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CGST रिश्‍वत प्रकरण : एंटी करप्‍शन में भी की थी शिकायत, विजिलेंस पर नहीं था भरोसा Meerue News

ऊर्जा निगम के ठेकेदार ने पहले एंटीकरप्शन व विजिलेंस विभाग से भी रिश्‍वत मांगे जाने की शिकायत की थी लेकिन पीड़ित को विजिलेंस पर भरोसा नहीं था।

By Prem BhattEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 08:50 AM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 08:50 AM (IST)
CGST रिश्‍वत प्रकरण : एंटी करप्‍शन में भी की थी शिकायत, विजिलेंस पर नहीं था भरोसा Meerue News
CGST रिश्‍वत प्रकरण : एंटी करप्‍शन में भी की थी शिकायत, विजिलेंस पर नहीं था भरोसा Meerue News

मेरठ, [अभिषेक कौशिक]। ऊर्जा निगम के ठेकेदार ने सीबीआइ से पहले एंटीकरप्शन व विजिलेंस विभाग से भी इसकी शिकायत की थी, लेकिन पीड़ित को विजिलेंस पर भरोसा नहीं था, इसलिए उसने सीबीआइ में शिकायत की। इसका नतीजा यह हुआ कि टीम ने 24 घंटे के अंदर पूरी योजना बनाकर आरोपित को रंगेहाथ पकड़ लिया। शुक्रवार अलसुबह पूरी जांच के बाद टीम आरोपित को साथ लेकर गाजियाबाद चली गई।

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मांगी गई थी पांच लाख रुपये रिश्‍वत
हस्तिनापुर के तारापुर गांव निवासी अजय कुमार की मेसर्स अजय कुमार पावर कंस्ट्रक्शन के नाम से फर्म है। नौ साल से वह ऊर्जा निगम में ठेकेदारी कर रहे हैं। पिछले दिनों केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर लेखा परीक्षा आयुक्तालय (सीजीएसटी) मेरठ से आडिट कराने के लिए पत्र गया था। आरोप है कि कार्यालय अधीक्षक विकास कुमार चौधरी ने पांच लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। इसकी जानकारी पीड़ित ने सोमवार को सीना गांव निवासी अपने दोस्त को दी।

एंटी करप्‍शन विभाग ने कर दिया था मना
उसने एंटी करप्शन विभाग में शिकायत करने के लिए कहा। इस पर पीड़ित ने फोन पर विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया। बताया कि सीजीएसटी के कार्यालय अधीक्षक आडिट के नाम पर पांच लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे हैं। इस पर अधिकारी ने कहा कि वह राजपत्रित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकते। आप विजिलेंस विभाग में शिकायत करें, वह राजपत्रित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। एंटीकरप्शन विभाग से मिली निराशा के बाद पीड़ित का विजिलेंस विभाग से भरोसा उठ गया था।

दोस्त का दोस्त बना मददगार.. दिखाई राह
अजय कुमार ने बताया कि जिस समय वह सीना निवासी दोस्त से फोन पर बात कर रहे थे, तब उसका गांव निवासी दोस्त भी साथ बैठा था। उसने कहा कि सीबीआइ में शिकायत करो। उसने अधिकारियों के नंबर का इंतजाम किया। इसके बाद उन्होंने गाजियाबाद में सीबीआइ के अधिकारियों से बात की। उन्होंने पीड़ित को गाजियाबाद बुला लिया। बुधवार दोपहर पीड़ित ने गाजियाबाद जाकर सीबीआइ के अधिकारियों से मुलाकात की और पूरे मामले से अवगत कराया।

गुरुवार रातभर आरोपित से हुई पूछताछ
सीबीआइ की टीम ने तीन लाख रुपये की रिश्वत के साथ पकड़े गए कार्यालय अधीक्षक विकास चौधरी से रातभर पूछताछ की। शिकायतकर्ता ने बताया कि अधिकारियों के सवालों ने उसके चेहरे का रंग उड़ा रहा था। इस बीच अफसरों ने उसे खाना खिलाया और चाय भी पिलाई। इसके बाद फिर से सवाल-जवाब का सिलसिला शुरू हो गया। शुक्रवार सुबह करीब चार बजे टीम आरोपित को लेकर गाजियाबाद रवाना हो गई।

उच्चाधिकारियों को कर रहे थे अपडेट
सीबीआइ की टीम हर 10 मिनट में अपने उच्च अधिकारियों को कार्रवाई की जानकारी दे रही थी। जब शिकायतकर्ता रुपये देकर बाहर निकला और टीम ने छापा मारा, तो रुपये कार्यालय में नहीं थे। इसकी जानकारी भी टीम ने अफसरों को दी। करीब एक घंटे तलाशने के बाद रुपये मिले। इस दौरान टीम ने कई बार अफसरों को अपडेट किया।

मैं ईमानदार था, इसलिए डरा नहीं
अजय कुमार ने कहा कि कार्यालय अधीक्षक ने उनको काफी दबाव में लेने का प्रयास किया। उसको लगातार फोन कर रहे थे। जुर्माने आदि का डर दिखा रहे थे। वह ईमानदार थे, इसलिए डरे नहीं और सीबीआइ में शिकायत कर दी।

अफसरों के तीखे सवालों से उड़े होश
कार्यालय अधीक्षक के रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े जाने के बाद जब टीम ने सवालों की बौछार की तो उनके चेहरे का रंग उड़ गया था। पसीने छूट पड़े थे। तनाव भी चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था। इस पर टीम ने उनको पानी पिलाया। आराम से बैठाया और फिर सवालों का दौर शुरू किया।

रुपये आप लाएंगे..कार्रवाई हम करेंगे
शिकायतकर्ता को तीन लाख रुपयों का इंतजाम करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा। कुछ रुपयों की अपने पास से व्यवस्था की तो कुछ दोस्त से लिए, क्योंकि सीबीआइ के अफसरों ने साफ कह दिया था कि सारे रुपयों का इंतजाम आपको करना होगा। हम सिर्फ छापामार कार्रवाई करेंगे। जब आप रुपये एकत्र कर लें, तो बता देना।

रातभर साथ रहे दोस्त, निभाई दोस्ती
छापामार कार्रवाई के दौरान सीना गांव निवासी उनका दोस्त साथ था। वह सुबह ही उनके घर आ गया था, वहां से दोनों साथ मेरठ आए। यहां जब टीम ने रुपये लेकर उनको अंदर भेजा तो वह बाहर खड़ा रहा। रात में वह कार्यालय से बाहर आया और उसे एक बार अपने साथ अंदर लेकर गया। सुबह टीम के गाजियाबाद लौटने के बाद दोनों अपने घर चल दिए।

लेखा आयुक्तालय में रही अफरातफरी
जलीकोठी के सीजीएसटी के लेखा आयुक्तालय में शुक्रवार को भी अफरातफरी रही। अधीक्षक विकास चौधरी की गिरफ्तारी के बाद प्रथम तल पर स्थित कार्यालय पर मीडिया और किसी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश बंद कर दिया गया। कर्मचारी किसी से भी बात करने से कतराते रहे। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर मीडिया कर्मियों को प्रथम तल पर ही रोक दिया गया। विकास चौधरी छह माह पूर्व ही मंगलपांडे नगर स्थित सीजीएसटी के डिवीजन कार्यालय से स्थानांतरित हो कर आए थे। उनके पास मेरठ, शामली और बागपत का चार्ज था। विकास पर मुख्यालय अधीक्षक का भी अतिरिक्त चार्ज था। फिलहाल उनकी नामपट्टिका हटा दी गई।

पत्नी बोली- बात नहीं करनी
विकास कुमार को गिरफ्तार करने की सूचना शुक्रवार सुबह डिफेंस एनक्लेव में फैली तो लोग उनके घर पहुंचे। घर पर सन्नाटा पसरा हुआ था। पत्नी समेत अन्य रिश्तेदार गाजियाबाद स्थित सीबीआई विशेष कोर्ट पहुंच गए थे। दोपहर बाद विकास कुमार की पत्नी सीमा घर लौटी तो मीडियार्किमयों ने उनसे बात करने का प्रयास किया, मगर उन्होंने साफ मना कर दिया।

कबाड़ में मिले हजारों रुपयों का नहीं मिल रहा मालिक
अजय कुमार के कार्यालय अधीक्षक को रिश्वत के तीन लाख रुपये देकर बाहर निकलने के बाद सीबीआइ की टीम ने छापा मार दिया था। टीम हर जगह रुपयों की तलाश कर रही थी। जहां-जहां रुपये रखे गए, वह स्थान गुलाबी हो गया था। साथ ही कार्यालय अधीक्षक के हाथ भी रंगीन हो गए थे। तलाशी के दौरान टीम को कबाड़ में साढ़े सोलह हजार रुपये पड़े मिले। इसकी बाबत अफसरों ने वहां मौजूद कार्यालय के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों से जानकारी की, लेकिन किसी ने भी कुछ नहीं बताया। इसके बाद टीम ने कबाड़ में मिले रुपयों को भी कब्जे में ले लिया और उनकी भी जांच शुरू कर दी। ऐसे में सवाल यह है कि कहीं कोई और व्यक्ति तो रिश्वत के रुपये देकर नहीं गया। वहीं, चर्चा तो यह भी है कि सीबीआइ को लंबे समय से यहां भ्रष्टाचार की सूचना मिल रही थी।

ईपीएफओ के अफसर को दोस्त बनाकर भेजा था
सीबीआइ की टीम अजय कुमार की बातों की पूरी पुष्टि करना चाहती थी। इसलिए ईपीएफओ के एक अफसर को उसके साथ गुरुवार सुबह सीजीएसटी कार्यालय में दोस्त बनाकर भेजा। उसको पूरे मामले से अवगत करा दिया था, ताकि कार्यालय अधीक्षक कुछ सवाल पूछने लगे तो पोल न खुल जाए। कार्यालय अधीक्षक ने उनके सामने कुछ भी बात करने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद वह बाहर आ गए थे। हालांकि शिकायतकर्ता के पास रिकार्डर था, जिसके चलते उन दोनों के बीच की सारी बातें सीबीआइ के अफसर सुन रहे थे। जब सीबीआइ के अफसर इस बात से संतुष्ट हो गए कि मामला सही है, तब उन्होंने आगे की रणनीति बनाई।

सीजीएसटी कार्यालय अधीक्षक को भेजा जेल
ऊर्जा निगम में ठेकेदार से तीन लाख रुपये की रिश्वत लेते सीबीआइ द्वारा मेरठ से पकड़े गए सीजीएसटी के कार्यालय अधीक्षक विकास कुमार को शुक्रवार को गाजियाबाद की विशेष सीबीआइ कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने आरोपित को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। अब आरोपित को 27 सितंबर को कोर्ट में पेश किया जाएगा।

तीन लाख की रिश्‍वत के साथ किया था गिरफ्तार
बता दें कि ऊर्जा निगम के ठेकेदार अजय कुमार की शिकायत पर सीबीआइ ने केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विभाग के लेखा परीक्षा आयुक्तालय के कार्यालय से कार्यालय अधीक्षक को तीन लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए बृहस्पतिवार की रात गिरफ्तार किया था। ठेकेदार से पांच लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई थी। बुधवार को ही इस संबंध में ठेकेदार ने गाजियाबाद में सीबीआइ के दफ्तर में मामले की शिकायत की थी।

आठ लाख मांगा था जुर्माना
ठेकेदार ने बताया था कि पिछले दिनों उनके पास केंद्रीय वस्तु एवं सेवा लेखा परीक्षा आयुक्तालय से पत्र गया था, जिसमें फर्म के ऑडिट कराने की बात कही गई थी। इसके बाद ठेकेदार ने अधिवक्ता के जरिये फाइल भेजी तो कहा गया कि चार साल से ऑडिट नहीं कराया गया है। एक साल का जुर्माना दो लाख रुपये के हिसाब से चार साल का जुर्माना आठ लाख रुपये देना होगा। इसके बाद दोनों के बीच पांच लाख रुपये पर सहमति बनी थी।


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