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बात पते की : पहले तालियां, उसके बाद...मेरठ के नगर आयुक्‍त के सामने चुनौतियां Meerut News

अपने नगर आयुक्त इस बार जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठक में बुरे फंसे।

By Taruna TayalEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 12:24 PM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2020 12:24 PM (IST)
बात पते की : पहले तालियां, उसके बाद...मेरठ के नगर आयुक्‍त के सामने चुनौतियां Meerut News
बात पते की : पहले तालियां, उसके बाद...मेरठ के नगर आयुक्‍त के सामने चुनौतियां Meerut News

मेरठ, [अनुज शर्मा]। अपने नगर आयुक्त इस बार जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठक में बुरे फंसे। उनकी नियमित उपस्थिति और शहर की सफाई में सुधार के लिए पहले तो उनके लिए केंद्रीय मंत्री, सांसद और सभी विधायकों के सामने भरे सभागार में जमकर तालियां बजीं लेकिन कुछ पल में ही हालात ऐसे बदले कि हर कोई राशन पानी लेकर चढ़ बैठा। कुसूर यह था कि स्मार्ट सिटी की 300 करोड़ की योजना को उन्होंने किसी से बात किए बिना ही शासन को भेज दिया। उनसे खूब सवाल जवाब हुए और जमकर खरी खोटी भी सुनने को मिली। सबसे वरिष्ठ विधायक का दर्द भी इस दौरान छलक पड़ा। नगर आयुक्त ने उनका फोन नहीं उठाया था। इसपर दिशा समिति के अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री भी गुस्सा गए। उन्हें चेतावनी मिली और सभी की सहमति से स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट नये सिरे से तैयार करने का निर्देश भी।

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गड्ढों पर घिरे साहब

सड़कों में गड्ढों ने इस बार साहब को खूब सुनवा दी। शहर के साथ जनपद भर में सड़कों की हालत खराब है। नगर निगम, छावनी की सड़कें हों या फिर हाईवे और दूसरे प्रमुख मार्ग, सभी गड्ढों में गुम हैं। गहरे गड्ढों में जनता घायल हो रही है। अफसरों के साथ साथ डीएम साहब के दरबार में भी उन्होंने गुहार लगाई लेकिन किसी ने नहीं सुनी। आखिरकार शिकायत जनप्रतिनिधियों के पास पहुंची। सभी जनप्रतिनिधि शनिवार को जुटे थे। मौका अच्छा था। सभी ने मिलकर डीएम साहब को घेर लिया। दो टूक पूछा कि सड़कें कब तक ठीक होंगी। अभी तक इस जिम्मेदारी को क्यों नहीं समझा। बजट की कमी थी तो सरकार और उन्हें क्यों नहीं बताया गया। तमाम नसीहतें मिलीं। साथ ही जल्द से जल्द सड़कों को ठीक कराने का कड़ा निर्देश। जनप्रतिनिधियों का गुस्सा देखते हुए साहब बाहर तक भी उन्हें मनाते दिखाई दिए।

नप गए विकास पुरुष

लापरवाही की भी एक सीमा होती है। सीमा पार होने के बाद बच पाना मुश्किल होता है। ऐसा ही कुछ जनपद के विकास पुरुष के साथ हुआ है। सीडीओ मैडम की जांच रिपोर्ट बताती है कि उन्हें बार बार चेताया गया लेकिन नहीं माने। जिला विकास अधिकारी ने मुख्यमंत्री की गंगायात्रा में असहयोग किया। प्रभारी अधिकारी पहुंचे तो वे बिना अनुमति और अवकाश लिये ही चार दिन तक मुख्यालय से गायब रहे। उनके कंधों पर कितनी जिम्मेदारियां हैं, उनका खुलासा भी पहली बार सीडीओ मैडम की रिपोर्ट से ही हुआ। बीडीओ से लेकर आइजीआरएस, गोआश्रय स्थल, युवा कल्याण, एनआरएलएम, मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास समेत तमाम कार्य उनके पास हैैं। सभी में लापरवाही के आरोप भी उनपर हैैं। बहरहाल चेतावनी के साथ विकास पुरुष को प्रतिकूल प्रविष्टि मिली है, उनका वेतन भी रोक दिया गया है। कार्रवाई के बाद कितना सुधार होता है, यह देखने वाली बात है।

विकास में की बेईमानी

सड़कों के निर्माण और अन्य विकास कार्यों के टेंडरों में मनमानी और गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ के आरोप आम जनता लगाये तो उन्हें एक बारगी टाला जा सकता है लेकिन जब विधायक यह बात कहें तो मामला गंभीर ही होगा। जनपद में 19 सड़कों का निर्माण करके दो बार भुगतान ले लिए जाने का आरोप है। यह आरोप हस्तिनापुर क्षेत्र के विधायक दिनेश खटीक ने लगाया है। वह भी उस भरी बैठक में जिसमें केंद्रीय मंत्री, सभी विधायक और जनपद के अधिकांश विभागों के अधिकारी मौजूद थे। विधायक जी के इस आरोप से एकबारगी सभागार में सन्नाटा छा गया। कार्रवाई का वायदा किया गया लेकिन सरकारी धनराशि का मनमाना भुगतान करना और फिर धांधली करके उसकी बंदरबांट करना गंभीर अपराध है, जिसे टाला नहीं जा सकता। बैठक में तो विधायक जी से वादा कर लिया गया लेकिन देखना है कि जांच कितनी ईमानदारी से होती है। 


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