CAA Protest : हिंसा के शामिल रहे एसडीपीआइ और पीएफआइ के सदस्यों की तलाश में दबिश Meerut News
बीस दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद शहर में हिंसा फैलाने वालों की तलाश तेज कर दी गई है। इनकी धरपकड़ को पुलिस ने हापुड़ और शास्त्रीनगर में दबिश दी।
मेरठ, जेएनएन। मुजफ्फरनगर और मेरठ में बीस दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के पीछे पुलिस एसडीपीआइ और पीएफआइ का हाथ मानकर कार्रवाई कर रही है। एसडीपीआइ ऑफिस से मिली डायरी से कुछ सदस्यों के नाम सामने आए हैं। इनकी धरपकड़ को पुलिस ने हापुड़ और शास्त्रीनगर में दबिश दी। अभी कोई सदस्य हाथ नहीं आया है। पुलिस अब नूर हसन को रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी।
खुफिया विभाग नहीं भांप पाई इरादे
एसएसपी अजय साहनी ने बताया कि सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआइ) और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) की हिंसा में पूरी भूमिका सामने आ रही है। दोनों संगठनों ने हिंसा से पहले युवकों को भ्रमित करने के लिए प्रचार किया था, इसे पुलिस की खुफिया इकाई भी नहीं भांप सकी। उन्होंने ने बताया कि हापुड़ के नूर हसन और उसके साथी मुईद की गिरफ्तारी के बाद कुछ अन्य साथियों के नाम सामने आए हैं। नूर हसन की गिरफ्तारी के बाद सभी आरोपित फरार हैं। नूर हसन ने ही मेरठ और मुजफ्फरनगर की हिंसा के लिए युवकों को तैयार किया था। इसकी पुष्टि ऑफिस से मिले दस्तावेज कर रहे हैं। दोनों संगठनों ने सोशल साइट्स पर भी आपत्तिजनक पोस्ट डालकर युवाओं को भ्रमित करने का काम किया।
फैजी के संपर्क में कैसे आया था नूर हसन
केरल में बैठे एमके फैजी के संपर्क में नूर हसन कैसे आया? इसके पीछे पुलिस का मानना है कि फैजी अपने संगठन को पूरे देश में फैलाना चाहता था। फैजी ने नूर हसन को वेस्ट यूपी की कमान सौंपी है। बताया जा रहा है कि संगठन की तरफ से नूर हसन को रकम भी भेजी जाती थी, जो युवाओं को भ्रमित करने के लिए प्रचार प्रसार में खर्च की जा रही थी।
इनका कहना है
इंस्पेक्टर नौचंदी और लिसाड़ी गेट की संयुक्त टीम एसडीपीआइ और पीएफआइ पर काम कर रही है। दोनों संगठन के दो-दो सदस्यों को पुलिस अभी तक जेल भेज चुकी है। बाकी की धरपकड़ को दबिश दी जा रही है।
- अजय साहनी, एसएसपी