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CBI Raid In Meerut: सीबीआइ ने वर्धमान रोलर फ्लोर मिल्स में पकड़ा 20 करोड़ का फर्जीवाड़ा, बैंक अफसर भी बनेंगे आरोपित

CBI Raid In Meerut मेरठ में राजस्‍नेह ग्रुप पर सीबीआइ छापे के बाद अब धीरे-धीरे परतें खुल रही हैं। चारों निदेशकों ने 20 करोड़ 18 लाख का लोन मोहकमपुर स्थित वर्धमान रोलर फ्लोर मिल्स फर्म के नाम से कराया। यह रकम ट्रांसफर कर ली गई।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Tue, 07 Sep 2021 09:15 AM (IST)Updated: Tue, 07 Sep 2021 11:03 AM (IST)
CBI Raid In Meerut: सीबीआइ ने वर्धमान रोलर फ्लोर मिल्स में पकड़ा 20 करोड़ का फर्जीवाड़ा, बैंक अफसर भी बनेंगे आरोपित
मेरठ में 2013 से 2017 में बड़ी रकम कंपनी से सीए के खाते में की गई थी ट्रांसफर।

मेरठ, जागरण संवाददाता। CBI Raid In Meerut मेरठ में सीबीआइ की जांच में राजस्नेह ग्रुप के चार निदेशकों पर डायवर्जन आफ फंड का मामला पकड़ा गया है। चारों निदेशकों ने पंजाब नेशनल बैंक की स्पोट्र्स कांप्लेक्स शाखा से 20 करोड़ 18 लाख का लोन मोहकमपुर स्थित वर्धमान रोलर फ्लोर मिल्स फर्म के नाम से कराया। 2013 से 2017 तक लोन ली गई रकम राजस्नेह, कंपनी के सीए और निदेशक अशोक जैन के खाते में ट्रांसफर की गई थी। इतना ही नहीं वर्धमान रोलर फ्लोर मिल्स के नाम से दूसरे बैंक में खाता खोलकर रकम स्थानांतरित भी की गई है ताकि बैंक प्रबंधन की इस रकम पर नजर न रहे। सीबीआइ इस मामले में कंपनी के निदेशक और गवाह के अलावा बैंक के अफसरों को भी आरोपित बनाने जा रही है।

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जांच एजेंसी ने की थी छापेमारी

शुक्रवार को गाजियाबाद सीबीआइ की तीन टीमों ने राजस्नेह ग्रुप के निदेशक अशोक जैन के सूर्या पैलेस और राजेश जैन के प्रेमपुरी और निदेशक मनोज गुप्ता के सदर बाजार स्थित आवास पर छापेमारी की, जबकि चौथी टीम राजस्नेह ग्रुप से हटाए गए अनिल जैन के घर वीरनगर ब्रह्मपुरी पहुंची। चारों टीमों ने सुबह आठ बजे से देर शाम तक सभी निदेशकों के आवास पर दस्तावेज खंगाले थे। सीबीआइ की जांच में सामने आया कि अशोक जैन, राजेश जैन, मनोज गुप्ता और अनिल जैन ने मोहकमपुर स्थित वर्धमान रोलर फ्लोर मिल्स फर्म के नाम से 20 करोड़ 18 लाख का लोन कराया था।

इस तरह लोन हुआ और रकम निकली

आठ फरवरी 2013 को पंजाब नेशनल बैंक ने वर्धमान रोलर फ्लोर मिल्स का लोन आठ करोड़ 40 लाख से बढ़ाकर 11 करोड़ 40 लाख कर दिया। उसी दिन इस रकम को कंपनी के खाते से एचडीएफसी बैंक के एक खाते में निकलवा लिया गया। पांच जून 2014 में फर्म का लोन 11 करोड़ 40 से बढ़ाकर 17 करोड़ 40 लाख कर दिया। उसी दिन कंपनी के खाते से तीन करोड़ की रकम राजस्नेह को दे दी गई। इसके 21 दिन बाद ढाई करोड़ की रकम वर्धमान कंपनी के सीए के खाते में स्थानांतरण कर दी गई। कंपनी ने 26 सितंबर 2016 को चार करोड़ का लोन और बढ़वा दिया। तब दूसरे बैंक में वर्धमान कंपनी का खाता खोलकर उसी दिन एक करोड़ 65 लाख की रकम निकाली गई। राजस्नेह के खाते में भी दो करोड़ तीस लाख की रकम ट्रांसफर की गई। 20 अप्रैल 2017 को फिर एचओडी लिमिट बनाकर तीन करोड़ का लोन बढ़ाया गया। दो करोड़ 80 लाख की रकम राजस्नेह कंपनी के खाते में स्थानांतरण कर ली गई। 12 अक्टूबर 2017 को एसओडी लिमिट के द्वारा एक करोड़ का फिर लोन लिया, जिसमें से 95 लाख की रकम अशोक जैन के खाते में ट्रांसफर की गई। सीबीआइ ने सभी निदेशकों से इस रकम के बारे में जवाब मांगा है।

इनके खिलाफ हुआ मुकदमा

निदेशक अशोक जैन, राजेश जैन, मनोज गुप्ता, अनिल कुमार जैन, गवाह में अंशुल और अंकित जैन पुत्रगण अनिल जैन, पूनम जैन पत्नी राजेश जैन, संगीता जैन पत्नी संजय जैन, साधना जैन पत्नी अशोक जैन और वर्धमान रोलर फ्लोर मिल्स व राजस्नेह आटो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को भी मुकदमे में नामजद किया गया है। सभी के सीबीआइ बयान दर्ज कर चुकी है। सीबीआइ डायवर्जन आफ फंड के इस मामले की जांच में बैंक अफसरों को भी आरोपित बनाने जा रही है।


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