सीसीएसयू की कुटीर की टूटी छत में 'साहित्यकार'
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की साहित्यकार कुटीर में प्रेमचंद्र, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी की प्रतिमाएं स्थापित हैं।
मेरठ। विश्वविद्यालय जैसे शिक्षा के मंदिर में साहित्य के 'देवताओं' का दुर्गति हो रहा है। जिस साहित्यकार कुटीर में देश के महान साहित्यकारों की प्रतिमाएं स्थापित हैं उसकी छत टूटी पड़ी है। विवि प्रशासन इस तरफ से आंखें मूंदे है। यह स्थिति तब है जब पिछले महीने राज्यपाल रामनाईक ने विवि परिसर में आकर स्वामी विवेकानंद और धनसिंह कोतवाल की प्रतिमा का अनावरण किया था।
संत कबीर, गोस्वामी तुलसीदास, संत रैदास, भारतेंदु हरिश्चंद्र, हजारी प्रसाद द्विवेदी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल जैसे कवि और साहित्यकारों की प्रतिमाएं कुटीर में रखी गई हैं। हरियाली के बीचोबीच स्थित साहित्यकार कुटीर की छत को घास से तैयार किया गया था। विवि परिसर में ¨हदी साहित्य को बढ़ावा देने और इन कवियों-साहित्यकारों के विषय में छात्रों को जागरूक करने के लिए यह कुटीर स्थापित की गई थी। साहित्यकारों की प्रतिमाओं के साथ उनकी प्रमुख रचनाओं की पंक्तियों को भी लिखा गया है। वर्ष 2002 में तत्कालीन राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री ने लाखों रुपये से तैयार की गई साहित्यकार कुटीर का उद्घाटन किया था।
पानी टपक रहा
इस समय कुटीर की छत जगह-जगह टूटी है, बारिश का पानी अंदर गिर रहा है। पत्थर से तैयार इन प्रतिमाओं को भी नुकसान पहुंच रहा है। आसपास जो लाइटे लगाई गई हैं, वे सब टूटी पड़ी हैं। कैंपस में आने वाले छात्रों में इसको लेकर रोष है। उनका कहना है कि घास-फूस से बनी छत भी नहीं ठीक हो पा रही है। 16 साल में एक भी बार इस छत के रखरखाव की तरफ ध्यान नहीं दिया गया। एक तरह से परिसर में साहित्यकारों की उपेक्षा हो रही है।