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CBSE अब ‘हब्स ऑफ लर्निंग’ के जरिए एकेडमिक गुणवत्ता सुधारेगी

एकेडमिक गुणवत्ता में वृद्धि और सेल्फ इंप्रूवमेंट को बढ़ावा देने के लिए सीबीएसई ने ‘हब्स ऑफ लर्निंग’ की व्यवस्था को लागू कर दिया है। इसके बेहतर रिजल्ट की उम्मीद है।

By Ashu SinghEdited By: Published: Fri, 22 Mar 2019 04:12 PM (IST)Updated: Fri, 22 Mar 2019 04:12 PM (IST)
CBSE अब ‘हब्स ऑफ लर्निंग’ के जरिए एकेडमिक गुणवत्ता सुधारेगी
CBSE अब ‘हब्स ऑफ लर्निंग’ के जरिए एकेडमिक गुणवत्ता सुधारेगी
मेरठ,जेएनएन। स्कूलों में एकेडमिक गुणवत्ता में वृद्धि और सेल्फ इंप्रूवमेंट को बढ़ावा देने के लिए सीबीएसई ने ‘हब्स ऑफ लर्निंग’ की व्यवस्था को लागू कर दिया है। इसके अंतर्गत सीबीएसई से मान्यता प्राप्त चार से छह नजदीकी स्कूलों को शामिल किया जाएगा। स्कूलों के इसी ग्रुप को ‘हब्स ऑफ लर्निंग’ नाम दिया जाएगा। इसमें स्कूल एक-दूसरे की एकेडमिक सहयोग के साथ ही स्कूल की शिक्षण पद्धति में ओवरऑल डेवलपमेंट में अपना-अपना योगदान देंगे।
ये गतिविधियां करेंगे साझा
इसमें स्कूलों में व्याप्त पढ़ाई,खेल,सांस्कृतिक आदि गतिविधियों की बेस्ट प्रैक्टिसेस को एक दूसरे से साझा करने का अवसर मिलेगा। पूरा होगा समान शिक्षा का उद्देश्य सीबीएसई के सभी स्कूलों में समान पाठ्यक्रम होने के बावजूद स्कूलों में शिक्षण का माहौल व रिजल्ट में बहुत अधिक अंतर है। इसी अंतर को कम या दूर करने के लिए सीबीएसई हर स्कूल के स्कूलों को आपस में जोड़ रहा है। शहर में वेस्ट एंड रोड, मवाना रोड, दिल्ली रोड, गढ़ रोड, शास्त्रीनगर, मोदीपुरम आदि ऐसे क्षेत्र हैं जहां थोड़ी दूरी पर कई स्कूल हैं।
तैयार होगा एकेडमिक माहौल
हब्स ऑफ लर्निंग में यह स्कूल आपस में जुड़ेंगे तो स्कूलों में एकेडमिक माहौल में सुधार होने के साथ ही मैनपावर, इंफ्रास्ट्रक्चर,टचिंग-लर्निंग मैटेरियल आदि साझा कर सकेंगे। इन गतिविधियों में जुड़ेंगे स्कूल स्कूलों में लिए लर्निंग हब्स से जुड़ना अनिवार्य है। इसमें स्कूलों को साथ मिलकर करिकुलम बनाना, कठिनाई होने पर को-टीचिंग, क्विज प्रतियोगिता, प्रोजेक्ट प्रस्तुति, कला प्रदर्शनी, को-करिकुलर व एक्स्ट्राकरिकुलर गतिविधियों में साथ शामिल होंगे। साथ मिलकर स्कूल वार्षिक पेडगॉजिकल करिकुलम तैयार कर उस पर पूरे साल अमल भी करेंगे।
शिक्षण असमानता कम होगी
इससे स्कूलों में व्याप्त शिक्षण असमानता कम होगी जिसका लाभ बच्चों को मिलेगा। साथ बढ़ेंगे सभी स्कूल मेरठ स्कूल सहोदय कांप्लेक्स के सचिव राहुल केसरवानी के अनुसार शहर के तमाम स्कूलों में संसाधनों व सुविधाओं में काफी अंतर है। मेरठ सहोदय काफी हद तक एक-दूसरे के बेहतर सुझावों को साझा करता रहा है लेकिन इस अनिवार्य व्यवस्था से आस-पास के सभी स्कूल साथ बढ़ेंगे। कुछ स्कूलों में एकेडमिक,तो कुछ में स्‍पोट्र्स अच्छा है। कहीं सांस्कृतिक गतिविधियां बेहतरीन हैं। साथ जुड़ने पर तीन बेहतरीन सुविधाएं भी जुडेंगी जिससे स्कूल के साथ बच्चे भी लाभान्वित होंगे। सीबीएसई स्कूलों में टीचर्स ट्रेनिंग अनिवार्य होता है। सीबीएसई साल में एक बार ट्रेनिंग कराती हे। ऐसे में अब यदि किसी स्कूल के शिक्षक को कोई कठिनाई होती है तो वह दूसरे स्कूल के शिक्षक से मदद ले सकेंगे।
बच्चों के लिए प्रश्न बैंक तैयार करेगा सीबीएसई
बोर्ड परीक्षा के साथ ही नौवीं से 12वीं तक के छात्र-छात्राओं को बेहतर तैयारी के लिए सीबीएसई की ओर से प्रश्न बैंक तैयार किया जाएगा। इस प्रश्न बैंक को शिक्षक भी अपने शैक्षणिक गतिविधियों में इस्तेमाल कर सकेंगे। इस बाबत सीबीएसई ने सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों से कक्षा नौवीं व 11वीं की वार्षिक परीक्षा के पेपर और 10वीं व 12वीं के इंटरर्नल एग्जाम के पेपर मांगे हैं। पिछले जितने साल के पेपर उपलब्ध हैं उनके साथ ही स्कूलों से हर विषय के टॉपर बच्चों की उत्तर पुस्तिका भी मांगी गई है। स्कूलों को यह पूरी जानकारी 31 मार्च तक सीबीएसई को मुहैया कराना है। स्कूल सभी एकेडमिक विषयों के पेपर भेज सकते हैं।
ये विषय होंगे कवर
इनमें कक्षा नौवीं व 10वीं के अंग्रेजी,हिंदी,विज्ञान,सामाजिक विज्ञान और गणित के पेपर और 11वीं व 12वीं के फिजिक्स,केमिस्ट्री, बायोलॉजी,गणित, इंग्लिश कोर व इलेक्टिव,हिंदी कोर व इलेक्टिव, एकाउंटेंसी,बिजनेस स्टडीज,इकोनोमिक्स, हिस्ट्री, राजनीति विज्ञान,भूगोल,साइकोलॉजी, फिजिकल एजुकेशन और कंप्यूटर साइंस के पेपर भेज सकते हैं। इसके साथ ही वोकेशनल विषयों के पेपर भी भेजे जा सकते हैं। सीबीएसई की अध्यक्ष अनीता करवल द्वारा जारी पत्र के अनुसार गोपनीयता बनाए रखने के लिए टॉपर बच्चों की उत्तर पुस्तिका के साथ स्कूल बच्चों के विवरण सीबीएसई को नही भी भेज सकते हैं। विस्तृत जानकारी के लिए स्कूल सीबीएसई के एसई एंड टी निदेशक डा.बिश्वजीत साहा से ई-मेल पर संपर्क कर सकते हैं। 

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