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शहर में ‘आवारा आतंक’ को रोकने के लिए उतरी फौज, अब मिलेगा सुरक्षित माहौल Meerut News

पश्चिम यूपी सब-एरिया मुख्यालय ने एनजीओ ‘पीपल्स फॉर एनिमल’के साथ आवारा कुत्तों को पकड़ने और उनकी नसबंदी करने का अभियान शुरू कर दिया है।

By Prem BhattEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 10:43 AM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 11:35 AM (IST)
शहर में ‘आवारा आतंक’ को रोकने के लिए उतरी फौज, अब मिलेगा सुरक्षित माहौल Meerut News
शहर में ‘आवारा आतंक’ को रोकने के लिए उतरी फौज, अब मिलेगा सुरक्षित माहौल Meerut News

मेरठ, जेएनएन। शहर में आवारा कुत्तों के आतंक से परेशान लोगों को राहत देने की जिम्मेदार संस्था नगर निगम भले ही उदासीन हो लेकिन छावनी क्षेत्र में आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक पर लगाम कसने के लिए फौज ने एक बार फिर कमर कस ली है। क्षेत्र में रहने वालों को बेहतर व सुरक्षित माहौल देने के लिए पश्चिम यूपी सब-एरिया मुख्यालय ने एनजीओ ‘पीपल्स फॉर एनिमल’के साथ आवारा कुत्तों को पकड़ने और उनकी नसबंदी करने का अभियान शुरू कर दिया है।

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सब-एरिया कमांडर कर रहे निगरानी

21 फरवरी को शुरू हुए इस अभियान के दौरान इस साल भी 350 से 500 आवारा कुत्तों को पकड़ने और उनकी नसबंदी करने की योजना है। इस कार्यक्रम को सुचारू रूप से चलाने के लिए स्वयं सब-एरिया कमांडर इसकी निगरानी कर रहे हैं। 10 फरवरी तक चलने वाले इस अभियान के लिए बजट भी सब-एरिया मुख्यालय ही दे रहा है।

टीम पकड़ रही कुत्ते

एनिमल बर्थ कंट्रोल एंड एंटी रेबीज वैक्सीनेशन प्रोग्राम के तहत इस अभियान में स्टेशन मुख्यालय के मिलिट्री वेटनरी हॉस्पिटल के चिकित्सक और एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया से पंजीकृत उक्त एनजीओ के विशेषज्ञों की टीम कुत्तों को पकड़ रही है। नर-मादा दोनों तरह के कुत्तों को पकड़ने के बाद उनका वेटनरी हॉस्पिटल में परीक्षण किया जाता है। दूसरे दिन उनका ऑपरेशन होता है। इसके बाद तीन दिन तक खाना-पीना व दवाएं दी जाती हैं। तीन दिन के बाद टांका काटकर व मेडिकल परीक्षण के बाद जब सब ठीक पाया जाता है, तभी उन्हें छोड़ा जाता है।

पिछले साल भी चला था अभियान

सब-एरिया मुख्यालय की ओर से पिछले साल भी जुलाई-अगस्त में यह अभियान चलाया गया था। इसमें 352 आवारा कुत्तों को पकड़ा गया व उनकी नसबंदी की गई थी। इस साल भी 350 से 500 कुत्तों तक को पकड़ने और नसबंदी का बजट सब-एरिया से मिला है। पीपल्स फॉर एनिमल्स संस्था की ओर से देशभर में यही काम किया जा रहा है। दूसरी छावनियों में भी आवारा कुत्तों को पकड़कर नसबंदी करने का अभियान चलाया जा रहा है।

उसी स्थान पर छोड़े जाते हैं कुत्ते

पकड़े गए कुत्तों को ऑपरेशन के बाद उसी इलाके में छोड़ा जाता है, जहां से उन्हें पकड़ा गया था। ऐसा इसलिए ताकि उस क्षेत्र में बाहरी कुत्ते अपना डेरा न बना सकें। ऑपरेशन के साथ ही कुत्तों को एंटी रेबीज वैक्सीनेशन भी दिया जा रहा है। चिकित्सकों के अनुसार नसबंदी होने के बाद कुत्ते स्वभाव से कुछ शांत हो जाते हैं, जिससे आम लोगों को काटने की प्रवृत्ति भी कम होती है। उसी क्षेत्र में छोड़ने पर न बाहरी कुत्ते आते हैं न उनकी जनसंख्या बढ़ती है।

नसबंदी के बाद कान में निशान

कुत्तों की नसबंदी के बाद पहचान के लिए उनके दाहिने कान पर वी-आकार का कट निशान बनाया जाता है ताकि उस कुत्ते को दोबारा न पकड़ा जाए। ऑपरेशन में निकले अंगों को भी मॉनिटरिंग के लिए रखा जाता है। इस अभियान के अंतर्गत 21 जनवरी को 10, 22 जनवरी को 18 और गुरुवार 23 जनवरी को 22 कुत्तों को पकड़ा गया। गुरुवार को इनके ऑपरेशन किए गए। 


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