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निगम का खुल गया खेल, जिसमें थे पास हो गए उसी में फेल

केंद्र की एजेंसी ने मेरठ शहर को ओडीएफ घोषित किया पर कमिश्नर की जांच में पोल खुल गई। झूठे दावों पर कमिश्नर ने नगर आयुक्त से जवाब तलब किया।

By Taruna TayalEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 02:17 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 02:17 PM (IST)
निगम का खुल गया खेल, जिसमें थे पास हो गए उसी में फेल
निगम का खुल गया खेल, जिसमें थे पास हो गए उसी में फेल

मेरठ, जेएनएन। क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआइ) की टीम ने तमाम शिकायतों के बावजूद भले ही मेरठ शहर को ओडीएफ घोषित कर दिया हो, लेकिन कमिश्नर की जांच में पोल खुल गई है। कमिश्नर के पास पहुंची समिति की रिपोर्ट में साफ है कि शहर में अधिकांश व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण अधूरा है। न ही शहर का सर्वे करके शौचालय निर्माण का लक्ष्य तय किया गया है। कमिश्नर ने झूठे दावे करने पर नगर आयुक्त से जवाब तलब किया है।
शहर का सच कुछ और
नगर निगम ने पिछले साल दो अक्टूबर को ही पूरे शहर को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया था। नौ और 10 जनवरी को शहर के ओडीएफ सर्टिफिकेशन के लिए केंद्र सरकार की एजेंसी क्यूसीआइ ने निरीक्षण किया था। तमाम शिकायतों के बावजूद क्यूसीआइ ने मेरठ को ओडीएफ घोषित कर दिया, जबकि शहर का सच कुछ और ही है। निगम के दावे की जांच के लिए कमिश्नर ने अपर आयुक्त रजनीश राय की अध्यक्षता में एडीएम सिटी और डीडी पंचायत की जांच समिति गठित की। समिति ने सिविल डिफेंस और पंचायत विभाग के कर्मचारियों की मदद से पूरे शहर में उन व्यक्तिगत शौचालयों का निरीक्षण कराया, जिनका निर्माण पूरा कर लेने का दावा नगर निगम ने किया था। रिपोर्ट के मुताबिक मौके पर अधिकांश शौचालय अधूरे मिले। शौचालयों की जियो टैगिंग (गूगल मैप पर उपलब्धता) भी नहीं की गई। इस कारण जांच टीम को सैकड़ों शौचालय तलाश करने के बाद भी नहीं मिले। आशंका है कि जो शौचालय नहीं मिले उनका निर्माण ही नहीं किया गया है। निगम ने शौचालय निर्माण का लक्ष्य तय करने के लिए डेटलाइन सर्वे भी नहीं किया है। नियमानुसार सर्वे के मुताबिक लक्ष्य तय करके उसके 90 फीसद शौचालय का निर्माण होने पर ही शहर को ओडीएफ घोषित किया जा सकता है, लेकिन यहां बिना सर्वे ही मनमाने तरीके से शौचालय निर्माण का लक्ष्य निश्चित कर लिया गया। जांच रिपोर्ट कहती है कि इन हालात में शहर को ओडीएफ घोषित नहीं कहा जा सकता।
18 से 12 हजार हो गया लक्ष्य
स्वच्छ भारत मिशन के तहत दो साल पहले मेरठ शहर का शौचालय निर्माण का लक्ष्य 18 हजार से ज्यादा था, लेकिन दो महीने पहले अचानक नगर निगम का शौचालय निर्माण का लक्ष्य मात्र 12 हजार रह गया। अब निगम ने इस संख्या का 90 फीसद लक्ष्य पूरा करने का दावा करके ओडीएफ सर्टिफिकेट की मांग की थी।

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  • क्यूसीआइ ने इन उपलब्धियों पर घोषित किया ओडीएफ

  • 12,100 व्यक्तिगत शौचालयों के लक्ष्य में से 11000 से अधिक का निर्माण पूर्ण।
  •  सभी शौचालयों की जियो टैगिंग की गई।
  •  लक्ष्य के 90 फीसद से अधिक शौचालय बनाने पर ओडीएफ की पात्रता।
  •  शहर में स्थापित सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय मिले स्वच्छ।

कमिश्नर की जांच में उपलब्धियों की खुली पोल
- निगम की सूची में शामिल अधिकांश शौचालय मिले अधूरे।
- जियो टैगिंग का दावा गलत, टैगिंग न होने के कारण टीम को नहीं मिले शौचालय।
- शहर में नहीं हुआ सर्वे, मन से ही लक्ष्य कर लिया पूरा। 90 फीसदी शौचालय निर्माण का दावा भी गलत।
- शहर में स्थापित सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय मिले गंदे।
इन्होंने कहा
शहर में गंदगी के हालात में कोई बदलाव नहीं आया है। तमाम दिशा-निर्देशों के बाद भी लापरवाही जारी है। निगम के ओडीएफ के दावे भी झूठे मिले हैं। इसपर नगर आयुक्त से जवाब मांगा गया है। शासन को भी यह रिपोर्ट भेजी जाएगी। साथ ही शौचालयों का निर्माण कार्य पूरा कराने का आदेश दिया है।
- अनीता सी मेश्राम, कमिश्नर 


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