ, बुलंदशहर, गाजियाबाद, बागपत और हापुड़ में फरवरी से सर्किल वार विवेचनाओं की समीक्षा की जाएगी। आइजी ने बताया कि रेंज में करीब छह हजार विवेचनाएं लंबित हैं, इनमें ज्यादातर विवेचनाएं चोरी तक की पे¨डग पड़ी हुई हैं। वाहन चोरी का मुकदमा खत्म होने पर ही पीड़ित को इंश्योरेंस की रकम मिल जाती है। ऐसे मुकदमों में भी विवेचक देरी कर रहे है। इस देरी का मतलब वसूली ही है। अब विवेचनाओं में पूरी तरह से पादर्शिता बरती जाएगी।
एसआर केस में कप्तान और आइजी को देंगे जानकारी
हत्या, लूट, डकैती समेत सभी संगीन मामलों की मॉनीटरिंग कप्तान खुद करेंगे। विवेचक भी कप्तान और आइजी की अनुमति लिए बिना मुकदमों में नाम घटा या बढ़ा नहीं सकता है। यदि विवेचक ने ऐसा किया तो प्रारंभिक जांच के साथ-साथ बेड एंट्री भी दी जाएगी।
ऐसे होगी विवेनाओं की जांच
आइजी फरवरी से एक सर्किल में ओआर करेंगे, उस ओआर में जनपद के कप्तान, एसपी सिटी, एसपी क्राइम, संबंधित सर्किल के सीओ, थाना प्रभारी और विवेचक शामिल होंगे। प्रत्येक विवेचना पर गहनता से चर्चा की जाएगी, जिस सर्किल का ओआर होगा। उसके सभी पुलिसकर्मियों को एक सप्ताह पहले सूचना दे दी जाएगी। ताकि वह सभी विवेचनाओं का ब्योरा तैयार रखे। गलत मिलने पर विवेचक को साथ ही दंडित किया जाएगा।
पीड़ित पक्ष को भी बुलाया जाएगा
विवेचनाओं के अर्दली रूम यानि ओरआर में पीड़ित पक्ष को बुलाया जाएगा। वह अपनी समस्या से अवगत करा सकते है। विवेचक और पीड़ित के आमने सामने होने पर ज्यादातर मामले साल्व हो जाएंगे। इससे पीड़ित को अफसरों के चक्कर नहीं काटने होंगे।
इन्होंने कहा
चार्ज लेने के बाद ही हमने विवेचनाओं में पारदर्शिता रखने का दावा किया था। ज्यादातर पीड़ित मुकदमों की कार्रवाई को लेकर ही अफसरों के पास आ रहे है। विवेचनाओं पर निगरानी रखने से आधे से ज्यादा अपराध कम हो जाएगा। विवेचक के गलत निर्णय लेने के बाद ही नया अपराध जन्म लेता है, जिसे पूरी तरह से अंकुश लगाया जाएगा।
- प्रवीण कुमार, आइजी रेंज।