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कुछ इस तरह मेरठ का सर्किट ले उड़ा चंद्रयान-2 Meerut News

चंद्रयान-2 के इलेक्ट्रानिक पैनल में जिस तार का इस्तेमाल हुआ है वह 300 डिग्री से लेकर माइनस 60 डिग्री का तापमान भी सहन कर सकता है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Tue, 23 Jul 2019 11:46 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jul 2019 11:46 AM (IST)
कुछ इस तरह मेरठ का सर्किट ले उड़ा चंद्रयान-2 Meerut News
कुछ इस तरह मेरठ का सर्किट ले उड़ा चंद्रयान-2 Meerut News
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। चंद्रयान-2 के इलेक्ट्रानिक पैनल में जिस तार का इस्तेमाल हुआ है, वह 300 डिग्री से लेकर माइनस 60 डिग्री का तापमान भी सहन कर सकता है। इस तार में कॉपर पर सिल्वर की परत चढ़ाकर इंसुलेटर बनाया जाता है। पीटीएफई यानी पॉली टेट्रा फ्लेरो इथाइलीन एक खास किस्म का पॉलीमर वायर है, जिसे दो सौ वषों तक जमीन में दबा दें तो भी खराब नहीं होता।
यहां बनती है पॉलीमर
मेरठ के परतापुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित पीटीएफई कंपनी तीन दशक से पॉलीमर तार बनाती है। विशेष पॉलीमर या टेफ्लॉन तारों का प्रयोग इसरो, डीआरडीओ जैसे संस्थानों में किया जाता है। इसका इस्तेमाल लड़ाकू विमानों और मेट्रो रेल में भी किया जाता है। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश मित्तल ने बताया कि ये तार इसरो के लांचिंग पैड पर लगे इलेक्ट्रोनिक पैनलों में भी लगाए जाते हैं।
इन्‍होंने बताया
इसरो के पेलोड सेक्शन में काम करने वाले वैज्ञानिक मनोज तिवारी का कहना है कि चंद्रयान-2 को ऊंचाई तक ले जाने के लिए भारी वजन के प्रक्षेपण यान का प्रयोग हुआ है। इस प्रक्रिया में बेहद पतले और उच्च ताप में भी न पिघलने वाले तारों का इस्तेमाल होता है। कंपनी के पार्टनर राजीव सिंघल ने बताया कि इन तारों के लिए जरूरी कच्चा माल अब देश में ही बनता है। 

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