CCSU Campus: कोरोना का डर और नकल की छाया, छेद तो सब जगह है, यूनिवर्सिटी को खोलनी होगी आंख
निजी कॉलेजों में सीसीटीवी कैमरे से परीक्षा की निगरानी हो रही है वहीं सरकारी और एडेड कॉलेजों में कुछ ही जगह कैमरे लगे हैं। बाकी जगह कॉलेजों की साख और भरोसे पर परीक्षा हो रही है।
मेरठ, [विवेक राव]। CCSU Campus चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की परीक्षा चुनौतियों के बीच चल रही है। एक तरफ कोरोना का डर है, दूसरी तरफ नकल की छाया। निजी कॉलेजों में सीसीटीवी कैमरे से परीक्षा की निगरानी हो रही है, वहीं सरकारी और एडेड कॉलेजों में कुछ ही जगह कैमरे लगे हैं। बाकी जगह कॉलेजों की साख और भरोसे पर परीक्षा हो रही है, लेकिन यह भरोसा टूटने लगा है। पहले यह माना जाता था कि एडेड कॉलेज में नकल तो होती नहीं। नकल रोकनेे के लिए इन कॉलेजों में विश्वविद्यालय का सचल दस्ता पहुंच रहा है, फिर तो बड़े कॉलेजों की भी पोल खुलने लगी है। इस बार निजी कॉलेजों से अधिक एडेड कॉलेजों से नकलची पकड़ में आ रहे हैं। हालांकि कुछ एडेड कॉलेज सचल दस्ते को अपने यहां बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। अब छेद हर जगह है, तो विश्वविद्यालय को भी आंख खोलनी ही पड़ेगी।
मास्क के अंदर क्या है
कोरोना से बचने के लिए लोग मास्क लगा रहे हैं, लेकिन इस मास्क की आड़ में कई तरह की कारस्तानी भी होने लगी है। चौधरी चरण ङ्क्षसह विश्वविद्यालय की परीक्षा में कोविड के आने से पहले कक्ष निरीक्षक गेट पर छात्रों के प्रवेश पत्र पर लगे फोटो और चेहरे का मिलान करते थे। कोविड में जबसे परीक्षा शुरू हुई है,शिक्षकों ने चेहरा मिलाना भी छोड़ दिया। अब तो सभी को चेहरा ढ़ककर ही परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जा रही है। इसमें कुछ जुगाड़ी छात्र नकल के लिए अक्ल भी लगाने लगे हैं। पूरे साल पढ़ाई के बाद भी कुछ सवाल नहीं समझ में आया। अब वह मास्क के भीतर भी पूरा फार्मूला लिखकर ला रहे हैं। हथेली पर पूरी केमिस्ट्री लिखकर आ रहे हैं। कोरोना के खतरे में किसके अंदर क्या चल रहा है, इसे पकडऩा शिक्षकों के लिए भी जरा मुश्किल है।
एहसान तले दबी है परीक्षा
मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई, अगस्त और अब सितंबर, ये वो महीने हैं जिसमें पूरी दुनिया संकट में है। कोरोना के खौफ के चलते स्कूल, कॉलेज सब बंद पड़े हैं। कुछ कॉलेजों के शिक्षक इस संक्रमण के काल में भी पूरी मेहनत से ऑनलाइन पढ़ाई कराते रहे हैं, तो कुछ शिक्षक ऐसे भी जो इतने महीने से इतने आराम के मूड में हैं कि उन्हें छात्रों की परीक्षा लेने में भी परेशानी हो रही है। कई कॉलेजों में परीक्षा की ड्यूटी देने के लिए शिक्षक नहीं पहुंच पा रहे हैं। उन्हें कोरोना का डर अधिक सता रहा है। कॉलेज के प्राचार्य भी शिक्षकों से कहकर थक चुके हैं। बार बार कहने के बाद कुछ शिक्षक घर से निकले हैं, तो लग रहा है कि वह परीक्षा कराकर किसी पर एहसान कर रहे हैं। अब इस तरह के एहसान से परीक्षा क्या, शिक्षा भी दबी रहेगी।
अरुण की दीप्ति हुई धूमिल
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में चौदह मुन्नाभाई एमबीबीएस बनने वाले थे। गनीमत रही कि ये पहले ही बेनकाब हो गए। इनमें दो साल पहले, दो छात्रों को कापियों की अदला- बदली में डिबार किया गया था, तो 12 छात्रों को एक साल पहले हाईटेक नकल करते रंगे हाथ पकड़ा गया था। इस तरह से एमबीबीएस की डिग्री लेने वालों के परिणाम पर विश्वविद्यालय ने ब्रेक लगाने की कोशिश की। विश्वविद्यालय में कुछ ऐसी लापरवाही हुई कि इनके परिणाम तक घोषित कर दिए गए। इस मामले में कुलपति ने जब सख्ती की तो कुछ कर्मचारी लपेटे में आए। अब असंतुष्ट जवाब देकर डिप्टी रजिस्ट्रार अरुण फंस गए हैं, जिनके हाथ से कार्य छिन गया। इसमें लापरवाही और आंख बंद करने वाले और लोग भी शामिल हो सकते हैं। उनपर भी शिकंजा कसने की जरूरत है। आखिर यह विश्वविद्यालय के साथ छात्रों की साख का सवाल है।